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*5 अध्यायों 115 श्लोकों में निबद्ध, भगवान [[विष्णु]] प्रणीत, लघु विष्णु स्मृति में मुख्यतया चारों वर्णों के धर्म, [[ब्रह्मचर्य]] नियम, वानप्रस्थ, गृहस्थ एवं सन्यास धर्म का वर्णन है।  
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*5 अध्यायों 115 श्लोकों में निबद्ध, भगवान [[विष्णु]] प्रणीत, लघु विष्णु स्मृति में मुख्यतया चारों वर्णों के धर्म, [[ब्रह्मचर्य]] नियम, वानप्रस्थ, गृहस्थ एवं सन्न्यास धर्म का वर्णन है।  
*इसमें सन्यासियों के 4 भेद बताये गए हैं-'चतुर्विधा भिक्षुका: स्थु: कूटीचक्र बहूदकौ, हंस; परमहंसश्च पश्चाद यो य: स उत्तम:'<ref>4/11</ref>- कूटीचक, बहुदक, हंस, परमहंस सन्यासियों के धारणीय परिधान नियम-पालन आदि की व्याख्या चतुर्थ अध्याय में की गयी है।
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*इसमें सन्न्यासियों के 4 भेद बताये गए हैं-'चतुर्विधा भिक्षुका: स्थु: कूटीचक्र बहूदकौ, हंस; परमहंसश्च पश्चाद यो य: स उत्तम:'<ref>4/11</ref>- कूटीचक, बहुदक, हंस, परमहंस सन्न्यासियों के धारणीय परिधान नियम-पालन आदि की व्याख्या चतुर्थ अध्याय में की गयी है।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

12:05, 2 मई 2015 के समय का अवतरण

  • 5 अध्यायों 115 श्लोकों में निबद्ध, भगवान विष्णु प्रणीत, लघु विष्णु स्मृति में मुख्यतया चारों वर्णों के धर्म, ब्रह्मचर्य नियम, वानप्रस्थ, गृहस्थ एवं सन्न्यास धर्म का वर्णन है।
  • इसमें सन्न्यासियों के 4 भेद बताये गए हैं-'चतुर्विधा भिक्षुका: स्थु: कूटीचक्र बहूदकौ, हंस; परमहंसश्च पश्चाद यो य: स उत्तम:'[1]- कूटीचक, बहुदक, हंस, परमहंस सन्न्यासियों के धारणीय परिधान नियम-पालन आदि की व्याख्या चतुर्थ अध्याय में की गयी है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 4/11