"संयुक्त राष्ट्र" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "स्त्रोत" to "स्रोत")
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{समाचार आधार}}
+
'''संयुक्त राष्ट्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''United Nations'') एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसके उद्देश्य में उल्लेख है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने के सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई। आज विश्व के हर देश एक-दूसरे पर अधिकार जमाने के लिए खड़े रहते हैं। कई देशों में आंतरिक कलह
==समाचार==
+
इतना अधिक हो चुका है कि वहां मानवीय मूल्यों की आहुति दी जा रही है। कई देशों में तानाशाहों का आतंक है तो आतंकवादी आए दिन लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। इन सबको नियंत्रण में करने के लिए हर देश अपने स्तर पर तो काम करते ही हैं साथ ही इन सबके ऊपर नजर रहती हैं दुनिया के सबसे बड़ी संघ की। संयुक्त राष्ट्र संघ के नाम से मशहूर यह अंतरराष्ट्रीय संस्थान जाति, धर्म और देश से ऊपर उठकर पूरे संसार के कल्याण के लिए काम करता है।
====<u>शुक्रवार, 12 नवंबर, 2010</u>====
+
==उद्देश्य==
[[चित्र:Un-women-news.jpg|thumb]]
+
संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य विश्व में युद्ध रोकना, मानव अधिकारों की रक्षा करना, अंतरराष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना, सामाजिक और आर्थिक विकास
'''<u>भारत ने जीती संयुक्त राष्ट्र की यूएन वीमेन संस्था सीट</u>'''<br />
+
उभारना, जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से लड़ना है। इस संगठन ने दुनिया भर में कई अहम मौकों पर मानव जीवन की सेवा कर एक आदर्श प्रस्तुत किया है। वर्तमान विश्व में कई देश हैं जो दूसरे देशों पर प्रभुत्व जताने और उन्हें हड़पने को तैयार रहते हैं पर संयुक्त राष्ट्र की कड़ी नजर की वजह से वह कुछ भी नहीं कर पाते। चाहे विश्व में शिक्षा को बढ़ावा देना हो या फिर एड्स जैसी बीमारी के प्रति जागरुकता फैलानी हो या तकनीक को आगे बढ़ाना हो यह हमेशा आगे रहता है।<ref name="JJ"/>
संयुक्त राष्ट्र की तरफ से महिलाओं की समानता और उनकी सशक्तिकरण के लिए बनाई गई नई संस्था यूएन वीमेन के लिए [[भारत]] ने सीट जीत ली है। संस्था की सीट जीतने के बाद संयुक्त राष्ट्र में [[भारत]] के दूत हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि भारत एक ऐसा देश है जिसने संयुक्त राष्ट्र में लैंगिक समानता और महिलाओं की सशक्तिकरण को काफ़ी महत्त्व के साथ रेखांकित किया है। राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की केंद्रीय भागीदारी को भारत ने जबरदस्त तरीके से अनुभव किया है और इसी अनुभव को हम 'यूएन वीमेन' के प्रबंधक संस्थान में लाना चाहते हैं...
+
=='संयुक्त राष्ट्र संघ' की स्थापना==
 +
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद [[1929]] में राष्ट्र संघ का गठन किया गया था। राष्ट्र संघ काफ़ी हद तक प्रभावहीन था और संयुक्त राष्ट्र का उसकी जगह होने का यह बहुत बड़ा फायदा है कि संयुक्त राष्ट्र अपने सदस्य देशों की सेनाओं को शांति के लिए तैनात कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ से पूर्व, पहले विश्व युद्ध के बाद राष्ट्र संघ (लीग ऑफ़ नेशंस) की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य किसी संभावित दूसरे विश्व युद्द को रोकना था, लेकिन राष्ट्र संघ [[1930]] के दशक में दुनिया के युद्ध की तरफ़ बढ़ाव को रोकने में विफल रहा और [[1946]] में इसे भंग कर दिया गया। राष्ट्र संघ के ढांचे और उद्देश्यों को 'संयुक्त राष्ट्र संघ' ने अपनाया। [[1944]] में [[अमरीका]], [[ब्रिटेन]], [[रूस]] और [[चीन]] ने वाशिंगटन में बैठक की और एक विश्व संस्था बनाने की रूपरेखा पर सहमत हो गए। इस रूपरेखा को आधार बना कर 1945 में पचास देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई। फिर 24 अक्टूबर, 1945 को घोषणा-पत्र की शर्तों के अनुसार 'संयुक्त राष्ट्र संघ' की स्थापना हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ में 193 सदस्य हैं। राष्ट्रों के स्वतंत्र होने के साथ ही पूर्व सोवियत संघ के विघटन के बाद इसके सदस्यों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ को चलाने के लिए सदस्य देश योगदान करते हैं। किसी देश की क्षमता के आधार पर योगदान तय किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में अमरीका का योगदान सबसे अधिक है। संयुक्त राष्ट्र की कई स्वतंत्र संस्थाएं भी हैं जो हर मुद्दे को अलग अलग स्तर पर सुलझाती हैं- जैसे खाद्य एवं कृषि संगठन, [[अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ]], विश्व बैंक, [[यूनेस्को]], [[विश्व स्वास्थ्य संगठन]], आदि।<ref name="JJ">{{cite web |url=http://days.jagranjunction.com/2011/10/24/united-nations-history |title= संयुक्त राष्ट्र संघ: सफलता के 66 साल|accessmonthday=14 जून|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= html|publisher=जागरण जंक्शन|language=हिन्दी }}</ref>
 +
==संयुक्त राष्ट्र महासभा==
 +
{{Main|संयुक्त राष्ट्र महासभा}}
 +
महासभा संयुक्त राष्ट्र का सबसे अहम हिस्सा है। महासभा किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख मंच है। संयुक्त राष्ट्र संघ में यह एक अकेली संस्था है
 +
जिसमें सभी देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। प्रत्येक सदस्य का एक वोट होता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट तक किसी भी मुद्दे पर विचार विमर्श कर सकते हैं। महासभा विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफ़ारिशें जारी कर सकती है लेकिन वो किसी देश को इन सिफ़ारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। महासभा, सदस्य देशों के बीच बड़ी चिंताओं को घोषणा के रूप अपना सकती है।
 +
==संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद==
 +
सुरक्षा परिषद को विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। [[अमरीका]], [[रूस]], [[चीन]], [[फ़्रांस]] और [[ब्रिटेन]] इसके पांच स्थाई सदस्य है। सुरक्षा
 +
परिषद के पांचों स्थाई सदस्यों के पास कई अहम अधिकार होते हैं इसलिए इसको लेकर कई बार विवाद पैदा होते हैं। 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के वक्त उसके सदस्यों की संख्या 50 थी, जो आज बढ़कर 193 हो गई है। इन पैंसठ सालों के दौरान दुनिया भी हर लिहाज से बदल गई है, लेकिन सुरक्षा परिषद में दुनिया के राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व जस का तस बना हुआ है।<ref name="JJ"/>
 +
==यूनेस्को==
 +
{{Main|यूनेस्को}}
 +
यदि संयुक्त राष्ट्र की कोई ऐसी संस्था है जिसकी कार्यप्रणाली पर सबको यकीन है और जिसने सबसे अच्छा काम किया है तो वह यूनेस्को ही है। इस संस्था का उद्देश्य शिक्षा,
 +
विज्ञान संस्कृति और संचार के माध्यम से शांति और विकास का प्रसार करना है।
 +
==संयुक्त राष्ट्र की विफलताएँ==
 +
जब भी हम संयुक्त राष्ट्र की विफलताओं के बारे में सोचते हैं कि आखिर क्यूं एक संस्था जो सभी देशों और सभी सरकारों से ऊंची है वह विफल हो जाती है। कहीं इसका कारण अमेरिका तो नहीं? यह सब जानते हैं आज अगर किसी का संयुक्त राष्ट्र पर सबसे अधिक असर है तो वह है अमेरिका।  [[इराक]] और [[अफ़ग़ानिस्तान]] में जो कुछ हुआ क्या उसे संयुक्त राष्ट्र देख नहीं पाया। आखिर क्यूं कांगो और लीबिया जैसे देशों में नरसंहार होने दिया गया। आज इराक, ईरान और अफगानिस्तान मात्र कब्रिस्तान बनकर रह गए हैं जहां लोग अपने घरों से निकलने में भी डरते हैं। आखिर क्यूं बंद हैं इस संस्था की आंखें। अफगानिस्तान को तो खंडहर बना दिया गया है और ईरान में आज भी आम जनता सामान्य जीवन नहीं जी पा रही है। अमेरिका का इस संस्था पर साफ दबाव देखा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि इस संस्था के साथ सिर्फ विफलताएं ही जुड़ी हैं बल्कि कई बार साथी देशों की जासूसी और उच्च अधिकारियों पर यौन शोषण जैसे आरोप भी लगे हैं। विफलताओं के बाद अगर सफलताओं पर नजर डालें तो पता चलता है कि संयुक्त राष्ट्र ने कई क्षेत्रों में अच्छा काम भी किया है। यूनेस्को, यूनिसेफ़ जैसे संगठनों ने आम आदमी के जीवन को आसान बनाने में खास योगदान दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुछ ऐसे विषयों पर सरकारों और जनता का ध्यान आकर्षित किया है, जो इसके अभाव में अछूते व उपेक्षित ही रह जाते।<ref name="JJ"/>
 +
==संयुक्त राष्ट्र और भारत==
 +
[[भारत]] के साथ संयुक्त राष्ट्र का व्यवहार हमेशा सामान्य ही रहा। हालांकि कुछेक मौकों पर भारत को इस संस्था से निराशा हाथ लगी। वर्ष 1948 में जम्मू-कश्मीर समस्या, वर्ष 1971 का पूर्वी [[पाकिस्तान]] का संकट और वर्तमान आतंकवाद के मुद्दे पर जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र ने भारत के साथ व्यवहार किया उससे आम जनता का इस पर से थोड़ा भरोसा कम हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत स्थायी सदस्यता की दावेदारी कर रहा है पर उसे अभी तक यह दर्जा हासिल नहीं हुआ है।<ref name="JJ"/>
 +
 
  
====<u>समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें</u>====
 
*[http://in.jagran.yahoo.com/news/international/politics/3_6_6894712.html याहू जागरण]
 
*[http://www.rajexpress.in/news/39315.aspx राज एक्सप्रेस]
 
*[http://www.samaylive.com/international-hindi/88883.html समय लाइव]
 
*[http://www.patrika.com/news.aspx?id=474550 पत्रिका]
 
*[http://www.dw-world.de/dw/article/0,,5781426,00.html डी ड्ब्लू वर्ल्ड]
 
  
{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति
 
|आधार=आधार1
 
|प्रारम्भिक=
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>

11:36, 14 जून 2016 का अवतरण

संयुक्त राष्ट्र (अंग्रेज़ी: United Nations) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसके उद्देश्य में उल्लेख है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने के सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई। आज विश्व के हर देश एक-दूसरे पर अधिकार जमाने के लिए खड़े रहते हैं। कई देशों में आंतरिक कलह इतना अधिक हो चुका है कि वहां मानवीय मूल्यों की आहुति दी जा रही है। कई देशों में तानाशाहों का आतंक है तो आतंकवादी आए दिन लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। इन सबको नियंत्रण में करने के लिए हर देश अपने स्तर पर तो काम करते ही हैं साथ ही इन सबके ऊपर नजर रहती हैं दुनिया के सबसे बड़ी संघ की। संयुक्त राष्ट्र संघ के नाम से मशहूर यह अंतरराष्ट्रीय संस्थान जाति, धर्म और देश से ऊपर उठकर पूरे संसार के कल्याण के लिए काम करता है।

उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य विश्व में युद्ध रोकना, मानव अधिकारों की रक्षा करना, अंतरराष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना, सामाजिक और आर्थिक विकास उभारना, जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से लड़ना है। इस संगठन ने दुनिया भर में कई अहम मौकों पर मानव जीवन की सेवा कर एक आदर्श प्रस्तुत किया है। वर्तमान विश्व में कई देश हैं जो दूसरे देशों पर प्रभुत्व जताने और उन्हें हड़पने को तैयार रहते हैं पर संयुक्त राष्ट्र की कड़ी नजर की वजह से वह कुछ भी नहीं कर पाते। चाहे विश्व में शिक्षा को बढ़ावा देना हो या फिर एड्स जैसी बीमारी के प्रति जागरुकता फैलानी हो या तकनीक को आगे बढ़ाना हो यह हमेशा आगे रहता है।[1]

'संयुक्त राष्ट्र संघ' की स्थापना

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1929 में राष्ट्र संघ का गठन किया गया था। राष्ट्र संघ काफ़ी हद तक प्रभावहीन था और संयुक्त राष्ट्र का उसकी जगह होने का यह बहुत बड़ा फायदा है कि संयुक्त राष्ट्र अपने सदस्य देशों की सेनाओं को शांति के लिए तैनात कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ से पूर्व, पहले विश्व युद्ध के बाद राष्ट्र संघ (लीग ऑफ़ नेशंस) की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य किसी संभावित दूसरे विश्व युद्द को रोकना था, लेकिन राष्ट्र संघ 1930 के दशक में दुनिया के युद्ध की तरफ़ बढ़ाव को रोकने में विफल रहा और 1946 में इसे भंग कर दिया गया। राष्ट्र संघ के ढांचे और उद्देश्यों को 'संयुक्त राष्ट्र संघ' ने अपनाया। 1944 में अमरीका, ब्रिटेन, रूस और चीन ने वाशिंगटन में बैठक की और एक विश्व संस्था बनाने की रूपरेखा पर सहमत हो गए। इस रूपरेखा को आधार बना कर 1945 में पचास देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई। फिर 24 अक्टूबर, 1945 को घोषणा-पत्र की शर्तों के अनुसार 'संयुक्त राष्ट्र संघ' की स्थापना हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ में 193 सदस्य हैं। राष्ट्रों के स्वतंत्र होने के साथ ही पूर्व सोवियत संघ के विघटन के बाद इसके सदस्यों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ को चलाने के लिए सदस्य देश योगदान करते हैं। किसी देश की क्षमता के आधार पर योगदान तय किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में अमरीका का योगदान सबसे अधिक है। संयुक्त राष्ट्र की कई स्वतंत्र संस्थाएं भी हैं जो हर मुद्दे को अलग अलग स्तर पर सुलझाती हैं- जैसे खाद्य एवं कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ, विश्व बैंक, यूनेस्को, विश्व स्वास्थ्य संगठन, आदि।[1]

संयुक्त राष्ट्र महासभा

महासभा संयुक्त राष्ट्र का सबसे अहम हिस्सा है। महासभा किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख मंच है। संयुक्त राष्ट्र संघ में यह एक अकेली संस्था है जिसमें सभी देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। प्रत्येक सदस्य का एक वोट होता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट तक किसी भी मुद्दे पर विचार विमर्श कर सकते हैं। महासभा विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफ़ारिशें जारी कर सकती है लेकिन वो किसी देश को इन सिफ़ारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। महासभा, सदस्य देशों के बीच बड़ी चिंताओं को घोषणा के रूप अपना सकती है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

सुरक्षा परिषद को विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। अमरीका, रूस, चीन, फ़्रांस और ब्रिटेन इसके पांच स्थाई सदस्य है। सुरक्षा परिषद के पांचों स्थाई सदस्यों के पास कई अहम अधिकार होते हैं इसलिए इसको लेकर कई बार विवाद पैदा होते हैं। 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के वक्त उसके सदस्यों की संख्या 50 थी, जो आज बढ़कर 193 हो गई है। इन पैंसठ सालों के दौरान दुनिया भी हर लिहाज से बदल गई है, लेकिन सुरक्षा परिषद में दुनिया के राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व जस का तस बना हुआ है।[1]

यूनेस्को

यदि संयुक्त राष्ट्र की कोई ऐसी संस्था है जिसकी कार्यप्रणाली पर सबको यकीन है और जिसने सबसे अच्छा काम किया है तो वह यूनेस्को ही है। इस संस्था का उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान संस्कृति और संचार के माध्यम से शांति और विकास का प्रसार करना है।

संयुक्त राष्ट्र की विफलताएँ

जब भी हम संयुक्त राष्ट्र की विफलताओं के बारे में सोचते हैं कि आखिर क्यूं एक संस्था जो सभी देशों और सभी सरकारों से ऊंची है वह विफल हो जाती है। कहीं इसका कारण अमेरिका तो नहीं? यह सब जानते हैं आज अगर किसी का संयुक्त राष्ट्र पर सबसे अधिक असर है तो वह है अमेरिका। इराक और अफ़ग़ानिस्तान में जो कुछ हुआ क्या उसे संयुक्त राष्ट्र देख नहीं पाया। आखिर क्यूं कांगो और लीबिया जैसे देशों में नरसंहार होने दिया गया। आज इराक, ईरान और अफगानिस्तान मात्र कब्रिस्तान बनकर रह गए हैं जहां लोग अपने घरों से निकलने में भी डरते हैं। आखिर क्यूं बंद हैं इस संस्था की आंखें। अफगानिस्तान को तो खंडहर बना दिया गया है और ईरान में आज भी आम जनता सामान्य जीवन नहीं जी पा रही है। अमेरिका का इस संस्था पर साफ दबाव देखा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि इस संस्था के साथ सिर्फ विफलताएं ही जुड़ी हैं बल्कि कई बार साथी देशों की जासूसी और उच्च अधिकारियों पर यौन शोषण जैसे आरोप भी लगे हैं। विफलताओं के बाद अगर सफलताओं पर नजर डालें तो पता चलता है कि संयुक्त राष्ट्र ने कई क्षेत्रों में अच्छा काम भी किया है। यूनेस्को, यूनिसेफ़ जैसे संगठनों ने आम आदमी के जीवन को आसान बनाने में खास योगदान दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुछ ऐसे विषयों पर सरकारों और जनता का ध्यान आकर्षित किया है, जो इसके अभाव में अछूते व उपेक्षित ही रह जाते।[1]

संयुक्त राष्ट्र और भारत

भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र का व्यवहार हमेशा सामान्य ही रहा। हालांकि कुछेक मौकों पर भारत को इस संस्था से निराशा हाथ लगी। वर्ष 1948 में जम्मू-कश्मीर समस्या, वर्ष 1971 का पूर्वी पाकिस्तान का संकट और वर्तमान आतंकवाद के मुद्दे पर जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र ने भारत के साथ व्यवहार किया उससे आम जनता का इस पर से थोड़ा भरोसा कम हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत स्थायी सदस्यता की दावेदारी कर रहा है पर उसे अभी तक यह दर्जा हासिल नहीं हुआ है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 संयुक्त राष्ट्र संघ: सफलता के 66 साल (हिन्दी) (html) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 14 जून, 2016।