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*रासा भगवन्तसिंह नामक [[रासो काव्य]] 'सदानन्द' द्वारा विरचित है।  
 
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*इस काव्य में 'भगवन्तसिंह खीची' के 1797 वि. के एक युद्ध का वर्णन है।  
 
*इस काव्य में 'भगवन्तसिंह खीची' के 1797 वि. के एक युद्ध का वर्णन है।  
*डॉ. माताप्रसाद गुप्त के अनुसार यह रचना सं. 1797 के पश्चात की है।  
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*डॉ. माताप्रसाद गुप्त के अनुसार यह रचना सं. 1797 के पश्चात् की है।  
 
*इसमें कुल 100 [[छन्द]] है।<ref>{{cite web |url=http://knowhindi.blogspot.com/2011/02/blog-post_4165.html |title=रासो काव्य : वीरगाथायें|accessmonthday=15 मई|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
*इसमें कुल 100 [[छन्द]] है।<ref>{{cite web |url=http://knowhindi.blogspot.com/2011/02/blog-post_4165.html |title=रासो काव्य : वीरगाथायें|accessmonthday=15 मई|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
  

07:38, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

  • रासा भगवन्तसिंह नामक रासो काव्य 'सदानन्द' द्वारा विरचित है।
  • इस काव्य में 'भगवन्तसिंह खीची' के 1797 वि. के एक युद्ध का वर्णन है।
  • डॉ. माताप्रसाद गुप्त के अनुसार यह रचना सं. 1797 के पश्चात् की है।
  • इसमें कुल 100 छन्द है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रासो काव्य : वीरगाथायें (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मई, 2011।

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