"वन्य जीवन संरक्षण" के अवतरणों में अंतर
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राष्ट्रीय वन्य जीवन कार्य योजना वन्य जीवन संरक्षण के लिए कार्यनीति कार्यक्रम और परियोजना की रूप रेखा प्रस्तुत करती है। भारतीय वन्य जीवन बोर्ड जिसके अध्यक्ष [[प्रधानमंत्री]] होते हैं, वन्य जीवन संरक्षण की अनेक योजनाओं के अमलीकरण की निगरानी और निर्देशन करने वाला शीर्ष सलाहकार है। वर्तमान में संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत 84 [[राष्ट्रीय उद्यान]] और 447 राष्ट्रीय अभयारण्य आते हैं, जो देश के सकल भौगोलिक क्षेत्र का 4.5 प्रतिशत है। वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम, 1972 जम्मू कश्मीर को छोड़कर, क्योंकि इसका अपना अधिनियम है, शेष सभी राज्यों में स्वीकार किया जा चुका है। इसमें वन्य जीवन संरक्षण और विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के संरक्षण के लिए दिशा-निर्देश दिये गये हैं। दुर्लभ और विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के व्यापार पर इस अधिनियम ने रोक लगा दी है। | राष्ट्रीय वन्य जीवन कार्य योजना वन्य जीवन संरक्षण के लिए कार्यनीति कार्यक्रम और परियोजना की रूप रेखा प्रस्तुत करती है। भारतीय वन्य जीवन बोर्ड जिसके अध्यक्ष [[प्रधानमंत्री]] होते हैं, वन्य जीवन संरक्षण की अनेक योजनाओं के अमलीकरण की निगरानी और निर्देशन करने वाला शीर्ष सलाहकार है। वर्तमान में संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत 84 [[राष्ट्रीय उद्यान]] और 447 राष्ट्रीय अभयारण्य आते हैं, जो देश के सकल भौगोलिक क्षेत्र का 4.5 प्रतिशत है। वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम, 1972 जम्मू कश्मीर को छोड़कर, क्योंकि इसका अपना अधिनियम है, शेष सभी राज्यों में स्वीकार किया जा चुका है। इसमें वन्य जीवन संरक्षण और विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के संरक्षण के लिए दिशा-निर्देश दिये गये हैं। दुर्लभ और विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के व्यापार पर इस अधिनियम ने रोक लगा दी है। | ||
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09:48, 28 अप्रैल 2012 का अवतरण
राष्ट्रीय वन्य जीवन कार्य योजना वन्य जीवन संरक्षण के लिए कार्यनीति कार्यक्रम और परियोजना की रूप रेखा प्रस्तुत करती है। भारतीय वन्य जीवन बोर्ड जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं, वन्य जीवन संरक्षण की अनेक योजनाओं के अमलीकरण की निगरानी और निर्देशन करने वाला शीर्ष सलाहकार है। वर्तमान में संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत 84 राष्ट्रीय उद्यान और 447 राष्ट्रीय अभयारण्य आते हैं, जो देश के सकल भौगोलिक क्षेत्र का 4.5 प्रतिशत है। वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम, 1972 जम्मू कश्मीर को छोड़कर, क्योंकि इसका अपना अधिनियम है, शेष सभी राज्यों में स्वीकार किया जा चुका है। इसमें वन्य जीवन संरक्षण और विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के संरक्षण के लिए दिशा-निर्देश दिये गये हैं। दुर्लभ और विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के व्यापार पर इस अधिनियम ने रोक लगा दी है।
बाघ संरक्षण
फरवरी, 2008 में प्रस्तुत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार देश में 2001-02 में बाघों की संख्या 3642 थी जो वर्तमान के घटकर 1411 हो गयी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एकमात्र तमिलनाडु ही ऐसा राज्य है जहां इन पांच वर्षो में बाघ संख्या में वृद्धि हुई है। 2001-02 में तमिलनाडु में 60 बाघ थे तथा यह संख्या अब 76 बाघ पाये गये हैं। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में 300 व छत्तीसगढ़ में 26 बाघ पाये गये हैं, जबकि 2001-02 में इन राज्यों में यह संख्या 710 से 227 थी। अन्य राज्यों में राजस्थान 32 (2001-02 में 58), आंध्र प्रदेश में 95 (2001-02 मे 192 ), महाराष्ट्र में 103 (2001-02 में 238 ), कर्नाटक में 290 (2001-02 में 401) व केरल में 46 (2001-02 में 71) बाघ पाये जाते हैं।
आरक्षित क्षेत्र
भारत के सभी जैवमण्डलीय आरक्षित क्षेत्रों में से वर्तमान में चार को यूएनईएससीओ द्वारा विश्व जालतंत्र में मान्यता प्रदान की गई है। ये चार जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र हैं -
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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