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         '''[[आर. के. लक्ष्मण]]''' को [[भारत]] के एक प्रमुख व्यंग-चित्रकार के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है। अपने कार्टूनों के ज़रिए आर. के. लक्ष्मण ने एक आम आदमी को एक व्यापक स्थान दिया और उसके जीवन की मायूसी, अँधेरे, उजाले, ख़ुशी और ग़म को शब्दों और रेखाओं की मदद से समाज के सामने रखा। लक्ष्मण के बड़े भाई [[आर. के. नारायण]] एक कथाकार तथा उपन्यासकार थे, जिनकी रचनाएँ 'गाइड' तथा 'मालगुडी डेज़' ने प्रसिद्धि की ऊँचाइयों को छुआ था। एक कार्टूनिस्ट के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने के साथ ही लक्ष्मण ने महत्त्वपूर्ण लेखन भी किया। उनकी आत्मकथा 'टनल टु टाइम' उनकी लेखन क्षमता का प्रमाण सामने लाती है। आर. के. लक्ष्मण के कार्टूनों में एक आम आदमी को प्रस्तुत करती एक छवि जितनी सादगी भरी है, उतनी ही पैनी भी होती है। आर. के. लक्ष्मण को उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए [[पद्म भूषण]], [[पद्म विभूषण]], [[रेमन मेग्सेसे पुरस्कार]] आदि सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। [[आर. के. लक्ष्मण|... और पढ़ें]]
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         '''[[जे. आर. डी. टाटा|जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा]]''' आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में सर्वोपरि थे। इन्होंने ही [[भारत]] की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा 'टाटा एयरलाइंस' शुरू की थी, जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा 'एयर इंडिया' बन गई। इस कारण जे. आर. डी. टाटा को 'भारत के नागरिक उड्डयन का पिता' भी कहा जाता है। जे. आर. डी. टाटा, भारत के पहले लाइसेंस प्राप्त पायलट थे। जे. आर. डी. टाटा को [[फ़्राँस]] के सर्वोच्‍च नागरिकता पुरस्कार 'लीजन ऑफ द ऑनर' एवं [[भारत सरकार]] के सर्वोच्‍च अलंकरण '[[भारत रत्न]]' से सम्‍मानित किया जा चुका है। इन्होंने 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज', 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ंडामेंटल रिसर्च' और 'नेशनल सेंटर फ़ॉर परफ़ार्मिंग आर्ट्स' की स्‍थापना की। [[जे. आर. डी. टाटा|... और पढ़ें]]
 
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| [[अबुलकलाम आज़ाद]]  
 
| [[अबुलकलाम आज़ाद]]  
| [[सी. डी. देशमुख]]
 
 
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11:31, 16 मई 2017 का अवतरण

एक व्यक्तित्व
J.R.D-Tata.jpg

        जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में सर्वोपरि थे। इन्होंने ही भारत की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा 'टाटा एयरलाइंस' शुरू की थी, जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा 'एयर इंडिया' बन गई। इस कारण जे. आर. डी. टाटा को 'भारत के नागरिक उड्डयन का पिता' भी कहा जाता है। जे. आर. डी. टाटा, भारत के पहले लाइसेंस प्राप्त पायलट थे। जे. आर. डी. टाटा को फ़्राँस के सर्वोच्‍च नागरिकता पुरस्कार 'लीजन ऑफ द ऑनर' एवं भारत सरकार के सर्वोच्‍च अलंकरण 'भारत रत्न' से सम्‍मानित किया जा चुका है। इन्होंने 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज', 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ंडामेंटल रिसर्च' और 'नेशनल सेंटर फ़ॉर परफ़ार्मिंग आर्ट्स' की स्‍थापना की। ... और पढ़ें

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