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==स्थापना==
 
==स्थापना==
बाली शहर, हावड़ा जिला, दक्षिण-पूर्वी पश्चिम बंगाल राज्य, पूर्वोत्तर भारत में, हुगली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। बाली इंडोनीसिया का, जावा के सन्निकट पर स्थित एक द्वीप है। जहाँ पर वर्तमान काल में भी प्राचीन हिंदू धर्म और संस्कृति जीवित अवस्था में है। संम्भवत: गुप्तकाल चौथी पाँचवीं शती ई॰ में इस द्वीप में हिंदू उपनिवेश एवं राज्य स्थापित हुआ था। कहा जाता है कि इस द्वीप का नाम पुराणों में प्रसिद्ध, पाताल देश के राजा बलि के नाम पर रखा गया है। हुगली से बारानगर के बीच बना हुगली पुल 1931 में खोला गया था।   
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बाली शहर, [[हावड़ा जिला]], दक्षिण-पूर्वी पश्चिम [[बंगाल]] राज्य, पूर्वोत्तर [[भारत]] में, [[हुगली नदी]] के पश्चिमी तट पर स्थित है। बाली [[इंडोनीसिया]] का, [[जावा]] के सन्निकट पर स्थित एक द्वीप है। जहाँ पर वर्तमान काल में भी प्राचीन [[हिंदू धर्म]] और संस्कृति जीवित अवस्था में है। संम्भवत: गुप्तकाल चौथी पाँचवीं शती ई॰ में इस द्वीप में हिंदू उपनिवेश एवं राज्य स्थापित हुआ था। कहा जाता है कि इस द्वीप का नाम पुराणों में प्रसिद्ध, पाताल देश के राजा [[बलि]] के नाम पर रखा गया है। [[हुगली]] से [[बारानगर]] के बीच बना हुगली पुल 1931 में खोला गया था।   
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
चीन के लियांगवंश (502-556 ई॰) के इतिहास में इस द्वीप का सर्वप्रथम ऐतिहासिक उल्लेख मिलता है जहाँ इसे पोली कहा गया है। इस उल्लेख से विदित होता है कि बाली में इस काल में एक समृद्धशाली तथा उन्नत हिंदू राज्य स्थापित था। यहाँ के राजा बौद्धधर्म में भी श्रद्धा रखते थे। इस राज्य की ओर से 1518 ई॰ में चीन को एक राजदूत भेजा गया था। चीनी यात्री इत्सिंग लिखता है कि बाली दक्षिण समुद्र के उन द्वीपों में है जहाँ मूल सर्वास्तिवाद निकाय का सर्वत्र प्रचार है। मध्य युग में जावा व अन्य द्वीपों में अरबों के आक्रमण हुए और प्राचीन हिंदू राज्यों की सत्ता समाप्त हो गई किंतु बाली तक ये अरब न पहुँच सके। फलस्वरूप यहाँ की प्राचीन हिंदू सभ्यता और संस्कृति व धार्मिक परंपरा वर्तमान काल तक प्राय: अक्षुण्ण बनी रही है। 18वीं शती में बाली पर डचों का राजनैतिक अधिकार हो गया था। किंतु उनका प्रभाव यहाँ के केबल राजनैतिक जीवन पर ही पड़ा और बाली निवासियों की सामाजिक और धार्मिक परंपरा में बहुत कम परिवर्तन हए थे। कहा जाता है कि इस द्वीप का नाम पुराणों में प्रसिद्ध, पाताल देश के राजा बलि के नाम पर रखा गया है।
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चीन के लियांगवंश (502-556 ई॰) के इतिहास में इस द्वीप का सर्वप्रथम ऐतिहासिक उल्लेख मिलता है जहाँ इसे पोली कहा गया है। इस उल्लेख से विदित होता है कि बाली में इस काल में एक समृद्धशाली तथा उन्नत हिंदू राज्य स्थापित था। यहाँ के राजा [[बौद्धधर्म]] में भी श्रद्धा रखते थे। इस राज्य की ओर से 1518 ई॰ में चीन को एक राजदूत भेजा गया था। चीनी यात्री इत्सिंग लिखता है कि बाली दक्षिण समुद्र के उन द्वीपों में है जहाँ मूल सर्वास्तिवाद निकाय का सर्वत्र प्रचार है। मध्य युग में जावा व अन्य द्वीपों में अरबों के आक्रमण हुए और प्राचीन हिंदू राज्यों की सत्ता समाप्त हो गई किंतु बाली तक ये [[अरब]] न पहुँच सके। फलस्वरूप यहाँ की प्राचीन हिंदू सभ्यता और संस्कृति व धार्मिक परंपरा वर्तमान काल तक प्राय: अक्षुण्ण बनी रही है। 18वीं शती में बाली पर [[डचों]] का राजनैतिक अधिकार हो गया था। किंतु उनका प्रभाव यहाँ के केबल राजनैतिक जीवन पर ही पड़ा और बाली निवासियों की सामाजिक और धार्मिक परंपरा में बहुत कम परिवर्तन हए थे। कहा जाता है कि इस द्वीप का नाम पुराणों में प्रसिद्ध, पाताल देश के राजा बलि के नाम पर रखा गया है।
 
==यातायात और परिवहन==
 
==यातायात और परिवहन==
बाली,हावड़ा शहरी संकेंद्रण का एक हिस्सा है। यह शहर खड़गपुर और वर्द्धमान से सड़क व रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। यह हुगली में चलने वाले स्टीमरों का स्टेशन भी है।
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बाली,हावड़ा शहरी संकेंद्रण का एक हिस्सा है। यह शहर [[खड़गपुर]] और [[वर्द्धमान]] से सड़क व रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। यह हुगली में चलने वाले स्टीमरों का स्टेशन भी है।
 
==उद्योग और व्यापार==
 
==उद्योग और व्यापार==
बाली शहर के प्रमुख उघोगों में जूट, कागज, हड्डियों का चूरा, लौह-इस्पात रोलिंग, रासायनिक उर्वरक, सूती कपड़े, ईंट और कांच के निर्माण आदि का व्यवसाय शामिल हैं।
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बाली शहर के प्रमुख उघोगों में [[जूट]], [[कागज]], हड्डियों का चूरा, [[लौह-इस्पात]] रोलिंग, रासायनिक उर्वरक, सूती कपड़े, [[ईंट]] और [[कांच]] के निर्माण आदि का व्यवसाय शामिल हैं।
 
==शिक्षण संस्थान==
 
==शिक्षण संस्थान==
1883 में नगरपालिका बने बाली शहर में, कलकत्ता के रबींन्द्र भारती विश्वविद्यालय से संबद्ध एक महाविद्यालय हैं।  
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1883 में नगरपालिका बने बाली शहर में, [[कलकत्ता]] के रबींन्द्र भारती विश्वविद्यालय से संबद्ध एक महाविद्यालय हैं।  
 
==जनसंख्या==
 
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बाली शहर की जनसंख्या 2001= 261575 है। बाली उपनगर की कुल जनसंख्या 92,906 है।
 
बाली शहर की जनसंख्या 2001= 261575 है। बाली उपनगर की कुल जनसंख्या 92,906 है।
 
==पर्यटन==
 
==पर्यटन==
बाली शहर एक विश्व विख्यात पर्यटन स्थान है जिसकी कला, संगीत, नृत्य और मन्दिर मनमोहक हैं। यहां की राजधानी देनपसार नगर है। बाली शहर कला और संस्कृति का प्रधान स्थान है। बाली में जिम्बरन एक स्थान है। जो पहले मछुओं का ग्राम था। और अब एक पर्यटन स्थल है।
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बाली शहर एक विश्व विख्यात पर्यटन स्थान है जिसकी [[कला]], [[संगीत]], [[नृत्य]] और मन्दिर मनमोहक हैं। यहाँ की राजधानी [[देनपसार]] नगर है। बाली शहर कला और संस्कृति का प्रधान स्थान है। बाली में [[जिम्बरन]] एक स्थान है। जो पहले मछुओं का ग्राम था। और अब एक पर्यटन स्थल है।
इस द्वीप के उत्तरी तट पर सिंहराज नगर स्थापित है। अगुंग पर्वत और ज्वालामुखी बतुर पर्वत दो ऊँची चोटियाँ हैं। बाली शहर में इंडोनीसिया के दक्षिणी क्षेत्र में अनेक खूबसूरत द्वीप स्थित हैं।
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इस द्वीप के उत्तरी तट पर सिंहराज नगर स्थापित है। [[अगुंग पर्वत]] और [[ज्वालामुखी]] [[बतुर पर्वत]] दो ऊँची चोटियाँ हैं। बाली शहर में इंडोनीसिया के दक्षिणी क्षेत्र में अनेक खूबसूरत द्वीप स्थित हैं।
 
==विशेष==
 
==विशेष==
  
बाली देश की प्राचीन भाषा को कवि कहते है जो संस्कृत में बहुत अधिक प्रभावित है। बाली में संस्कृत भाषा में भी अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। रामायण और महाभारत का बाली के दैनिक जीवन में आज भी अमिट प्रभाव है।
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बाली देश की प्राचीन भाषा को कवि कहते है जो संस्कृत में बहुत अधिक प्रभावित है। बाली में संस्कृत भाषा में भी अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। [[रामायण]] और [[महाभारत]] का बाली के दैनिक जीवन में आज भी अमिट प्रभाव है।

09:00, 10 मई 2010 का अवतरण

स्थापना

बाली शहर, हावड़ा जिला, दक्षिण-पूर्वी पश्चिम बंगाल राज्य, पूर्वोत्तर भारत में, हुगली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। बाली इंडोनीसिया का, जावा के सन्निकट पर स्थित एक द्वीप है। जहाँ पर वर्तमान काल में भी प्राचीन हिंदू धर्म और संस्कृति जीवित अवस्था में है। संम्भवत: गुप्तकाल चौथी पाँचवीं शती ई॰ में इस द्वीप में हिंदू उपनिवेश एवं राज्य स्थापित हुआ था। कहा जाता है कि इस द्वीप का नाम पुराणों में प्रसिद्ध, पाताल देश के राजा बलि के नाम पर रखा गया है। हुगली से बारानगर के बीच बना हुगली पुल 1931 में खोला गया था।

इतिहास

चीन के लियांगवंश (502-556 ई॰) के इतिहास में इस द्वीप का सर्वप्रथम ऐतिहासिक उल्लेख मिलता है जहाँ इसे पोली कहा गया है। इस उल्लेख से विदित होता है कि बाली में इस काल में एक समृद्धशाली तथा उन्नत हिंदू राज्य स्थापित था। यहाँ के राजा बौद्धधर्म में भी श्रद्धा रखते थे। इस राज्य की ओर से 1518 ई॰ में चीन को एक राजदूत भेजा गया था। चीनी यात्री इत्सिंग लिखता है कि बाली दक्षिण समुद्र के उन द्वीपों में है जहाँ मूल सर्वास्तिवाद निकाय का सर्वत्र प्रचार है। मध्य युग में जावा व अन्य द्वीपों में अरबों के आक्रमण हुए और प्राचीन हिंदू राज्यों की सत्ता समाप्त हो गई किंतु बाली तक ये अरब न पहुँच सके। फलस्वरूप यहाँ की प्राचीन हिंदू सभ्यता और संस्कृति व धार्मिक परंपरा वर्तमान काल तक प्राय: अक्षुण्ण बनी रही है। 18वीं शती में बाली पर डचों का राजनैतिक अधिकार हो गया था। किंतु उनका प्रभाव यहाँ के केबल राजनैतिक जीवन पर ही पड़ा और बाली निवासियों की सामाजिक और धार्मिक परंपरा में बहुत कम परिवर्तन हए थे। कहा जाता है कि इस द्वीप का नाम पुराणों में प्रसिद्ध, पाताल देश के राजा बलि के नाम पर रखा गया है।

यातायात और परिवहन

बाली,हावड़ा शहरी संकेंद्रण का एक हिस्सा है। यह शहर खड़गपुर और वर्द्धमान से सड़क व रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। यह हुगली में चलने वाले स्टीमरों का स्टेशन भी है।

उद्योग और व्यापार

बाली शहर के प्रमुख उघोगों में जूट, कागज, हड्डियों का चूरा, लौह-इस्पात रोलिंग, रासायनिक उर्वरक, सूती कपड़े, ईंट और कांच के निर्माण आदि का व्यवसाय शामिल हैं।

शिक्षण संस्थान

1883 में नगरपालिका बने बाली शहर में, कलकत्ता के रबींन्द्र भारती विश्वविद्यालय से संबद्ध एक महाविद्यालय हैं।

जनसंख्या

बाली शहर की जनसंख्या 2001= 261575 है। बाली उपनगर की कुल जनसंख्या 92,906 है।

पर्यटन

बाली शहर एक विश्व विख्यात पर्यटन स्थान है जिसकी कला, संगीत, नृत्य और मन्दिर मनमोहक हैं। यहाँ की राजधानी देनपसार नगर है। बाली शहर कला और संस्कृति का प्रधान स्थान है। बाली में जिम्बरन एक स्थान है। जो पहले मछुओं का ग्राम था। और अब एक पर्यटन स्थल है। इस द्वीप के उत्तरी तट पर सिंहराज नगर स्थापित है। अगुंग पर्वत और ज्वालामुखी बतुर पर्वत दो ऊँची चोटियाँ हैं। बाली शहर में इंडोनीसिया के दक्षिणी क्षेत्र में अनेक खूबसूरत द्वीप स्थित हैं।

विशेष

बाली देश की प्राचीन भाषा को कवि कहते है जो संस्कृत में बहुत अधिक प्रभावित है। बाली में संस्कृत भाषा में भी अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। रामायण और महाभारत का बाली के दैनिक जीवन में आज भी अमिट प्रभाव है।