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'''गौरझामर''' [[सागर ज़िला]], [[मध्य प्रदेश]] के [[ऐतिहासिक स्थान|ऐतिहासिक स्थानों]] में से एक है। [[इतिहास]] में इसका बड़ा महत्त्व था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=310|url=}}</ref>
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'''गौरझामर''' [[सागर ज़िला]], [[मध्य प्रदेश]] के [[ऐतिहासिक स्थान|ऐतिहासिक स्थानों]] में से एक है। [[इतिहास]] में इसका बड़ा महत्त्व था। गौरझामर गढ़मंडला नरेश [[संग्राम सिंह]], जिनकी मृत्यु 1541 ई. में हुई थी, के बावन गढ़ों में से एक था। संग्राम सिंह वीरांगना [[रानी दुर्गावती]] के [[श्वसुर]] थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=310|url=}}</ref>
 
 
*गौरझामर गढ़मंडला नरेश [[संग्राम सिंह]], जिनकी मृत्यु 1541 ई. में हुई थी, के बावन गढ़ों में से एक था।
 
*संग्राम सिंह वीरांगना [[रानी दुर्गावती]] के [[श्वसुर]] थे।
 
  
 
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11:00, 8 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण

गौरझामर सागर ज़िला, मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। इतिहास में इसका बड़ा महत्त्व था। गौरझामर गढ़मंडला नरेश संग्राम सिंह, जिनकी मृत्यु 1541 ई. में हुई थी, के बावन गढ़ों में से एक था। संग्राम सिंह वीरांगना रानी दुर्गावती के श्वसुर थे।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 310 |

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