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'''फरक्का परियोजना''' [[भारत]] की [[नदी घाटी परियोजनाएँ|नदी घाटी परियोजना]] है। यह परियोजना सन [[1963]] में शुरू हुई थी और [[1975]] में पूरी हुई।
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'''फरक्का परियोजना''' [[भारत]] की [[नदी घाटी परियोजनाएँ|नदी घाटी परियोजना]] है। यह परियोजना सन [[1963]] में शुरू हुई थी और [[1975]] में पूरी हुई। यह परियोजना [[गंगा]] और [[हुगली नदी]] प्रणाली की नौगम्यता बढ़ाने के लिए और गंगा नदी का [[जल]] हुगली नदी में मिलाने के लिए बनाई गई थी।
  
*यह परियोजना [[गंगा]] और [[हुगली नदी]] प्रणाली की नौगम्यता बढ़ाने के लिए और गंगा नदी का [[जल]] हुगली नदी में मिलाने के लिए बनाई गई थी।
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*इस परियोजना में [[पश्चिम बंगाल]] के [[मुर्शिदाबाद ज़िला|मुर्शिदाबाद ज़िले]] में फरक्का के निकट 2225 मीटर लंबा फरक्का बैराज, जंगीपुर में 213 मीटर लंबा बैराज, एक कैनाल हेड रेग्युलेटर जल को मोड़ने के लिए बनायी गई है। एक फीडर कैनाल [[इलाहाबाद]]-हल्दिया अंतर्देशीय जलमार्ग-1 पर [[भागीरथी नदी]] की जल क्षमता बढ़ाने के लिए बनाई गयी है। इस बैराज में 109 गेट हैं और यहाँ र्राइव 60 नहरे निकली गयी हैं। इस बैराज से 'फरक्का सुपर थर्मल पावर स्टेशन' को [[जल]] की आपूर्ति होती है।<ref>{{cite web |url= http://www.vivacepanorama.com/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF/|title= भारत में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ |accessmonthday= 15 नवम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= वाइवेस पेनोरमा|language= हिन्दी}}</ref>
*इस परियोजना में [[पश्चिम बंगाल]] के [[मुर्शिदाबाद ज़िला|मुर्शिदाबाद ज़िले]] में फरक्का के निकट 2225 मीटर लंबा फरक्का बैराज, जंगीपुर में 213 मीटर लंबा बैराज, एक कैनाल हेड रेग्युलेटर जल को मोड़ने के लिए बनायी गई है। एक फीडर कैनाल [[इलाहाबाद]]-हल्दिया अंतर्देशीय जलमार्ग-1 पर [[भागीरथी नदी]] की जल क्षमता बढ़ाने के लिए बनाई गयी है। इस बैराज में 109 गेट हैं और यहाँ र्राइव 60 नहरे निकली गयी हैं। इस बैराज से 'फरक्का सुपर थर्मल पावर स्टेशन' को जल की आपूर्ति होती है।<ref>{{cite web |url= http://www.vivacepanorama.com/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF/|title= भारत में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ |accessmonthday= 15 नवम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= वाइवेस पेनोरमा|language= हिन्दी}}</ref>
 
 
*फरक्का बाँध का निर्माण कोलकाता बंदरगाह को 'गाद' से मुक्त कराने के लिये किया गया था, जो की [[1950]] से [[1960]] तक इस बंदरगाह की प्रमुख समस्या थी।
 
*फरक्का बाँध का निर्माण कोलकाता बंदरगाह को 'गाद' से मुक्त कराने के लिये किया गया था, जो की [[1950]] से [[1960]] तक इस बंदरगाह की प्रमुख समस्या थी।
 
*[[ग्रीष्म ऋतु]] में [[हुगली नदी]] के बहाव को निरंतर बनाये रखने के लिये [[गंगा नदी]] के पानी के एक बड़े हिस्से को फरक्का बाँध द्वारा हुगली नदी में मोड़ दिया जाता है। इस पानी के वितरण के कारण [[बांग्लादेश]] और [[भारत]] में लंबा विवाद चला।
 
*[[ग्रीष्म ऋतु]] में [[हुगली नदी]] के बहाव को निरंतर बनाये रखने के लिये [[गंगा नदी]] के पानी के एक बड़े हिस्से को फरक्का बाँध द्वारा हुगली नदी में मोड़ दिया जाता है। इस पानी के वितरण के कारण [[बांग्लादेश]] और [[भारत]] में लंबा विवाद चला।
*गंगा नदी के प्रवाह की कमी के कारण बांग्लादेश जाने वाले पानी की लवणता बड़ जाती थी और मछली पालन, पेयजल, स्वास्थ और नौकायान प्रभावित हो जाता था।
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*गंगा नदी के प्रवाह की कमी के कारण बांग्लादेश जाने वाले पानी की लवणता बड़ जाती थी और [[मछली]] पालन, पेयजल, स्वास्थ्य और नौकायान प्रभावित हो जाता था।
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*[[मिट्टी]] में नमी की कमी के चलते बांग्लादेश के एक बड़े क्षेत्र की भूमि बंजर हो गयी थी। इस विवाद को सुलझाने के लिये [[भारत सरकार]] और बांग्लादेश सरकार दोनों ने आपस में समझौता करते हुए 'फरक्का जल संधि' की रूपरेखा रखी था।
  
 
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05:18, 16 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

फरक्का परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजना है। यह परियोजना सन 1963 में शुरू हुई थी और 1975 में पूरी हुई। यह परियोजना गंगा और हुगली नदी प्रणाली की नौगम्यता बढ़ाने के लिए और गंगा नदी का जल हुगली नदी में मिलाने के लिए बनाई गई थी।

  • इस परियोजना में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में फरक्का के निकट 2225 मीटर लंबा फरक्का बैराज, जंगीपुर में 213 मीटर लंबा बैराज, एक कैनाल हेड रेग्युलेटर जल को मोड़ने के लिए बनायी गई है। एक फीडर कैनाल इलाहाबाद-हल्दिया अंतर्देशीय जलमार्ग-1 पर भागीरथी नदी की जल क्षमता बढ़ाने के लिए बनाई गयी है। इस बैराज में 109 गेट हैं और यहाँ र्राइव 60 नहरे निकली गयी हैं। इस बैराज से 'फरक्का सुपर थर्मल पावर स्टेशन' को जल की आपूर्ति होती है।[1]
  • फरक्का बाँध का निर्माण कोलकाता बंदरगाह को 'गाद' से मुक्त कराने के लिये किया गया था, जो की 1950 से 1960 तक इस बंदरगाह की प्रमुख समस्या थी।
  • ग्रीष्म ऋतु में हुगली नदी के बहाव को निरंतर बनाये रखने के लिये गंगा नदी के पानी के एक बड़े हिस्से को फरक्का बाँध द्वारा हुगली नदी में मोड़ दिया जाता है। इस पानी के वितरण के कारण बांग्लादेश और भारत में लंबा विवाद चला।
  • गंगा नदी के प्रवाह की कमी के कारण बांग्लादेश जाने वाले पानी की लवणता बड़ जाती थी और मछली पालन, पेयजल, स्वास्थ्य और नौकायान प्रभावित हो जाता था।
  • मिट्टी में नमी की कमी के चलते बांग्लादेश के एक बड़े क्षेत्र की भूमि बंजर हो गयी थी। इस विवाद को सुलझाने के लिये भारत सरकार और बांग्लादेश सरकार दोनों ने आपस में समझौता करते हुए 'फरक्का जल संधि' की रूपरेखा रखी था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ (हिन्दी) वाइवेस पेनोरमा। अभिगमन तिथि: 15 नवम्बर, 2014।

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