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<div style="padding:3px">[[चित्र:Mohenjodaro-Sindh.jpg|सिन्ध में मोहनजोदाड़ो में हड़प्पा संस्कृति के अवशेष|right|120px|link=सिंधु घाटी सभ्यता|border]]</div>
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         '''[[सिंधु घाटी सभ्यता]]''' विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। आज से लगभग {{#expr:{{CURRENTYEAR}}-1940}} वर्ष पूर्व [[पाकिस्तान]] के 'पश्चिमी पंजाब प्रांत' के 'माण्टगोमरी ज़िले' में स्थित 'हरियाणा' के निवासियों को शायद इस बात का किंचित्मात्र भी आभास नहीं था कि वे अपने आस-पास की ज़मीन में दबी जिन ईटों का प्रयोग इतने धड़ल्ले से अपने मकानों के निर्माण में कर रहे हैं, वह कोई साधारण ईटें नहीं, बल्कि लगभग 5,000 वर्ष पुरानी और पूरी तरह विकसित सभ्यता के [[अवशेष]] हैं। इस अज्ञात सभ्यता की खोज का श्रेय 'रायबहादुर दयाराम साहनी' को जाता है। उन्होंने ही पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक 'सर जॉन मार्शल' के निर्देशन में 1921 में इस स्थान की खुदाई करवायी। लगभग एक वर्ष बाद 1922 में 'श्री राखल दास बनर्जी' के नेतृत्व में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के 'लरकाना' ज़िले के [[मोहनजोदाड़ो]] में स्थित एक [[बौद्ध]] [[स्तूप]] की खुदाई के समय एक और स्थान का पता चला। [[सिंधु घाटी सभ्यता|...और पढ़ें]]</poem>
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         '''[[रंग]]''' [शुद्ध: '''रङ्‌ग'''] अथवा '''वर्ण''' का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंग हज़ारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। प्राचीनकाल से ही रंग कला में [[भारत]] का विशेष योगदान रहा है। [[मुग़ल काल]] में भारत में रंग कला को अत्यधिक महत्त्व मिला। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ़ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी [[आँख|आँखों]] के [[वर्णक्रम]] से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से [[इंद्रधनुष]] के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], [[पीला रंग|पीला]], [[हरा रंग|हरा]], [[आसमानी रंग|आसमानी]], [[नीला रंग|नीला]] तथा [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] हैं। रंग से विभिन्न प्रकार की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश वस्तु, [[प्रकाश]] स्रोत इत्यादि के भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश विलयन, समावेशन, परावर्तन जुड़े होते हैं।। [[रंग|... और पढ़ें]]
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13:50, 22 मार्च 2016 का अवतरण

एक आलेख
Rgb-mix.jpg

        रंग [शुद्ध: रङ्‌ग] अथवा वर्ण का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंग हज़ारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। प्राचीनकाल से ही रंग कला में भारत का विशेष योगदान रहा है। मुग़ल काल में भारत में रंग कला को अत्यधिक महत्त्व मिला। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ़ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं। रंग से विभिन्न प्रकार की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश वस्तु, प्रकाश स्रोत इत्यादि के भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश विलयन, समावेशन, परावर्तन जुड़े होते हैं।। ... और पढ़ें

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