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'''मुलायम सिंह यादव''' (जन्म- [[22 नवम्बर]], [[1939]], [[इटावा]], [[उत्तर प्रदेश]]) एक प्रसिद्ध राजनेता और उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व [[मुख्यमंत्री]] हैं। वे एक किसान नेता और जनता के बीच 'नेताजी' तथा 'धरतीपुत्र' के नाम से भी जाने जाते हैं। मुलायम सिंह तीन बार, [[1989]] से [[1991]] तक, [[1993]] से [[1995]] तक और [[2003]] से [[2007]] तक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की गरिमा बढ़ा चुके हैं। वे केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षामंत्री के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। [[भारत]] की '[[समाजवादी पार्टी]]' के वे अध्यक्ष हैं।
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'''मुलायम सिंह यादव''' (जन्म- [[22 नवम्बर]], [[1939]], [[इटावा]], [[उत्तर प्रदेश]]) एक प्रसिद्ध राजनेता और उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व [[मुख्यमंत्री]] हैं। वे एक किसान नेता और जनता के बीच 'नेताजी' तथा 'धरतीपुत्र' के नाम से भी जाने जाते हैं। मुलायम सिंह तीन बार, [[1989]] से [[1991]] तक, [[1993]] से [[1995]] तक और [[2003]] से [[2007]] तक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की गरिमा बढ़ा चुके हैं। वे केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षामंत्री के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। [[भारत]] की '[[समाजवादी पार्टी]]' के वे अध्यक्ष हैं। मुलायम सिंह यादव के विषय में [[चौधरी चरण सिंह]] कहते थे- "यह छोटे कद का बड़ा नेता है"। कालांतर में उसी छोटे कद के बड़े नेता ने चौधरी चरण सिंह की पूरी राजनीतिक विरासत पर कब्जा कर लिया और उनके बेटे [[अजित सिंह]] को सियासत के हाशिये पर पहुँचा दिया।
 
==जीवन परिचय==
 
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[[नवम्बर]], 1939 को [[इटावा ज़िला]], सैफई गाँव के एक किसान परिवार में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था। उनकी [[माता]] का नाम 'मूर्ति देवी' व [[पिता]] 'सुधर सिंह' थे। मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतन सिंह से छोटे व अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह यादव, रामगोपाल सिंह यादव और कमला देवी से बड़े हैं। मुलायम सिंह के पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.ए.) और जैन इन्टर कालेज, करहल ([[मैनपुरी]]) से बी. टी. कि डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों तक इन्टर कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया।
 
[[नवम्बर]], 1939 को [[इटावा ज़िला]], सैफई गाँव के एक किसान परिवार में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था। उनकी [[माता]] का नाम 'मूर्ति देवी' व [[पिता]] 'सुधर सिंह' थे। मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतन सिंह से छोटे व अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह यादव, रामगोपाल सिंह यादव और कमला देवी से बड़े हैं। मुलायम सिंह के पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.ए.) और जैन इन्टर कालेज, करहल ([[मैनपुरी]]) से बी. टी. कि डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों तक इन्टर कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया।
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मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने [[ब्रिटेन]], [[रूस]], [[फ्रांस]], [[जर्मनी]], स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और [[नेपाल]] आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं।
 
मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने [[ब्रिटेन]], [[रूस]], [[फ्रांस]], [[जर्मनी]], स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और [[नेपाल]] आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं।
 
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==मुलायम सिंह पर पुस्तकें==
 
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मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं। इनमें पहली पुस्तक का नाम 'मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार' का है, जिसे अशोक कुमार शर्मा ने सम्पादित किया था। इसके अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान यादव द्वारा लिखी गयी 'मुलायम सिंह: ए पोलिटिकल बायोग्राफ़ी' अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है। [[लखनऊ]] की पत्रकार डॉ. नूतन ठाकुर ने भी मुलायम सिंह यादव के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक महत्व को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिखने का कार्य किया है।
 
मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं। इनमें पहली पुस्तक का नाम 'मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार' का है, जिसे अशोक कुमार शर्मा ने सम्पादित किया था। इसके अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान यादव द्वारा लिखी गयी 'मुलायम सिंह: ए पोलिटिकल बायोग्राफ़ी' अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है। [[लखनऊ]] की पत्रकार डॉ. नूतन ठाकुर ने भी मुलायम सिंह यादव के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक महत्व को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिखने का कार्य किया है।
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====पुरस्कार व सम्मान====
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पूर्व [[मुख्यमंत्री]] एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को [[28 मई]], 2012 को [[लंदन]] में 'अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ जूरिस्ट की जारी विज्ञप्ति में हाईकोर्ट ऑफ़ लंदन के सेवानिवृत न्यायाधीश सर गाविन लाइटमैन ने बताया कि श्री यादव का इस पुरस्कार के लिये चयन बार और पीठ की प्रगति में बेझिझक योगदान देना है। उन्होंने कहा कि श्री यादव का विधि एवं न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों में भाईचारा पैदा करने में सहयोग दुनियाभर में लाजवाब है।
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ज्ञातव्य है कि मुलायम सिंह यादव ने विधि क्षेत्र में खासा योगदान दिया है। समाज में भाईचारे की भावना पैदाकर मुलायम सिंह यादव ने लोगों को न्‍याय दिलाने में विशेष योगदान दिया है। उन्होंने कई विधि विश्‍वविद्यालयों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
 
==राजनीतिक सफर==
 
==राजनीतिक सफर==
 
#वर्ष [[1954]] में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान समाजवादी नेता [[डॉ. राम मनोहर लोहिया]] के आह्वान पर 'नहर रेट आन्दोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए।
 
#वर्ष [[1954]] में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान समाजवादी नेता [[डॉ. राम मनोहर लोहिया]] के आह्वान पर 'नहर रेट आन्दोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए।

07:21, 4 दिसम्बर 2012 का अवतरण

मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव
जन्म 22 नवम्बर, 1939
जन्म भूमि सैफई गाँव, इटावा, उत्तर प्रदेश
पति/पत्नी स्व. मालती देवी (प्रथम पत्नी), साधना गुप्ता
संतान अखिलेश यादव, प्रतीक यादव
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि किसान नेता और 'धरतीपुत्र' के नाम से प्रसिद्ध
पार्टी 'समाजवादी पार्टी'
पद पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश (तीन बार)
शिक्षा एम.ए., बी.टी.
विद्यालय 'आगरा विश्वविद्यालय', जैन इन्टर कालेज (मैनपुरी)
जेल यात्रा आपात काल में 19 माह जेल में रहे।
अन्य जानकारी वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर 'नहर रेट आन्दोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए।
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मुलायम सिंह यादव (जन्म- 22 नवम्बर, 1939, इटावा, उत्तर प्रदेश) एक प्रसिद्ध राजनेता और उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री हैं। वे एक किसान नेता और जनता के बीच 'नेताजी' तथा 'धरतीपुत्र' के नाम से भी जाने जाते हैं। मुलायम सिंह तीन बार, 1989 से 1991 तक, 1993 से 1995 तक और 2003 से 2007 तक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की गरिमा बढ़ा चुके हैं। वे केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षामंत्री के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। भारत की 'समाजवादी पार्टी' के वे अध्यक्ष हैं। मुलायम सिंह यादव के विषय में चौधरी चरण सिंह कहते थे- "यह छोटे कद का बड़ा नेता है"। कालांतर में उसी छोटे कद के बड़े नेता ने चौधरी चरण सिंह की पूरी राजनीतिक विरासत पर कब्जा कर लिया और उनके बेटे अजित सिंह को सियासत के हाशिये पर पहुँचा दिया।

जीवन परिचय

नवम्बर, 1939 को इटावा ज़िला, सैफई गाँव के एक किसान परिवार में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था। उनकी माता का नाम 'मूर्ति देवी' व पिता 'सुधर सिंह' थे। मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतन सिंह से छोटे व अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह यादव, रामगोपाल सिंह यादव और कमला देवी से बड़े हैं। मुलायम सिंह के पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.ए.) और जैन इन्टर कालेज, करहल (मैनपुरी) से बी. टी. कि डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों तक इन्टर कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया।

विवाह

मुलायम सिंह जी का प्रथम विवाह मालती देवी के साथ हुआ था। उनके पुत्र अखिलेश यादव का जन्म इन्हीं के गर्भ से 1 जुलाई, 1973 को हुआ। लेकिन अखिलेश यादव के बाल्यकाल में ही मालती देवी का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद मुलायम सिंह यादव का दूसरा विवाह साधना गुप्ता के साथ सम्पन्न हुआ, जिनसे इन्हें प्रतीक यादव के रूप में दूसरे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

राजनीति में प्रवेश

'समाजवादी पार्टी' के नेता मुलायम सिंह यादव पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से ही अपना राजनीतिक सफर आरम्भ किया था। 1967 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश, विधान सभा के लिए चुने गए थे। शुरुआत से ही मुलायम सिंह यादव दलितों और पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दे उठाते रहे और आज भी यह वर्ग उनका सबसे बड़ा आधार हैं। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर हिन्दू कट्टपंथी संगठनो के उनके मुखर विरोध ने मुलायम सिंह को मुस्लिम समुदाय में भी लोकप्रिय बना दिया। 1992 में बाबरी मस्जिद टूटने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति सांप्रदायिक आधार पर बँट गई और मुलायम सिंह को राज्य के मुस्लिमों का समर्थन हासिल हुआ। अल्पसंख्यकों के प्रति उनके रुझान को देखते हुए कहीं-कहीं उन पर "मौलाना मुलायम" का ठप्पा भी लगा।[1]

मुख्यमंत्री

वर्ष 1993 में मुलायम सिंह यादव ने 'बहुजन समाज पार्टी' के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि यह मोर्चा जीता नहीं, लेकिन 'भारतीय जनता पार्टी' भी सरकार बनाने से चूक गई। मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस और जनता दल दोनों का साथ लिया और फिर मुख्यमंत्री बन गए। जून 1995 तक वे मुख्यमंत्री रहे और उसके बाद कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया। 1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे। यह सरकार बहुत लंबे समय तक चली नहीं। मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी, मगर लालू यादव ने इस इरादे पर पानी फेर दिया। इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा वापस में लौटे। असल में वे कन्नौज भी जीते थे, किंतु वहाँ से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनाया।[2]

केंद्रीय राजनीति

केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ, जब काँग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। 'भारतीय जनता पार्टी' के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस के नज़दीक होंगे, लेकिन 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। 2002 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।

राजनैतिक दर्शन तथा विदेश यात्रा

मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और नेपाल आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं।

लोकसभा सदस्य

Blockquote-open.gif कहा जाता है कि मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं। समाजवाद के फ़्राँसीसी पुरोधा कॉम डी सिमॉन की अभिजात्यवर्गीय पृष्ठभूमि के विपरीत उनका भारतीय संस्करण केंद्रीय भारत के कभी निपट गाँव रहे सैंफई के अखाड़े में तैयार हुआ है। वहाँ उन्होंने पहलवानी के साथ ही राजनीति के पैंतरे भी सीखे। Blockquote-close.gif

लोकसभा से मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।

सदस्यता

  • विधान परिषद 1982-1985
  • विधान सभा 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 (आठ बार)
  • विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद 1982-1985
  • विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा 1985-1987

केंद्रीय कैबिनेट मंत्री

  • मंत्री सहकारिता और पशुपालन 1977
  • रक्षा मंत्री 1996-1998

मुलायम सिंह पर पुस्तकें

मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं। इनमें पहली पुस्तक का नाम 'मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार' का है, जिसे अशोक कुमार शर्मा ने सम्पादित किया था। इसके अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान यादव द्वारा लिखी गयी 'मुलायम सिंह: ए पोलिटिकल बायोग्राफ़ी' अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है। लखनऊ की पत्रकार डॉ. नूतन ठाकुर ने भी मुलायम सिंह यादव के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक महत्व को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिखने का कार्य किया है।

पुरस्कार व सम्मान

पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को 28 मई, 2012 को लंदन में 'अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ जूरिस्ट की जारी विज्ञप्ति में हाईकोर्ट ऑफ़ लंदन के सेवानिवृत न्यायाधीश सर गाविन लाइटमैन ने बताया कि श्री यादव का इस पुरस्कार के लिये चयन बार और पीठ की प्रगति में बेझिझक योगदान देना है। उन्होंने कहा कि श्री यादव का विधि एवं न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों में भाईचारा पैदा करने में सहयोग दुनियाभर में लाजवाब है।

ज्ञातव्य है कि मुलायम सिंह यादव ने विधि क्षेत्र में खासा योगदान दिया है। समाज में भाईचारे की भावना पैदाकर मुलायम सिंह यादव ने लोगों को न्‍याय दिलाने में विशेष योगदान दिया है। उन्होंने कई विधि विश्‍वविद्यालयों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

राजनीतिक सफर

  1. वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर 'नहर रेट आन्दोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए।
  2. वर्ष 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये।
  3. पुनः वर्ष 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993, 1996 और 2004 तथा 2007 में दस बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये।
  4. वर्ष 1977-1978 में श्री राम नरेश यादव और श्री बनारसी दास मंत्रिमण्डल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए।
  5. तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे - वर्ष 1989 से 1991 तक, वर्ष 1993 से 1995 तक और वर्ष 2003 से 2007 तक।
  6. वर्ष 1982 से 1985 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे।
  7. वर्ष 1985 से 1987 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे। पुनः 14 मई, 2007 से 26 मई, 2009 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे।
  8. वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा के सदस्य चुने गये।
  9. प्रधानमंत्री श्री एच. डी. देवेगौडा और श्री इन्द्र कुमार गुजराल की सरकारों में 1996 से 1998 तक भारत के रक्षामंत्री का पदभार सम्भाला।
  10. मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में 4 नवम्बर और 5 नवम्बर, 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की स्थापना की गयी। भारत के राजनीतिक इतिहास की यह एक क्रान्तिकारी घटना थी, जब लगभग डेढ़-दो दशकों से मृतप्राय समाजवादी आन्दोलन को पुनर्जीवित किया गया।
  11. समाजवादी पार्टी की स्थापना से पूर्व मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश लोकदल और उत्तर प्रदेश जनता दल के अध्यक्ष रहे थे।
  12. आपात काल में मुलायम सिंह 19 माह जेल में भी रहे।
  13. अक्टूबर, 1992 में देवरिया के रामकोला में गन्ना किसानों पर पुलिस फ़ायरिंग के ख़िलाफ़ चलाए गए किसान आन्दोलन सहित विभिन्न आन्दोलनों में 9 बार इटावा, वाराणसी और फ़तेहगढ़ आदि जेलों में रहे।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मुलायम सिंह यादव (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 31 अगस्त, 2012।
  2. मुलायम सिंह यादव (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।
  3. मुलायम सिंह यादव (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 31 अगस्त, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

मुलायम सिंह पर पुस्तकें

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