"प्रयोग:दीपिका3" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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− | {किसने राज्य का इस | + | {किसने राज्य का इस प्रकार वर्णन किया है कि "यह संपूर्ण विज्ञान में साझेदारी है, संपूर्ण कला में साझेदारी है, प्रत्येक सद्गुण और सभी पूर्णता में साझेदारी है'? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-21 |
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+एडमण्ड बर्क | +एडमण्ड बर्क | ||
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-मैकाइवर | -मैकाइवर | ||
-मॉर्गन | -मॉर्गन | ||
− | ||व्यक्तिवादियों की यह धारणा कि 'राज्य एक आवश्यक बुराई है, वर्तमान समय में स्वीकार नहीं किया जाता है। वास्तव में यह सभ्य जीवन की प्रथम आवश्यकता है। नैतिक जीवन के मार्ग में आने वाली अशिक्षा, अज्ञानता तथा दरिद्रता आदि बुराइयों को दूर करते हुए राज्य व्यक्ति के नैतिक विकास का | + | ||व्यक्तिवादियों की यह धारणा कि 'राज्य एक आवश्यक बुराई है, वर्तमान समय में स्वीकार नहीं किया जाता है। वास्तव में यह सभ्य जीवन की प्रथम आवश्यकता है। नैतिक जीवन के मार्ग में आने वाली अशिक्षा, अज्ञानता तथा दरिद्रता आदि बुराइयों को दूर करते हुए राज्य व्यक्ति के नैतिक विकास का सफलतापूर्वक प्रयत्न करता है। सभ्य जीवन की अवस्थाएं प्रदान करते हुए, उसे व्यक्तित्व के विकास की ओर प्रेरित करता है। इसी संदर्भ में बर्क ने कहा है कि "राज्य सभी विज्ञानों, सभी कलाओं, सदाचार व पूर्णता में मनुष्य का साझीदार है।" |
{"मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किंतु वह सर्वत्र जंजीरों में बंधा हुआ है"। इस वाक्य से रूसो का आशय है कि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-21 | {"मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किंतु वह सर्वत्र जंजीरों में बंधा हुआ है"। इस वाक्य से रूसो का आशय है कि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-21 | ||
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-इन शृंखलाओं से कैदियों को मुक्त किया जाए | -इन शृंखलाओं से कैदियों को मुक्त किया जाए | ||
-सभी कारागार तोड़ दिए जाएं | -सभी कारागार तोड़ दिए जाएं | ||
− | ||"मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किंतु वह सर्वत्र जंजीरों से बंधा हुआ है"। इस वाक्य से रूसो का तात्पर्य है कि मनुष्य प्राकृतिक दशा में तो स्वतंत्र था परंतु कालांतर में सभ्यता का विकास हुआ जिसने मनुष्य की स्वतंत्रता को छीनकर उसे बंधनों में जकड़ दिया। अत: यदि | + | ||"मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किंतु वह सर्वत्र जंजीरों से बंधा हुआ है"। इस वाक्य से रूसो का तात्पर्य है कि मनुष्य प्राकृतिक दशा में तो स्वतंत्र था परंतु कालांतर में सभ्यता का विकास हुआ जिसने मनुष्य की स्वतंत्रता को छीनकर उसे बंधनों में जकड़ दिया। अत: यदि हमें सभ्य समाज में स्वतंत्रता को वापस लाना है तो हमें 'प्राकृतिक दशा' की ओर लौट चलना चाहिए अर्थात इन शृंखलाओं को तोड़ जाए। |
{निम्नलिखित सिद्धांतों में से कौन-सा सिद्धांत मांटेस्क्यू ने प्रतिपादित किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-46,प्रश्न-13 | {निम्नलिखित सिद्धांतों में से कौन-सा सिद्धांत मांटेस्क्यू ने प्रतिपादित किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-46,प्रश्न-13 | ||
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||राज्य की आधुनिक अवधारणा के अनुसार राज्य को अन्य मानवीय समुदायों एवं संगठनों से अलग करने वाला तत्त्व प्रभुसत्ता है। क्योंकि अन्य मानवीय संगठनों के पास राज्य जैसी प्रभुसत्ता का अभाव होती है। | ||राज्य की आधुनिक अवधारणा के अनुसार राज्य को अन्य मानवीय समुदायों एवं संगठनों से अलग करने वाला तत्त्व प्रभुसत्ता है। क्योंकि अन्य मानवीय संगठनों के पास राज्य जैसी प्रभुसत्ता का अभाव होती है। | ||
− | {'फॉसिज्म' किस भाषा से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-41,प्रश्न-11 | + | {'फॉसिज्म' किस [[भाषा]] से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-41,प्रश्न-11 |
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− | - | + | -[[अंग्रेज़ी]] |
− | - | + | -फ्रेंच |
+लैटिन | +लैटिन | ||
-ग्रीक | -ग्रीक | ||
||अंग्रेजी के 'फासिज्म शब्द की उत्पत्ति इतालवी शब्द फासियों से हुई है जो मूलत: लैटिन भाषा के शब्द फासेस से उद्भूत है। | ||अंग्रेजी के 'फासिज्म शब्द की उत्पत्ति इतालवी शब्द फासियों से हुई है जो मूलत: लैटिन भाषा के शब्द फासेस से उद्भूत है। | ||
− | {कौटिल्य का मंडल सिद्धान्त किससे संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-22 | + | {[[कौटिल्य]] का मंडल सिद्धान्त किससे संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-22 |
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-प्रशासन | -प्रशासन | ||
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+गतिशील | +गतिशील | ||
-स्थायी | -स्थायी | ||
− | - | + | -अपरवर्तनशील |
− | ||संविधानवाद एक गत्यात्मक अवधारणा है। इसमें स्थायित्व के साथ-साथ गत्यात्मकता भी पाई जाती है जिससे यह प्रगति में बाधक नहीं बल्कि प्रगति का साधक बना रहता है। चूंकि विकास के लिए स्थायित्व भी अति आवश्यक है, अन्यथा विकास दिशाहीन होगा। इसलिए संविधानवाद की धारणा स्थिरता-युक्त गत्यात्मकता की सूचक है। | + | ||संविधानवाद एक गत्यात्मक अवधारणा है। इसमें स्थायित्व के साथ-साथ गत्यात्मकता भी पाई जाती है जिससे यह प्रगति में बाधक नहीं बल्कि प्रगति का साधक बना रहता है। चूंकि विकास के लिए स्थायित्व भी अति आवश्यक है, अन्यथा विकास दिशाहीन होगा। इसलिए संविधानवाद की धारणा स्थिरता-युक्त गत्यात्मकता की सूचक है। इसकी गतिशील प्रकृति अति आवश्यक है क्योंकि समय परिवर्तन के साथ मूल्यों में परिवर्तन आता है तथा संस्कृति विकसित होती है जिससे संविधानवाद गत्यात्मकता प्राप्त करता है। |
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12:33, 9 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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