"गुरु अंगद देव" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो (Adding category Category:सिक्खों के गुरु (को हटा दिया गया हैं।)) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | *'''गुरु अंगद देव''' (जन्म- [[31 मार्च]], 1504, मुक्तसर, [[पंजाब]]; मृत्यु- [[28 मार्च]], 1552, [[अमृतसर]], पंजाब, [[भारत]]) | + | *'''गुरु अंगद देव''' (जन्म- [[31 मार्च]], 1504, मुक्तसर, [[पंजाब]]; मृत्यु- [[28 मार्च]], 1552, [[अमृतसर]], पंजाब, [[भारत]]) सिक्खों के दूसरे गुरु थे। |
*इनको [[गुरु नानक]] ने ही इस पद के लिए मनोनीत किया था। | *इनको [[गुरु नानक]] ने ही इस पद के लिए मनोनीत किया था। | ||
*नानक इनको अपने शिष्यों में सबसे अधिक मानते थे और अपने दोनों पुत्रों को छोड़कर उन्होंने अंगद को ही अपना उत्तराधिकारी चुना था। | *नानक इनको अपने शिष्यों में सबसे अधिक मानते थे और अपने दोनों पुत्रों को छोड़कर उन्होंने अंगद को ही अपना उत्तराधिकारी चुना था। | ||
− | *गुरु अंगद श्रेष्ठ चरित्रवान व्यक्ति और | + | *गुरु अंगद श्रेष्ठ चरित्रवान व्यक्ति और सिक्खों के उच्चकोटि के नेता थे, जिन्होंने अनुयायियों का 14 वर्ष (1538-52 ई.) तक नेतृत्व किया। |
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} |
13:23, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
- गुरु अंगद देव (जन्म- 31 मार्च, 1504, मुक्तसर, पंजाब; मृत्यु- 28 मार्च, 1552, अमृतसर, पंजाब, भारत) सिक्खों के दूसरे गुरु थे।
- इनको गुरु नानक ने ही इस पद के लिए मनोनीत किया था।
- नानक इनको अपने शिष्यों में सबसे अधिक मानते थे और अपने दोनों पुत्रों को छोड़कर उन्होंने अंगद को ही अपना उत्तराधिकारी चुना था।
- गुरु अंगद श्रेष्ठ चरित्रवान व्यक्ति और सिक्खों के उच्चकोटि के नेता थे, जिन्होंने अनुयायियों का 14 वर्ष (1538-52 ई.) तक नेतृत्व किया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ