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{[[भारत]] में विधायिका निम्न में से किस देश के नमूने पर निर्मित हुई है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-99,प्रश्न-1
{निम्न में से कौन [[राज्य]] का आवश्यक अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-14,प्रश्न-55
 
 
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-सरकार
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+[[ब्रिटेन]]
-संप्रभुता
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-[[अमेरिका]]
-भू-भाग
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-[[फ्रांस]]
+कानून
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-[[जर्मनी]]
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||[[भारत]] में विधायिका [[ब्रिटेन]] के नमूने पर निर्मित हुई है। विधायिका से आशय [[संसद]] से है। भारत की संसद [[राष्ट्रपति]] तथा दोनों सदनों (राज्य सभा तथा [[लोक सभा]]) से मिलकर बनी है।
  
{राजनीतिक यथार्थवाद के मुख्य प्रवक्ता के रूप में किया विचारक को जाना जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-63
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{"राजनीतिक दल अपरिहार्य हैं, कोई भी स्वतंत्र देश उनके बिना नहीं रह सकता।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-104,प्रश्न-1
 
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-जॉर्ज एफ, केनन
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+ब्राइस
+मारगेन्थाऊ
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-लास्की
-ट्रीटस्के
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-गार्नर
-डेविड ईस्टन
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-[[मैक्स वेबर]]
||राजनीति यथार्थवाद का मुख्य प्रवक्ता मारगेन्थाऊ है। अपनी पुस्तक 'पॉलिटिक्स एमंग नेशंस' में मारगेन्थाऊ ने शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का केंन्द्र बिंदु माना है। उसकी दृष्टि में शक्ति राष्ट्रहित का ही प्रतिबिंब है। मारगेन्थाऊ ने यथार्थवाद को सैद्धांतिक आधार प्रदान किया है।
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||ब्राइस के अनुसार, "राजनीतिक दल अपरिहार्य हैं, कोई भी स्वतंत्र देश उनके बिना नहीं रहा सकता।" इनके अतिरिक्त ब्राइस ने राजनीतिक दल के संबंध में कहा है कि "राजनीतिक दल उस संगठित समूह को कहते हैं जिसकी सदस्यता ऐच्छिक हो और जो राजनीतिक शक्ति को प्राप्त करने में अपनी सामूहिक शक्ति लगा दे।"
  
 
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{[[मैक्स वेबर]] का कार्य संकेंद्रित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-109,प्रश्न-31
{"स्वतंत्रता इसके अलावा और कुछ नहीं है कि इस इच्छा का प्रोत्साहित करना जो विनम्र व्यक्तियों के अनुदिष्ट अंत:करण पर आधारित हो" निम्नलिखित में से कौन-सा वाद इस वक्तव्य को मानता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-31
 
 
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+उदारवाद
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-राज्यों के संविधान पर
-समाजवाद
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-विधिक संरचना पर
-बहुलवाद
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+सरकार की वैधता पर
-फासीवाद
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-सरकार के प्रकार पर
||"स्वतंत्रता इसके अलावा और कुछ नहीं है कि उस इच्छा की प्रोत्साहित करना जो विनम्र व्यक्तियों के अनुदिष्ट अंत:करण पर आधारित हो।" यह कथन स्वतंत्रता के उदारवादी धारणा को अभिव्यक्त करता है। इसके अनुसार स्वतंत्रता की इच्छा व्यक्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जिससे उसके सामाजिक जीवन का निर्माण होता है तथा यह व्यक्तित्व के विकास की प्राथमिक शर्त है। उदारवाद के अनुसार, राज्य साधन है तथा व्यक्ति साध्य, अत: राज्य को व्यक्ति की इच्छा को प्रोत्साहित करते हुए उसकी स्वतंत्रता में वृद्धि करनी चाहिए।
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||[[मैक्स वेबर]] का कार्य सरकार की वैधता पर संकेंद्रित है। वेबर के अनुसार, एक व्यक्ति अन्य पर अपना प्रभुक्त तीन प्रकार से स्थापित करता है- पारंपरिक प्रभुक्त, करिश्माई प्रभुक्त एवं वैधानिक प्रभुत्व। वैधानिक प्रभुत्व का आधार कानून या विधि होता है एवं इसका सर्वोत्तम उदाहरण नौकरशाही है।
  
 
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{एक्स (X) और वाई (Y) सिद्धांत का संबंध- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-132,प्रश्न-21
{'गुटतंत्र के लौह नियम' का प्रतिपादन किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-75,प्रश्न-74
 
 
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+रॉबर्ट मिचेल्स ने
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-डगलस मैक्ग्रेगर के वित्तीय प्रबंध से है
-[[मैक्स वेबर]] ने
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-गुलिक के प्रशासन-शासन द्वैधवाद से है
-परेटो ने
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-अब्राहम मैस्लो के पुरस्कार दंड सिद्धांत से है
-मोस्का ने
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+डगलस मैक्ग्रेगर के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक उपागम से है
||रॉबर्ट मिचेल्स 20वीं सदी के प्रारंभ का जर्मन समाज वैज्ञानिक था। इसे राजनीतिक समाज विज्ञान का अग्रदूत माना जाता है। मोस्का, पैरेटो तथा [[मैक्स वेबर]] के साथ इसे विशिष्ट वर्गवाद का प्रवर्तक माना जाता है। मिचेल्स ने अपनी कृति 'पोलिटिकल पार्टीज' में अपना प्रमुख सिद्धांत 'गुटतंत्र का लौह नियम' प्रस्तुत किया। मिचेल्स की मान्यता है कि सभी संगठित समूह चाहे वे राज्य हो, राजनीतिक दल हो, मजदूर संघ हो, व्यवहार के धरातल पर गुटतंत्र का रूप धारण कर लेते हैं। अर्थात उनमें सारी शक्ति इन गिने नेताओं के हाथों में केंद्रित हो जाती है। चाहे उनका औपचारिक संविधान कैसा भी क्यों न हो।
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||एक्स (X) और वाइ (Y) सिद्धांत का संबंध डगलस मैक्ग्रेगर के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक उपागम से है। यह सिद्धांत दि ह्यूमन साइड ऑफ इंटर प्राइज में 1960 में प्रतिपादित हुआ।
  
 
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{यदि सदन का सत्रावसान हो गया है, तो इसे आहूत करने के लिए कौन अधिकृत है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-138,प्रश्न-11
{[[भारत]] में केंद्र में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन कब हुआ था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-157,प्रश्न-119
 
 
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-[[1968]] में
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-अध्यक्ष
-[[1971]] में
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-[[उपराष्ट्रपति]]
+[[1977]] में
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-[[प्रधानमंत्री]]
-[[1979]] में
+
+[[राष्ट्रपति]]
||भूतपूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गांधी]] द्वारा लागू [[आपातकाल]] ([[1975]]-[[1976]]) के बाद जनसंघ सहित [[भारत]] के प्रमुख राजनैतिक दलों का विलय करके एक नए दल '[[जनता पार्टी]]' का गठन किया गया। जनता पार्टी ने वर्ष 1977 से 1980 तक [[भारत सरकार]] का नेतृत्व किया। इसके नेता [[मोरारजी देसाई]] थे। आंतरिक मतभेदों के कारण वर्ष [[1980]] में जनता पार्टी टूट गई। [[लोकसभा चुनाव]] [[2014]] के पूर्व डॉ. सुब्रमणियन स्वामी जनता पार्टी का विलय [[भारतीय जनता पार्टी]] में कर चुके हैं।
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||यदि सदन का सत्रावसान हो गया है तो इसे आहूत करने हेतु केवल [[राष्ट्रपति]] ही अधिकृत है। अनुच्छेद 85 के अनुसार राष्ट्रपति को किसी सदन का अधिवेशन आहूत करने, सत्रावसान करने एवं [[लोक सभा]] का विघटन करने की शक्ति प्राप्त है।
  
 
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{[[संविधान]] के किस संशोधन के अंतर्गत 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों की शिक्षा मौलिक अधिकार बन गई है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-172,प्रश्न-201
{"अंतर्राष्ट्रीय राजनीति राष्ट्रों के बीच निरंतर होने वाले शक्ति संघर्ष के अतिरिक्त कुछ नहीं है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-77,प्रश्न-84
 
 
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-जेम्स रोजनाऊ
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-93वां संविधान संशोधन
+मारगेन्थाऊ
+
+86वां संविधान संशोधन
-फेलिक्स ग्रास
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-91वां संविधान संशोधन
-थाम्पसन
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-92वां संविधान संशोधन
||हान्स जे. मारगेन्थाऊ के शब्दों में "अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, राष्ट्रों के बीच निरंतर होने वाले शक्ति संघर्ष के अतिरिक्त कुछ नहीं है"। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का अंतिम लक्ष्य चाहे कुछ भी हो, शक्ति सदैव तात्कालिक उद्देश्य रखती है। मार्गेन्थाऊ को यथार्थवादी दृष्टिकोण का प्रमुख प्रवक्ता माना जाता है।
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||संविधान के 86वां संशोधन के द्वारा 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा मौलिक अधिकार बन गई है।
  
{सर्वप्रथम किस मार्क्सवादी ने राष्ट्रवाद के अभिमत को स्वीकार किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-44
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{पंचायत राज्य सम्मिलित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-186,प्रश्न-1
 
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-फिदेल कास्त्रो
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-संघीय सूची में
+स्टालिन
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+राज्य सूची में
-ग्राम्सी
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-समवर्ती सूची में
-काटस्की
+
-अवशिष्ट सूची में
||जोसेफ़ स्टालिन ने मार्क्सवाद के अंतर्गत राष्ट्रवाद (Nationalism) का विचार प्रस्तुत किया। इसके पहले [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]], एंजिल्स व लेनिन का विचार अंतर्राष्ट्रीयतावाद (Internationalism) में विश्वास रखता था, लेकिन स्टालिन ऐसे प्रथम मार्क्सवादी विचारक व राजनेता थे जिसने "एक देश में समाजवाद" का सिद्धांत प्रस्तुत किया। जिसके द्वारा क्रांति के अंतर्राष्ट्रीयतावाद की चाहत कम होती गई।
+
||पंचायतों को संविधान की 7वीं अनुसूची में राज्य सूची की प्रविष्टि 5 का विषय माना गया है। इस प्रकार [[पंचायत]], राज्य सरकार का विषय है। इसके गठन तथा चुनाव कराने का अधिकार राज्यों को ही है।
  
{सिंडिकेलिस्ट समाजवाद में इनमें से किस पर अधिक जोर दिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-55
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{जाति प्रथा का तत्त्व है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-1
 
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-असंगठित श्रमिकों और शांतिपूर्ण आंदोलन पर
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+चेतनाबोध
-सहकारिता और भूमिहीन श्रमिकों पर
+
-आधुनिकतावाद
-कृषकों-श्रमिकों की एकता पर
+
-राजनीतिकरण
+श्रमिक संघ और व्यापक हड़ताल पर
+
-संप्रदायवाद
||सिंडिकेलिस्ट समाजवाद की कार्यपद्धतियों में आम हड़ताल, औद्योगिक तोड़फोड़, बहिष्कार, धीरे-धीरे काम करना, सुस्ती, लापरवाही तथा ग़लत लेबल लगाना प्रमुख हैं। ये अपनी कार्यपद्धति को सांकेतिक नाम ''केकेनी'' देते हैं।
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||जाति प्रथा का मूल तत्व चेतनाबोध है। इसी जातीय चेतनाबोध के कारण कई राज्यों में संख्या के आधिक्य कारण कुछ जातियां सत्ता पर वर्चस्व स्थापित करने में समर्थ हो जाती हैं।
  
{कौन-सा सिद्धांत मानता है कि अधिकार राज्य द्वारा निर्मित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-90,प्रश्न-11
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{शिक्षा और सेवायोजन के अधिकार- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-90,प्रश्न-12
 
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+कानूनी
+
-तटस्थ हैं, नकारात्मक और सकारात्मक दोनों हैं
-प्राकृतिक
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-प्राय: नकारात्मक, कभी-कभी सकारात्मक हैं
-ऐतिहासिक
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-नकारात्मक हैं
-आदर्शवादी
+
+सकारात्मक हैं
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||शिक्षा एवं सेवायोजन के अधिकार सकारात्मक होते हैं।
 +
अधिकार राज्य के अंतर्गत व्यक्ति को प्राप्त होने वाली ऐसी अनुकूल परिस्थितियां और अवसर हैं जिनसे उसे आत्म-विकास में सहायता मिलती है। (1) नकारात्मक अधिकार एवं 2. सकारात्मक अधिकार।
  
{शब्द 'फेडरेलिज्म', 'फोडस' (Foedus) से ग्रहण किया गया है। यह किस भाषा से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-1
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{निम्नलिखित में से [[अमेरिका]] की संघ राज्य पद्धति की विशेषता नहीं है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-2
 
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-स्पेनिश
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-शक्ति का विभाजन
+लैटिन
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-सर्वोच्च न्यायालय का अस्तित्व
-फ्रेंच
+
+न्यायिक संगठन के तीन समुच्चय
-[[अंग्रेज़ी]]
+
-लिखित संविधान
||'फेडरेलिज्म' शब्द लैटिन भाषा के 'फोडस' से ग्रहण किया गया है।
+
||अमेरिकी संविधान में शक्ति का विभाजन, [[सर्वोच्च न्यायालय]] का अस्तित्त्व तथा लिखित [[संविधान]] आदि विशेषताएँ हैं किंतु न्यायिक संगठन के तीन समुच्चय इसकी विशेषता नहीं है।
 
 
 
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11:16, 18 नवम्बर 2017 का अवतरण

1 भारत में विधायिका निम्न में से किस देश के नमूने पर निर्मित हुई है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-99,प्रश्न-1

ब्रिटेन
अमेरिका
फ्रांस
जर्मनी

2 "राजनीतिक दल अपरिहार्य हैं, कोई भी स्वतंत्र देश उनके बिना नहीं रह सकता।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-104,प्रश्न-1

ब्राइस
लास्की
गार्नर
मैक्स वेबर

3 मैक्स वेबर का कार्य संकेंद्रित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-109,प्रश्न-31

राज्यों के संविधान पर
विधिक संरचना पर
सरकार की वैधता पर
सरकार के प्रकार पर

4 एक्स (X) और वाई (Y) सिद्धांत का संबंध- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-132,प्रश्न-21

डगलस मैक्ग्रेगर के वित्तीय प्रबंध से है
गुलिक के प्रशासन-शासन द्वैधवाद से है
अब्राहम मैस्लो के पुरस्कार दंड सिद्धांत से है
डगलस मैक्ग्रेगर के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक उपागम से है

5 यदि सदन का सत्रावसान हो गया है, तो इसे आहूत करने के लिए कौन अधिकृत है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-138,प्रश्न-11

अध्यक्ष
उपराष्ट्रपति
प्रधानमंत्री
राष्ट्रपति

6 संविधान के किस संशोधन के अंतर्गत 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों की शिक्षा मौलिक अधिकार बन गई है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-172,प्रश्न-201

93वां संविधान संशोधन
86वां संविधान संशोधन
91वां संविधान संशोधन
92वां संविधान संशोधन

7 पंचायत राज्य सम्मिलित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-186,प्रश्न-1

संघीय सूची में
राज्य सूची में
समवर्ती सूची में
अवशिष्ट सूची में

8 जाति प्रथा का तत्त्व है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-1

चेतनाबोध
आधुनिकतावाद
राजनीतिकरण
संप्रदायवाद

9 शिक्षा और सेवायोजन के अधिकार- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-90,प्रश्न-12

तटस्थ हैं, नकारात्मक और सकारात्मक दोनों हैं
प्राय: नकारात्मक, कभी-कभी सकारात्मक हैं
नकारात्मक हैं
सकारात्मक हैं

10 निम्नलिखित में से अमेरिका की संघ राज्य पद्धति की विशेषता नहीं है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-2

शक्ति का विभाजन
सर्वोच्च न्यायालय का अस्तित्व
न्यायिक संगठन के तीन समुच्चय
लिखित संविधान