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[[चित्र:Nazeer-Akbarabadi.jpg|right|80px|नज़ीर अकबराबादी|link=नज़ीर अकबराबादी|border]]
* '''[[राहुल सांकृत्यायन]]''' को [[हिन्दी]] यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए।
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* सन् 1930 ई. में [[लंका]] में [[बौद्ध]] होने पर उनका नाम 'राहुल' पड़ा। बौद्ध होने के पूर्व राहुल जी 'दामोदर स्वामी' के नाम से भी पुकारे जाते थे।
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        '''[[नज़ीर अकबराबादी]]''' [[उर्दू]] में नज़्म लिखने वाले पहले कवि माने जाते हैं। समाज की हर छोटी-बड़ी ख़ूबी को नज़ीर साहब ने कविता में तब्दील कर दिया। ककड़ी, [[जलेबी]] और तिल के लड्डू जैसी वस्तुओं पर लिखी गई कविताओं को आलोचक कविता मानने से इन्कार करते रहे। बाद में नज़ीर साहब की 'उत्कृष्ट शायरी' को पहचाना गया और आज वे उर्दू साहित्य के शिखर पर विराजमान चन्द नामों के साथ बाइज़्ज़त गिने जाते हैं। [[नज़ीर अकबराबादी|... और पढ़ें]]
* "कमर बाँध लो भावी घुमक्कड़ों, संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है" -राहुल सांकृत्यायन [[राहुल सांकृत्यायन|... और पढ़ें]]
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14:41, 1 जनवरी 2013 का अवतरण


एक व्यक्तित्व
नज़ीर अकबराबादी

        नज़ीर अकबराबादी उर्दू में नज़्म लिखने वाले पहले कवि माने जाते हैं। समाज की हर छोटी-बड़ी ख़ूबी को नज़ीर साहब ने कविता में तब्दील कर दिया। ककड़ी, जलेबी और तिल के लड्डू जैसी वस्तुओं पर लिखी गई कविताओं को आलोचक कविता मानने से इन्कार करते रहे। बाद में नज़ीर साहब की 'उत्कृष्ट शायरी' को पहचाना गया और आज वे उर्दू साहित्य के शिखर पर विराजमान चन्द नामों के साथ बाइज़्ज़त गिने जाते हैं। ... और पढ़ें


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