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(''''आनंदीबेन पटेल''' (अंग्रेज़ी: ''Anandiben Patel'', जन्म: 21 नवंबर [...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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'''आनंदीबेन पटेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anandiben Patel'', जन्म: [[21 नवंबर]] [[1941]]) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और [[गुजरात]] की पहली महिला [[मुख्यमंत्री]] हैं। लगातार चार बार [[विधानसभा]] का चुनाव जीतने वाली आनंदी बेन पटेल को अच्छा प्रशासक माना जाता है। [[भाजपा]] के मनोनित प्रधानमंत्री [[नरेन्द्र मोदी]] ने [[21 मई]], [[2014]] को [[गुजरात के मुख्यमंत्री]] पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्यपाल [[कमला बेनीवाल]] ने आनंदी बेन पटेल को [[22 मई]], [[2014]] को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। आनंदीबेन पटेल [[1987]] से [[भारतीय जनता पार्टी]] में शामिल हैं। आनंदीबेन पटेल [[1980]] में उस वक्त [[नरेंद्र मोदी]] के संपर्क में आई जब वे संघ के प्रचारक थे। आनंदीबेन पटेल को लंबा प्रशासनिक अनुभव है। वे शहरी विकास, राजस्व और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं।  
 
'''आनंदीबेन पटेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anandiben Patel'', जन्म: [[21 नवंबर]] [[1941]]) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और [[गुजरात]] की पहली महिला [[मुख्यमंत्री]] हैं। लगातार चार बार [[विधानसभा]] का चुनाव जीतने वाली आनंदी बेन पटेल को अच्छा प्रशासक माना जाता है। [[भाजपा]] के मनोनित प्रधानमंत्री [[नरेन्द्र मोदी]] ने [[21 मई]], [[2014]] को [[गुजरात के मुख्यमंत्री]] पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्यपाल [[कमला बेनीवाल]] ने आनंदी बेन पटेल को [[22 मई]], [[2014]] को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। आनंदीबेन पटेल [[1987]] से [[भारतीय जनता पार्टी]] में शामिल हैं। आनंदीबेन पटेल [[1980]] में उस वक्त [[नरेंद्र मोदी]] के संपर्क में आई जब वे संघ के प्रचारक थे। आनंदीबेन पटेल को लंबा प्रशासनिक अनुभव है। वे शहरी विकास, राजस्व और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं।  
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
 
आनंदीबेन पटेल का जन्म [[मेहसाणा ज़िला|मेहसाणा ज़िले]] के विजापुर तालुका के खरोद गांव में 21 नवंबर, 1941 को हुआ था। उनका पूरा नाम आनंदी बेन जेठाभाई पटेल है। उनके पिता जेठाभाई पटेल एक गांधीवादी नेता थे। आनंदी के ऊपर अपने पिता का भरपूर प्रभाव पड़ा। उनके आदर्श भी उनके पिता ही हैं। उस समय जब कोई लड़कियों को स्कूल नहीं भेजता था उन्होंने मम्मी को हमेशा पढ़ने के लिए प्रोत्साहन दिया। उन्हीं की तरह आनंदीबेन भी किसी में भेदभाव नहीं रखती और पैसे खाने वाले और चापलूस लोगों को अपने करीब नहीं आने देतीं। उन्होंने कन्या विद्यालय में चतुर्थ कक्षा तक की पढ़ाई की। तत्पश्चात उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए ब्याज स्कूल में भर्ती कराया गया, जहां 700 लड़कों के बीच वे अकेले लड़की थीं। आठवीं कक्षा में उनका दाखिला विसनगर के नूतन सर्व विद्यालय में कराया गया। विद्यालीय शिक्षा के दौरान एथलेटिक्स में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए उन्हें "बीर वाला" पुरस्कार से सम्मानित किया गया।<ref name="bbc">{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/05/140521_anandiben_patel_profile_vs.shtml |title=आप जानते हैं कैसे राजनीति में आईं आनंदीबेन पटेल? |accessmonthday=22 मई |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=बीबीसी हिंदी |language=हिंदी  }}</ref>
 
आनंदीबेन पटेल का जन्म [[मेहसाणा ज़िला|मेहसाणा ज़िले]] के विजापुर तालुका के खरोद गांव में 21 नवंबर, 1941 को हुआ था। उनका पूरा नाम आनंदी बेन जेठाभाई पटेल है। उनके पिता जेठाभाई पटेल एक गांधीवादी नेता थे। आनंदी के ऊपर अपने पिता का भरपूर प्रभाव पड़ा। उनके आदर्श भी उनके पिता ही हैं। उस समय जब कोई लड़कियों को स्कूल नहीं भेजता था उन्होंने मम्मी को हमेशा पढ़ने के लिए प्रोत्साहन दिया। उन्हीं की तरह आनंदीबेन भी किसी में भेदभाव नहीं रखती और पैसे खाने वाले और चापलूस लोगों को अपने करीब नहीं आने देतीं। उन्होंने कन्या विद्यालय में चतुर्थ कक्षा तक की पढ़ाई की। तत्पश्चात उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए ब्याज स्कूल में भर्ती कराया गया, जहां 700 लड़कों के बीच वे अकेले लड़की थीं। आठवीं कक्षा में उनका दाखिला विसनगर के नूतन सर्व विद्यालय में कराया गया। विद्यालीय शिक्षा के दौरान एथलेटिक्स में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए उन्हें "बीर वाला" पुरस्कार से सम्मानित किया गया।<ref name="bbc">{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/05/140521_anandiben_patel_profile_vs.shtml |title=आप जानते हैं कैसे राजनीति में आईं आनंदीबेन पटेल? |accessmonthday=22 मई |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=बीबीसी हिंदी |language=हिंदी  }}</ref>
 
==राजनीति में प्रवेश==
 
==राजनीति में प्रवेश==
राजनीति में आने से पहले आनंदी बेन [[अहमदाबाद]] के मोहिनीबा कन्या विद्यालय में प्रधानाचार्य थीं। राजनीति में उनका का प्रवेश [[1987]] में स्कूल पिकनिक के दौरान एक दुर्घटना की वजह से हुआ। स्कूल पिकनिक के दौरान दो छात्राएं [[नर्मदा नदी]] में गिर गईं। उन्हें डूबता देख आनंदीबेन भी उफनती नदी में कूद पड़ीं और दोनों को ज़िंदा बाहर निकाल लाईं। इसके लिए आनंदीबेन को राज्य सरकार ने वीरता पुरस्कार से नवाज़ा। इस घटना के बाद आनंदीबेन के पति मफतभाई पटेल, जो उन दिनों गुजरात भाजपा के कद्दावर नेताओ में से एक थे, के दोस्त [[नरेंद्र मोदी]] और शंकरसिंह वाघेला ने उन्हें भाजपा से जुड़ने और महिलाओं को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए कहा। बस उसी साल आनंदीबेन, गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष बनकर, भाजपा में शामिल हो गईं। पार्टी में उन दिनों कोई मजबूत महिला नेता नहीं थी इसलिए कुछ ही दिनों में भाजपा में आनंदीबेन एक निडर नेता के तौर पर उभरीं। राजनीति में आने के सात वर्ष बाद ही [[1994]] में वह गुजरात से राज्यसभा की सांसद बनीं। उसके बाद [[1998]] के विधानसभा चुनाव में वह बतौर विधायक गुजरात के मांडल इलाक़े से चुनी गईं और केशुभाई पटेल की सरकार में उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया। लेकिन वह हमेशा से ही मोदी के नज़दीक रहीं। [[1995]] में शंकरसिंह वाघेला का विद्रोह हो या [[2001]] में केशुभाई को पद से हटाने की बात हो, आनंदीबेन हमेशा मोदी के साथ खड़ी रहीं। मोदी सरकार में आए उसके बाद कुछ दिनों तक शिक्षा मंत्री रही आनंदीबेन को शहरी विकास और राजस्व मंत्री बनाया गया। वह राज्य सरकार की कई और समितियों की भी अध्यक्ष थीं।<ref name="bbc"/>
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राजनीति में आने से पहले आनंदी बेन [[अहमदाबाद]] के मोहिनीबा कन्या विद्यालय में प्रधानाचार्य थीं। राजनीति में उनका का प्रवेश [[1987]] में स्कूल पिकनिक के दौरान एक दुर्घटना की वजह से हुआ। स्कूल पिकनिक के दौरान दो छात्राएं [[नर्मदा नदी]] में गिर गईं। उन्हें डूबता देख आनंदीबेन भी उफनती नदी में कूद पड़ीं और दोनों को ज़िंदा बाहर निकाल लाईं। इसके लिए आनंदीबेन को राज्य सरकार ने वीरता पुरस्कार से नवाज़ा। इस घटना के बाद आनंदीबेन के पति मफ़तभाई पटेल, जो उन दिनों गुजरात भाजपा के कद्दावर नेताओ में से एक थे, के दोस्त [[नरेंद्र मोदी]] और शंकरसिंह वाघेला ने उन्हें भाजपा से जुड़ने और महिलाओं को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए कहा। बस उसी साल आनंदीबेन, गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष बनकर, भाजपा में शामिल हो गईं। पार्टी में उन दिनों कोई मजबूत महिला नेता नहीं थी इसलिए कुछ ही दिनों में भाजपा में आनंदीबेन एक निडर नेता के तौर पर उभरीं। राजनीति में आने के सात वर्ष बाद ही [[1994]] में वह गुजरात से राज्यसभा की सांसद बनीं। उसके बाद [[1998]] के विधानसभा चुनाव में वह बतौर विधायक गुजरात के मांडल इलाक़े से चुनी गईं और केशुभाई पटेल की सरकार में उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया। लेकिन वह हमेशा से ही मोदी के नज़दीक रहीं। [[1995]] में शंकरसिंह वाघेला का विद्रोह हो या [[2001]] में केशुभाई को पद से हटाने की बात हो, आनंदीबेन हमेशा मोदी के साथ खड़ी रहीं। मोदी सरकार में आए उसके बाद कुछ दिनों तक शिक्षा मंत्री रही आनंदीबेन को शहरी विकास और राजस्व मंत्री बनाया गया। वह राज्य सरकार की कई और समितियों की भी अध्यक्ष थीं।<ref name="bbc"/>
 
==अनुशासनप्रिय एवं कठोर प्रशासक==
 
==अनुशासनप्रिय एवं कठोर प्रशासक==
 
आनंदीबेन पटेल एक अनुशासनप्रिय एवं कठोर प्रशासक समझी जाती हैं जो सार्वजनिक जीवन में शुचिता को अहम मानती हैं और यह उनके पूर्ववर्ती की विशेषता से मेल खाता है। [[गुजरात]] में आंनदीबेन और अमित शाह मोदी के ‘बाएँ’ और ‘दाएँ’ हाथ माने जाते रहे हैं। आनंदीबेन के पास शहरी विकास, राजस्व और आपदा प्रबंधन जैसे अहम विभाग हैं। वह पहले शिक्षा विभाग की भी प्रभारी मंत्री रह चुकी हैं। वह मोदी की कुछ अहम परियोजनाएं सफलतापूर्वक चलाती रही हैं जिनमें महिला साक्षरता बढ़ाना भी शामिल है। मुख्यमंत्री पद के लिए आनंदीबेन के चुनाव में भाजपा के सामाजिक समीकरण का भी ध्यान रखा गया है क्योंकि पटेल राज्य में सबसे बड़ी और सर्वाधिक प्रभाव वाली जाति हैं दो दशक से अधिक समय से पटेल पार्टी के मुख्य जनाधार रहे हैं। व्यर्थ की बातों में नहीं उलझने वाली आनंदीबेन राज्य की भाजपा सरकार में सबसे लंबे समय तक मंत्री रहीं। वह [[1980]] के दशक के उत्तरार्ध में भाजपा से जुड़ी थीं और तब से वह लगातार पार्टी में आगे बढ़ती रहीं।<ref name="ज़ी न्यूज">{{cite web |url=http://zeenews.india.com/hindi/news/state/anandiben-patel-disciplined-and-rigorous-administrator/210112 |title=आनंदीबेन पटेल: अनुशासनप्रिय एवं कठोर प्रशासक|accessmonthday=22 मई |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ज़ी न्यूज |language=हिंदी  }}</ref>
 
आनंदीबेन पटेल एक अनुशासनप्रिय एवं कठोर प्रशासक समझी जाती हैं जो सार्वजनिक जीवन में शुचिता को अहम मानती हैं और यह उनके पूर्ववर्ती की विशेषता से मेल खाता है। [[गुजरात]] में आंनदीबेन और अमित शाह मोदी के ‘बाएँ’ और ‘दाएँ’ हाथ माने जाते रहे हैं। आनंदीबेन के पास शहरी विकास, राजस्व और आपदा प्रबंधन जैसे अहम विभाग हैं। वह पहले शिक्षा विभाग की भी प्रभारी मंत्री रह चुकी हैं। वह मोदी की कुछ अहम परियोजनाएं सफलतापूर्वक चलाती रही हैं जिनमें महिला साक्षरता बढ़ाना भी शामिल है। मुख्यमंत्री पद के लिए आनंदीबेन के चुनाव में भाजपा के सामाजिक समीकरण का भी ध्यान रखा गया है क्योंकि पटेल राज्य में सबसे बड़ी और सर्वाधिक प्रभाव वाली जाति हैं दो दशक से अधिक समय से पटेल पार्टी के मुख्य जनाधार रहे हैं। व्यर्थ की बातों में नहीं उलझने वाली आनंदीबेन राज्य की भाजपा सरकार में सबसे लंबे समय तक मंत्री रहीं। वह [[1980]] के दशक के उत्तरार्ध में भाजपा से जुड़ी थीं और तब से वह लगातार पार्टी में आगे बढ़ती रहीं।<ref name="ज़ी न्यूज">{{cite web |url=http://zeenews.india.com/hindi/news/state/anandiben-patel-disciplined-and-rigorous-administrator/210112 |title=आनंदीबेन पटेल: अनुशासनप्रिय एवं कठोर प्रशासक|accessmonthday=22 मई |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ज़ी न्यूज |language=हिंदी  }}</ref>
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==व्यक्तित्व==
 
==व्यक्तित्व==
 
आनंदीबेन मितव्ययी जीवन जीती हैं और वह पूरे राज्य में दौरे, सरकारी परियोजनाओं की निगरानी एवं अधिकारियों तथा जनता से संपर्क करती रहती हैं। हालांकि कई पार्टी नेताओं का कहना है कि वह पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ इतना ज्यादा मित्रवत नहीं रहती। लेकिन उन्होंने ऐसी आलोचना हमेशा यह कहकर खारिज कर दी कि उनका मूल्यांकन चेहरे पर मुस्कान देखकर नहीं, बल्कि उनके काम से किया जाना चाहिए।<ref name="ज़ी न्यूज"/>
 
आनंदीबेन मितव्ययी जीवन जीती हैं और वह पूरे राज्य में दौरे, सरकारी परियोजनाओं की निगरानी एवं अधिकारियों तथा जनता से संपर्क करती रहती हैं। हालांकि कई पार्टी नेताओं का कहना है कि वह पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ इतना ज्यादा मित्रवत नहीं रहती। लेकिन उन्होंने ऐसी आलोचना हमेशा यह कहकर खारिज कर दी कि उनका मूल्यांकन चेहरे पर मुस्कान देखकर नहीं, बल्कि उनके काम से किया जाना चाहिए।<ref name="ज़ी न्यूज"/>
=====पिता से प्रभावित====
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====पिता से प्रभावित====
 
आनंदीबेन की बेटी अनार पटेल के अनुसार, "मोदी और आनंदीबेन के बीच गुरू और चेले जैसा रिश्ता है। उन्होंने मोदी चाचा से बहुत सीखा है और वह उनका बहुत आदर करती हैं।" अनार बताती हैं कि "जब वह राजनीति में नहीं थीं तब उन्होंने अपने भाई को अपने बेटे का [[बाल विवाह]] करने से रोकने की कोशिश की। उन दिनों पटेल समाज में बाल विवाह बहुत ही आम बात थी। लेकिन मेरे मामा देवचन्दभाई नहीं माने तो उन्हें रोकने के लिए मम्मी ने पुलिस कंप्लेंट कर दी और पुलिस ने शादी के दिन आकर विवाह रोक दिया। उस दिन से लोगों ने हमारे समाज में बाल विवाह के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में यह प्रथा बंद हो गई।"
 
आनंदीबेन की बेटी अनार पटेल के अनुसार, "मोदी और आनंदीबेन के बीच गुरू और चेले जैसा रिश्ता है। उन्होंने मोदी चाचा से बहुत सीखा है और वह उनका बहुत आदर करती हैं।" अनार बताती हैं कि "जब वह राजनीति में नहीं थीं तब उन्होंने अपने भाई को अपने बेटे का [[बाल विवाह]] करने से रोकने की कोशिश की। उन दिनों पटेल समाज में बाल विवाह बहुत ही आम बात थी। लेकिन मेरे मामा देवचन्दभाई नहीं माने तो उन्हें रोकने के लिए मम्मी ने पुलिस कंप्लेंट कर दी और पुलिस ने शादी के दिन आकर विवाह रोक दिया। उस दिन से लोगों ने हमारे समाज में बाल विवाह के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में यह प्रथा बंद हो गई।"
 
आनंदीबेन के आदर्श, उनके पिता जेठाभाई पटेल, हैं जो उत्तर गुजरात के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गाँधीवादी थे, "जेठाभाई पटेल पूरी तौर से गाँधीवादी थे। उन्हें कई बार लोगों ने गाँव से निकाल दिया था क्योंकि वह ऊंच-नीच और जातीय भेदभाव को मिटाने की बात करते थे।" अनार कहती हैं कि आनंदीबेन बहुत सख़्त हैं और उतनी ही सरल भी। वह बताती हैं, "उनको पक्षियों से बहुत लगाव है और बागवानी में अपना समय बिताना अच्छा लगता है। मेरे और मेरे भाई के घर पर उपयोग में आने वाली सब्ज़ियां और फल वही भिजवाती हैं। उन्होंने अपने सरकारी मकान के बग़ीचे में कई तरह के आर्गेनिक फल और सब्ज़ियां उगा रखे हैं।"<ref name="bbc"/>
 
आनंदीबेन के आदर्श, उनके पिता जेठाभाई पटेल, हैं जो उत्तर गुजरात के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गाँधीवादी थे, "जेठाभाई पटेल पूरी तौर से गाँधीवादी थे। उन्हें कई बार लोगों ने गाँव से निकाल दिया था क्योंकि वह ऊंच-नीच और जातीय भेदभाव को मिटाने की बात करते थे।" अनार कहती हैं कि आनंदीबेन बहुत सख़्त हैं और उतनी ही सरल भी। वह बताती हैं, "उनको पक्षियों से बहुत लगाव है और बागवानी में अपना समय बिताना अच्छा लगता है। मेरे और मेरे भाई के घर पर उपयोग में आने वाली सब्ज़ियां और फल वही भिजवाती हैं। उन्होंने अपने सरकारी मकान के बग़ीचे में कई तरह के आर्गेनिक फल और सब्ज़ियां उगा रखे हैं।"<ref name="bbc"/>
  
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.anandibenpatel.com/home/ आनंदीबेन पटेल की आधिकारिक वेबसाइट]
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*[http://www.anandibenpatel.com/home/ आधिकारिक वेबसाइट]
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*[http://www.anandibenpatel.com/wp-content/uploads/biodata_english.pdf आनंदीबेन पटेल प्रोफ़ाइल ]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{गुजरात के मुख्यमंत्री}}
 
{{गुजरात के मुख्यमंत्री}}

10:32, 22 मई 2014 का अवतरण

आनंदीबेन पटेल
आनंदीबेन पटेल
पूरा नाम आनंदीबेन पटेल
जन्म 21 नवंबर, 1941
जन्म भूमि खरोद गांव, विजापुर तालुका, मेहसाणा, गुजरात
पति/पत्नी मफ़तलाल पटेल
संतान अनार पटेल (पुत्री), संजय पटेल (पुत्र)
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद गुजरात की मुख्यमंत्री
कार्य काल 22 मई, 2014 से अब तक
शिक्षा एम.एससी. बी.एड, एम.एड, (गोल्ड मेडलिस्ट)
भाषा हिंदी, अंग्रेज़ी, गुजराती
अन्य जानकारी नरेंद्र मोदी के इस्तीफे के बाद आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट

आनंदीबेन पटेल (अंग्रेज़ी: Anandiben Patel, जन्म: 21 नवंबर 1941) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। लगातार चार बार विधानसभा का चुनाव जीतने वाली आनंदी बेन पटेल को अच्छा प्रशासक माना जाता है। भाजपा के मनोनित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 मई, 2014 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्यपाल कमला बेनीवाल ने आनंदी बेन पटेल को 22 मई, 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। आनंदीबेन पटेल 1987 से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हैं। आनंदीबेन पटेल 1980 में उस वक्त नरेंद्र मोदी के संपर्क में आई जब वे संघ के प्रचारक थे। आनंदीबेन पटेल को लंबा प्रशासनिक अनुभव है। वे शहरी विकास, राजस्व और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं।

जीवन परिचय

आनंदीबेन पटेल का जन्म मेहसाणा ज़िले के विजापुर तालुका के खरोद गांव में 21 नवंबर, 1941 को हुआ था। उनका पूरा नाम आनंदी बेन जेठाभाई पटेल है। उनके पिता जेठाभाई पटेल एक गांधीवादी नेता थे। आनंदी के ऊपर अपने पिता का भरपूर प्रभाव पड़ा। उनके आदर्श भी उनके पिता ही हैं। उस समय जब कोई लड़कियों को स्कूल नहीं भेजता था उन्होंने मम्मी को हमेशा पढ़ने के लिए प्रोत्साहन दिया। उन्हीं की तरह आनंदीबेन भी किसी में भेदभाव नहीं रखती और पैसे खाने वाले और चापलूस लोगों को अपने करीब नहीं आने देतीं। उन्होंने कन्या विद्यालय में चतुर्थ कक्षा तक की पढ़ाई की। तत्पश्चात उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए ब्याज स्कूल में भर्ती कराया गया, जहां 700 लड़कों के बीच वे अकेले लड़की थीं। आठवीं कक्षा में उनका दाखिला विसनगर के नूतन सर्व विद्यालय में कराया गया। विद्यालीय शिक्षा के दौरान एथलेटिक्स में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए उन्हें "बीर वाला" पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]

राजनीति में प्रवेश

राजनीति में आने से पहले आनंदी बेन अहमदाबाद के मोहिनीबा कन्या विद्यालय में प्रधानाचार्य थीं। राजनीति में उनका का प्रवेश 1987 में स्कूल पिकनिक के दौरान एक दुर्घटना की वजह से हुआ। स्कूल पिकनिक के दौरान दो छात्राएं नर्मदा नदी में गिर गईं। उन्हें डूबता देख आनंदीबेन भी उफनती नदी में कूद पड़ीं और दोनों को ज़िंदा बाहर निकाल लाईं। इसके लिए आनंदीबेन को राज्य सरकार ने वीरता पुरस्कार से नवाज़ा। इस घटना के बाद आनंदीबेन के पति मफ़तभाई पटेल, जो उन दिनों गुजरात भाजपा के कद्दावर नेताओ में से एक थे, के दोस्त नरेंद्र मोदी और शंकरसिंह वाघेला ने उन्हें भाजपा से जुड़ने और महिलाओं को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए कहा। बस उसी साल आनंदीबेन, गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष बनकर, भाजपा में शामिल हो गईं। पार्टी में उन दिनों कोई मजबूत महिला नेता नहीं थी इसलिए कुछ ही दिनों में भाजपा में आनंदीबेन एक निडर नेता के तौर पर उभरीं। राजनीति में आने के सात वर्ष बाद ही 1994 में वह गुजरात से राज्यसभा की सांसद बनीं। उसके बाद 1998 के विधानसभा चुनाव में वह बतौर विधायक गुजरात के मांडल इलाक़े से चुनी गईं और केशुभाई पटेल की सरकार में उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया। लेकिन वह हमेशा से ही मोदी के नज़दीक रहीं। 1995 में शंकरसिंह वाघेला का विद्रोह हो या 2001 में केशुभाई को पद से हटाने की बात हो, आनंदीबेन हमेशा मोदी के साथ खड़ी रहीं। मोदी सरकार में आए उसके बाद कुछ दिनों तक शिक्षा मंत्री रही आनंदीबेन को शहरी विकास और राजस्व मंत्री बनाया गया। वह राज्य सरकार की कई और समितियों की भी अध्यक्ष थीं।[1]

अनुशासनप्रिय एवं कठोर प्रशासक

आनंदीबेन पटेल एक अनुशासनप्रिय एवं कठोर प्रशासक समझी जाती हैं जो सार्वजनिक जीवन में शुचिता को अहम मानती हैं और यह उनके पूर्ववर्ती की विशेषता से मेल खाता है। गुजरात में आंनदीबेन और अमित शाह मोदी के ‘बाएँ’ और ‘दाएँ’ हाथ माने जाते रहे हैं। आनंदीबेन के पास शहरी विकास, राजस्व और आपदा प्रबंधन जैसे अहम विभाग हैं। वह पहले शिक्षा विभाग की भी प्रभारी मंत्री रह चुकी हैं। वह मोदी की कुछ अहम परियोजनाएं सफलतापूर्वक चलाती रही हैं जिनमें महिला साक्षरता बढ़ाना भी शामिल है। मुख्यमंत्री पद के लिए आनंदीबेन के चुनाव में भाजपा के सामाजिक समीकरण का भी ध्यान रखा गया है क्योंकि पटेल राज्य में सबसे बड़ी और सर्वाधिक प्रभाव वाली जाति हैं दो दशक से अधिक समय से पटेल पार्टी के मुख्य जनाधार रहे हैं। व्यर्थ की बातों में नहीं उलझने वाली आनंदीबेन राज्य की भाजपा सरकार में सबसे लंबे समय तक मंत्री रहीं। वह 1980 के दशक के उत्तरार्ध में भाजपा से जुड़ी थीं और तब से वह लगातार पार्टी में आगे बढ़ती रहीं।[2]

परिवार

आनंदीबेन का प्रोफसर मफतभाई पटेल के साथ विवाह हुआ। आनंदीबेन 1990 के दशक के मध्य से अपने परिवार से दूर रह रही हैं। उनके एक पुत्र और एक पुत्री हैं। मफतभाई ने आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की अपनी योजना की घोषणा की थी लेकिन उनकी संतानों ने कथित रूप से यह चर्चा खारिज कर दी।

वीरता पुरस्कार

आनंदीबेन को तब पूरे राज्य में शोहरत मिली थी जब 1987 में बतौर स्कूल शिक्षिका वह दो लड़कियों को डूबने से बचाने के लिए सरदार सरोवर जलाशय में कूद गयी थीं। राज्यपाल से वीरता पुरस्कार मिलने के अलावा आनंदीबेन के इस साहसिक कार्य का संज्ञान भाजपा नेताओं ने भी लिया। चूंकि उस दौर में कुछ भाजपा नेताओं का उनके पति से परिचय था अतएव वह चाहते थे कि ऐसी शिक्षित एवं वीरांगना महिला पार्टी से जुड़े क्योंकि उन दिनों ऐसी महिला नेता बहुत ही दुर्लभ थी। बतौर शिक्षिका भी आनंदीबेन को कई सरकारी पुरस्कार मिले।[2]

व्यक्तित्व

आनंदीबेन मितव्ययी जीवन जीती हैं और वह पूरे राज्य में दौरे, सरकारी परियोजनाओं की निगरानी एवं अधिकारियों तथा जनता से संपर्क करती रहती हैं। हालांकि कई पार्टी नेताओं का कहना है कि वह पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ इतना ज्यादा मित्रवत नहीं रहती। लेकिन उन्होंने ऐसी आलोचना हमेशा यह कहकर खारिज कर दी कि उनका मूल्यांकन चेहरे पर मुस्कान देखकर नहीं, बल्कि उनके काम से किया जाना चाहिए।[2]

पिता से प्रभावित

आनंदीबेन की बेटी अनार पटेल के अनुसार, "मोदी और आनंदीबेन के बीच गुरू और चेले जैसा रिश्ता है। उन्होंने मोदी चाचा से बहुत सीखा है और वह उनका बहुत आदर करती हैं।" अनार बताती हैं कि "जब वह राजनीति में नहीं थीं तब उन्होंने अपने भाई को अपने बेटे का बाल विवाह करने से रोकने की कोशिश की। उन दिनों पटेल समाज में बाल विवाह बहुत ही आम बात थी। लेकिन मेरे मामा देवचन्दभाई नहीं माने तो उन्हें रोकने के लिए मम्मी ने पुलिस कंप्लेंट कर दी और पुलिस ने शादी के दिन आकर विवाह रोक दिया। उस दिन से लोगों ने हमारे समाज में बाल विवाह के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में यह प्रथा बंद हो गई।" आनंदीबेन के आदर्श, उनके पिता जेठाभाई पटेल, हैं जो उत्तर गुजरात के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गाँधीवादी थे, "जेठाभाई पटेल पूरी तौर से गाँधीवादी थे। उन्हें कई बार लोगों ने गाँव से निकाल दिया था क्योंकि वह ऊंच-नीच और जातीय भेदभाव को मिटाने की बात करते थे।" अनार कहती हैं कि आनंदीबेन बहुत सख़्त हैं और उतनी ही सरल भी। वह बताती हैं, "उनको पक्षियों से बहुत लगाव है और बागवानी में अपना समय बिताना अच्छा लगता है। मेरे और मेरे भाई के घर पर उपयोग में आने वाली सब्ज़ियां और फल वही भिजवाती हैं। उन्होंने अपने सरकारी मकान के बग़ीचे में कई तरह के आर्गेनिक फल और सब्ज़ियां उगा रखे हैं।"[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 आप जानते हैं कैसे राजनीति में आईं आनंदीबेन पटेल? (हिंदी) बीबीसी हिंदी। अभिगमन तिथि: 22 मई, 2014।
  2. 2.0 2.1 2.2 आनंदीबेन पटेल: अनुशासनप्रिय एवं कठोर प्रशासक (हिंदी) ज़ी न्यूज। अभिगमन तिथि: 22 मई, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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