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− | {[[संघ लोक सेवा आयोग]] के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-174,प्रश्न-210
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− | -[[प्रधानमंत्री]] द्वारा
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− | -[[लोक सेवा आयोग]] के [[अध्यक्ष]] द्वारा
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− | -गृह मंत्री द्वारा
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− | +[[राष्ट्रपति]] द्वारा
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− | ||अनुच्छेद 316 (1) के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति [[राष्ट्रपति]] द्वारा की जाती है। आयोग के किसी भी सदस्य की सेवा शर्तों में उसकी नियुक्ति के उपरांत अलाभकारी परिवर्तन नहीं किए जा सकते हैं।
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− | {'ऑन लिबर्टी' के लेखक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-201,प्रश्न-1
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− | -लास्की
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− | -रूसो
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− | +जे.एस. मिल
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− | -टी.एच. ग्रीन
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− | ||ऑन लिबर्टी जे.एस. मिल का सूक्ष्म निबंध है, जो वर्ष 1859 में प्रकाशित हुआ। यह निबंध मिल ने अपनी पत्नी हेतियट टेलर मिल को समर्पित किया है।
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− | {किसने राज्य का इस प्रकार वर्णन किया है कि "यह संपूर्ण विज्ञान में साझेदारी है, संपूर्ण कला में साझेदारी है, प्रत्येक सद्गुण और सभी पूर्णता में साझेदारी है'? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-21
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− | +एडमण्ड बर्क
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− | -[[अरस्तू]]
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− | -मैकाइवर
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− | -मॉर्गन
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− | ||व्यक्तिवादियों की यह धारणा कि 'राज्य एक आवश्यक बुराई है, वर्तमान समय में स्वीकार नहीं किया जाता है। वास्तव में यह सभ्य जीवन की प्रथम आवश्यकता है। नैतिक जीवन के मार्ग में आने वाली अशिक्षा, अज्ञानता तथा दरिद्रता आदि बुराइयों को दूर करते हुए राज्य व्यक्ति के नैतिक विकास का सफलतापूर्वक प्रयत्न करता है। सभ्य जीवन की अवस्थाएं प्रदान करते हुए, उसे व्यक्तित्व के विकास की ओर प्रेरित करता है। इसी संदर्भ में बर्क ने कहा है कि "राज्य सभी विज्ञानों, सभी कलाओं, सदाचार व पूर्णता में मनुष्य का साझीदार है।"
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− | {"मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किंतु वह सर्वत्र जंजीरों में बंधा हुआ है"। इस वाक्य से रूसो का आशय है कि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-21
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− | -इनमें से कुछ शृंखलाओं को सामान्य इच्छा से वैध बनाया जाए
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− | +इन शृंखलाओं को तोड़ दिया जाए
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− | -इन शृंखलाओं से कैदियों को मुक्त किया जाए
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− | -सभी कारागार तोड़ दिए जाएं
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− | ||"मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किंतु वह सर्वत्र जंजीरों से बंधा हुआ है"। इस वाक्य से रूसो का तात्पर्य है कि मनुष्य प्राकृतिक दशा में तो स्वतंत्र था परंतु कालांतर में सभ्यता का विकास हुआ जिसने मनुष्य की स्वतंत्रता को छीनकर उसे बंधनों में जकड़ दिया। अत: यदि हमें सभ्य समाज में स्वतंत्रता को वापस लाना है तो हमें 'प्राकृतिक दशा' की ओर लौट चलना चाहिए अर्थात इन शृंखलाओं को तोड़ जाए।
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− | {निम्नलिखित सिद्धांतों में से कौन-सा सिद्धांत मांटेस्क्यू ने प्रतिपादित किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-46,प्रश्न-13
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− | -सामान्य इच्छा
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− | +शक्ति पृथक्करण
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− | -संविधानवाद
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− | -संस्थावाद
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− | ||मांटेस्क्यू ने अपनी पुस्तक 'द स्पिरिट ऑफ़ लॉज' में सरकार के तीनों अंगों में 'शक्ति के पृथक्करण' का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसके अभाव में नागरिकों की स्वतंत्रता पूर्ण रूप से नष्ट हो जाएगी और निरंकुश शासन की स्थापना होगी जो कि मानव विकास के लिए घातक होगी। ये शक्तियां हैं- विधि का निर्माण करने की विधायी, विधि के कार्यान्वयन की कार्यपालिका संबंधी तथा न्याय करने की न्यायपालिका संबंधी।
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− | {निम्न में से कौन तत्व राज्य को अन्य समुदायों/संगठनों में से अलग करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-22,प्रश्न-1
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− | -भू-भाग
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− | -प्रशासन
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− | +प्रभुसत्ता
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− | -जनसंख्या
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− | ||राज्य की आधुनिक अवधारणा के अनुसार राज्य को अन्य मानवीय समुदायों एवं संगठनों से अलग करने वाला तत्त्व प्रभुसत्ता है। क्योंकि अन्य मानवीय संगठनों के पास राज्य जैसी प्रभुसत्ता का अभाव होती है।
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− | {'फॉसिज्म' किस [[भाषा]] से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-41,प्रश्न-11
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− | -[[अंग्रेज़ी]]
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− | -फ्रेंच
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− | +लैटिन
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− | -ग्रीक
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− | ||अंग्रेजी के 'फासिज्म शब्द की उत्पत्ति इतालवी शब्द फासियों से हुई है जो मूलत: लैटिन भाषा के शब्द फासेस से उद्भूत है।
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− | {[[कौटिल्य]] का मंडल सिद्धान्त किससे संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-22
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− | -प्रशासन
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− | +विदेश नीति
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− | -आर्थिक नीति
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− | -न्यायिक नीति
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− | ||कौटिल्य के मंडल सिद्धांत का संबंध विदेश नीति से है।
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− | अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
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− | .कौटिल्य ने अपने मंडल सिद्धांत में अनेक राज्यों के समूह या मंडल में विद्यमान राज्यो द्वारा एक-दूसरे के प्रति व्यवहार में लाई जाने वाली नीति का वर्णन किया है। कौटिल्य ने अपने मंडल सिद्धांत के अंतर्गत 12 राज्यों के समूह जिसे राज्य मंडल कहते हैं, के मध्य संबंधों के निर्धारण हेतु अपनायी जाने वाली संभावित नीतियों की विशद व्याख्या की है।
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− | {लोकपाल विधेयक संसद में प्रथम बार कब प्रस्तुत किया गया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-190,प्रश्न-2
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− | -सन् 1962 में
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− | +सन् 1968 में
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− | -सन् 1971 में
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− | -सन् 1985 में
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− | {निम्नलिखित में से कौन-सी शक्ति अमेरिकी सीनेट के पास नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-199,प्रश्न-42
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− | |type="()"}
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− | -संधि पास करना
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− | -महत्त्वपूर्ण नियुक्तियों को स्वीकृत करना
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− | +धन विधेयक प्रस्तावित करना
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− | -कमेटी के द्वारा जांच करना
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| {संविधानवाद होता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-193,प्रश्न-5 | | {संविधानवाद होता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-193,प्रश्न-5 |