"सदस्य वार्ता:रवीन्द्रकीर्ति स्वामी" के अवतरणों में अंतर

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       जनदर्शन में अहिंसा - अनेकान्त - कर्मसिद्धान्त- अपरिग्रह-स्याद्वाद जैसे अनेक लोकोपकारी सर्वोदयी सिद्धान्तों का निरूपण किया गया है । उसी के साथ लोक और उसकी रचना के संबंध में विशाल साहित्य का निर्माण हुआ है । भगवान महावीर स्वामी ने अपनी दिव्यध्वनि में जिन विषयों का प्रतिपादन किया है । उनमें दृष्टिवाद नाम का एक अंग है उसके पाँच भेद हैं ।-
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       जैनदर्शन में अहिंसा - अनेकान्त - कर्मसिद्धान्त- अपरिग्रह-स्याद्वाद जैसे अनेक लोकोपकारी सर्वोदयी सिद्धान्तों का निरूपण किया गया है । उसी के साथ लोक और उसकी रचना के संबंध में विशाल साहित्य का निर्माण हुआ है । भगवान महावीर स्वामी ने अपनी दिव्यध्वनि में जिन विषयों का प्रतिपादन किया है । उनमें दृष्टिवाद नाम का एक अंग है उसके पाँच भेद हैं ।-
 
             चंद्र प्राप्ति, सूर्य प्रज्ञप्ति ,जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति ,द्वीप सागर प्रज्ञप्ति और व्याख्या प्रज्ञप्ति ।
 
             चंद्र प्राप्ति, सूर्य प्रज्ञप्ति ,जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति ,द्वीप सागर प्रज्ञप्ति और व्याख्या प्रज्ञप्ति ।
 
                             चंद्रप्रज्ञप्ति में चंद्रमा संबंधी विमान, आयु, परिवार, रिद्धि, गमन, हानि, वृद्धि, ग्रहण, अर्धग्रहण, चतुर्थांश ग्रहण आदि का वर्णन है । इसी प्रकार सूर्यप्रज्ञप्ति में सूर्य संबंधी आयु , परिवार, गमन, आदि का वर्णन है । जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में जम्बूद्वीप संबंधी मेरु,कुलाचल, महाहृद, ( तालाब-क्षेत्र-कुंडवन व्यन्तरों के आवास महानदी आदि ) का वर्णन है ।
 
                             चंद्रप्रज्ञप्ति में चंद्रमा संबंधी विमान, आयु, परिवार, रिद्धि, गमन, हानि, वृद्धि, ग्रहण, अर्धग्रहण, चतुर्थांश ग्रहण आदि का वर्णन है । इसी प्रकार सूर्यप्रज्ञप्ति में सूर्य संबंधी आयु , परिवार, गमन, आदि का वर्णन है । जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में जम्बूद्वीप संबंधी मेरु,कुलाचल, महाहृद, ( तालाब-क्षेत्र-कुंडवन व्यन्तरों के आवास महानदी आदि ) का वर्णन है ।
 
                                                                                                                                                                                     --- क्रमशः
 
                                                                                                                                                                                     --- क्रमशः

08:04, 1 फ़रवरी 2013 का अवतरण

      जैनदर्शन में अहिंसा - अनेकान्त - कर्मसिद्धान्त- अपरिग्रह-स्याद्वाद जैसे अनेक लोकोपकारी सर्वोदयी सिद्धान्तों का निरूपण किया गया है । उसी के साथ लोक और उसकी रचना के संबंध में विशाल साहित्य का निर्माण हुआ है । भगवान महावीर स्वामी ने अपनी दिव्यध्वनि में जिन विषयों का प्रतिपादन किया है । उनमें दृष्टिवाद नाम का एक अंग है उसके पाँच भेद हैं ।-
            चंद्र प्राप्ति, सूर्य प्रज्ञप्ति ,जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति ,द्वीप सागर प्रज्ञप्ति और व्याख्या प्रज्ञप्ति ।
                           चंद्रप्रज्ञप्ति में चंद्रमा संबंधी विमान, आयु, परिवार, रिद्धि, गमन, हानि, वृद्धि, ग्रहण, अर्धग्रहण, चतुर्थांश ग्रहण आदि का वर्णन है । इसी प्रकार सूर्यप्रज्ञप्ति में सूर्य संबंधी आयु , परिवार, गमन, आदि का वर्णन है । जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में जम्बूद्वीप संबंधी मेरु,कुलाचल, महाहृद, ( तालाब-क्षेत्र-कुंडवन व्यन्तरों के आवास महानदी आदि ) का वर्णन है ।
                                                                                                                                                                                    --- क्रमशः