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*वे समाज सुधारक बन गये तथा विधवा पुनर्विवाह की वकालत की। | *वे समाज सुधारक बन गये तथा विधवा पुनर्विवाह की वकालत की। |
10:31, 1 अप्रैल 2017 का अवतरण
बाल मुकुन्द (अंग्रेज़ी: Bal Mukund, जन्म- 1891, पश्चिमी पंजाब,; मृत्यु- 1917) पश्चिमी पंजाब के क्रांतिकारी थे। जिन्होंने सन 1912 में चांदनी चौक से लार्ड हाडिंग पर बम फेंका था।[1]
- बाल मुकुन्द का जन्म पश्चिमी पंजाब के एक गांव में 1891 में हुआ।
- वे क्रांतिकारी नेता भाई परमान के चचरे भाई थे।
- बाल मुकुंद दिल्ली के क्रांतिकारियों के दल से जुड़ गए जिन्होंने सन 1912 में चांदनी चौक से लार्ड हाडिंग पर बम फेंका था।
- उन्हें 26 वर्ष की अल्पायु में मृत्यु दंड की सजा दी गई उसी दिन उनकी पत्नी राखी का भी देहांत हो गया। दोनों का एक साथ दाह संस्कार किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भाई बाल मुकुन्द (हिंदी) क्रांति 1857। अभिगमन तिथि: 30 मार्च, 2017।
संबंधित लेख
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दयाल सिंह मजीठिया (अंग्रेज़ी: Dyal Singh Majithia, जन्म- 1848, वाराणसी; मृत्यु- 1898, लाहौर, पाकिस्तान) पंजाब के क्रांतिकारी थे।[1]
- दयाल सिंह मजीठिया पंजाब में अमृतसर शहर के निकट मजीठिया नामक गांव में एक ऐतिहासिक परिवार से थे।
- उनके पूर्वजों ने महाराजा रणजीत सिंह के यहाँ नौकरी की थी।
- दयाल सिंह ने अपना प्रारंभिक जीवन मजीठिया, अमृतसर और बतला में व्यतीत किया।
- वे 1874 में इंग्लैण्ड गये और वहाँ पर दो वर्ष तक रहे। दयाल सिंह पश्चिमी शिक्षा तथा उदारवाद से अत्यन्त प्रभावित हुए।
- वे समाज सुधारक बन गये तथा विधवा पुनर्विवाह की वकालत की।
- अपने राजनैतिक दृष्टिकोण में दयाल सिंह नरमपंथी थे।
- उन्होंने अनेक शैक्षणिक संस्थानों की नींव रखी इसमें कॉलिज और पुस्तकालय भी शामिल थे।
- 'द ट्रिब्युन' जिसने पंजाब में राष्ट्रवादी आन्दोलनों की वृद्धि की।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दयाल सिंह मजीठिया (हिंदी) क्रांति 1857। अभिगमन तिथि: 30 मार्च, 2017।
संबंधित लेख
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