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||संविधानवाद एक गत्यात्मक अवधारणा है। इसमें स्थायित्व के साथ-साथ गत्यात्मकता भी पाई जाती है जिससे यह प्रगति में बाधक नहीं बल्कि प्रगति का साधक बना रहता है। चूंकि विकास के लिए स्थायित्व भी अति आवश्यक है, अन्यथा विकास दिशाहीन होगा। इसलिए संविधानवाद की धारणा स्थिरता-युक्त गत्यात्मकता की सूचक है। इसकी गतिशील प्रकृति अति आवश्यक है क्योंकि समय परिवर्तन के साथ मूल्यों में परिवर्तन आता है तथा संस्कृति विकसित होती है जिससे संविधानवाद गत्यात्मकता प्राप्त करता है।
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||संविधानवाद एक गत्यात्मक अवधारणा है। इसमें स्थायित्व के साथ-साथ गत्यात्मकता भी पाई जाती है जिससे यह प्रगति में बाधक नहीं बल्कि प्रगति का साधक बना रहता है। चूंकि विकास के लिए स्थायित्व भी अति आवश्यक है, अन्यथा विकास दिशाहीन होगा। इसलिए संविधानवाद की धारणा स्थिरता-युक्त गत्यात्मकता की सूचक है। इसकी गतिशील प्रकृति अति आवश्यक है क्योंकि समय परिवर्तन के साथ मूल्यों में परिवर्तन आता है तथा [[संस्कृति]] विकसित होती है जिससे संविधानवाद गत्यात्मकता प्राप्त करता है।
  
 
{निम्नलिखित में से कौन-सी पुस्तक [[प्लेटो]] द्वारा नहीं लिखी गई थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-201,प्रश्न-2
 
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||[[प्लेटो]] आदर्शवादी सिद्धांत का विचारक था। इसने अपने ग्रंथ 'रिपाब्लिक' में आदर्श राज्य की कल्पना की थी जबकि पैरेटो अभिजात्य सिद्धांत, बर्क अनुदारवादी सिद्धांत तथा हॉब्स, लॉक, रूसो सामाजिक समझौता सिद्धांत के विचारक रहे हैं।
 
||[[प्लेटो]] आदर्शवादी सिद्धांत का विचारक था। इसने अपने ग्रंथ 'रिपाब्लिक' में आदर्श राज्य की कल्पना की थी जबकि पैरेटो अभिजात्य सिद्धांत, बर्क अनुदारवादी सिद्धांत तथा हॉब्स, लॉक, रूसो सामाजिक समझौता सिद्धांत के विचारक रहे हैं।
  
{किसने सामाजिक संविदा सिद्धांत की, 'घटिया इतिहास, घटिया दर्शन तथा घटिया विधि' के रूप में आलोचना की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-22
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{किसने सामाजिक संविदा सिद्धांत की 'घटिया इतिहास, घटिया दर्शन तथा घटिया विधि' के रूप में आलोचना की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-22
 
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+सर हेनरी मेन
 
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||प्रजातंत्र एक ऐसी शासन पद्धति है जिसमें जनता के हाथों में अंतिम व निर्णायक शक्ति होती है, वह प्रतिनिधियों की माध्यम से सरकार का निर्माण करती है।
 
||प्रजातंत्र एक ऐसी शासन पद्धति है जिसमें जनता के हाथों में अंतिम व निर्णायक शक्ति होती है, वह प्रतिनिधियों की माध्यम से सरकार का निर्माण करती है।
  
{प्रभुसत्ता की धारणा का निरूपण सबसे पहले किया- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-22,प्रश्न-2
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{प्रभुसत्ता की धारणा का निरूपण सबसे पहले किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-22,प्रश्न-2
 
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-[[प्लेटो]] ने
 
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||प्रभुसत्ता की अवधारणा का निरूपण सर्वप्रथम सोलहवीं शताब्दी में ज्यां बोदां द्वारा अपनी पुस्तक 'द रिपब्लिका' (राज्य) के अंतर्गत किया गया था।
 
||प्रभुसत्ता की अवधारणा का निरूपण सर्वप्रथम सोलहवीं शताब्दी में ज्यां बोदां द्वारा अपनी पुस्तक 'द रिपब्लिका' (राज्य) के अंतर्गत किया गया था।
  
{इटली में फॉसीवादी का उदय परिणाम था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-42,प्रश्न-12
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{[[इटली]] में फॉसीवादी का उदय परिणाम था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-42,प्रश्न-12
 
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-पुनर्जागरण का
 
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-नेपोलियानिक युद्ध का
 
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-औद्योगिक क्रांति का
 
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||फासिस्ट आंदोलन के प्रारंभिक दौर में मुसोलिनी का ध्येय केवल सत्ता के अपने हाथ मे लेना था, किंतु प्रथम विश्व युद्ध के बाद की परिस्थितियों में मुसोलिनी ने अपना दृष्टिकोण बदला और वर्ष 1926 के बाद उसकी सरकार का स्वरूप अधिनायक तंत्रीय हो गया।
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||फासिस्ट आंदोलन के प्रारंभिक दौर में मुसोलिनी का ध्येय केवल सत्ता को अपने हाथ में लेना था, किंतु प्रथम विश्व युद्ध के बाद की परिस्थितियों में मुसोलिनी ने अपना दृष्टिकोण बदला और वर्ष 1926 के बाद उसकी सरकार का स्वरूप अधिनायक तंत्रीय हो गया।
  
 
{"कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" कानून की यह परिभाषा निम्न में से किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-23
 
{"कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" कानून की यह परिभाषा निम्न में से किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-23
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-[[राजस्थान]] में
 
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||वर्ष 1970 में लोकायुक्त और लोकायुक्त अधिनियम के माध्यम से लोकायुद्ध की संस्था को प्रस्तुत करने वाली [[उड़ीसा]] [[भारत]] का प्रथम राज्य था जबकि वर्ष 1971 में लोकायुक्त पद की सर्वप्रथम स्थापना करने वाला प्रथम [[राज्य]] [[महाराष्ट्र]] था।
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||वर्ष 1970 में लोकायुक्त और लोकायुक्त अधिनियम के माध्यम से लोकायुक्त की संस्था को प्रस्तुत करने वाला [[उड़ीसा]] [[भारत]] का प्रथम राज्य था जबकि वर्ष 1971 में लोकायुक्त पद की सर्वप्रथम स्थापना करने वाला प्रथम [[राज्य]] [[महाराष्ट्र]] था।
  
 
{बहुदलीय व्यवस्था नहीं पायी जाती है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-199,प्रश्न-40
 
{बहुदलीय व्यवस्था नहीं पायी जाती है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-199,प्रश्न-40

11:49, 12 दिसम्बर 2017 का अवतरण

1 संविधानवाद होता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-193,प्रश्न-5

कठोर
गतिशील
स्थायी
अपरिवर्तनशील

2 निम्नलिखित में से कौन-सी पुस्तक प्लेटो द्वारा नहीं लिखी गई थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-201,प्रश्न-2

क्रीतो
रिपब्लिक
एथिक्स
अपोलॉजी

3 निम्नांकित में से कौन-सा युग्म सही नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-8,प्रश्न-22

अभिजात्य सिद्धांत -पैरेटो
अनुदारवादी सिद्धांत -बर्क
उदारवादी सिद्धांत -प्लेटो
सामाजिक प्रसंविदा सिद्धांत -रूसो

4 किसने सामाजिक संविदा सिद्धांत की 'घटिया इतिहास, घटिया दर्शन तथा घटिया विधि' के रूप में आलोचना की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-22

सर हेनरी मेन
लॉर्ड एक्टन
हॉब हाउस
मिल

5 प्रजातंत्र वह शासन पद्धति है जिसमें अंतिम शक्ति निवास करती है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-46,प्रश्न-14

जनता में
राजनीतिज्ञों में
लोक सेवकों में
नौकरशाहों में

6 प्रभुसत्ता की धारणा का निरूपण सबसे पहले किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-22,प्रश्न-2

प्लेटो ने
अरस्तू ने
बोदां ने
लॉक ने

7 इटली में फॉसीवादी का उदय परिणाम था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-42,प्रश्न-12

पुनर्जागरण का
प्रथम विश्व युद्ध का
नेपोलियानिक युद्ध का
औद्योगिक क्रांति का

8 "कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" कानून की यह परिभाषा निम्न में से किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-23

ऑस्टिन ने
सालमंड ने
विल्सन ने
ग्रीन ने

9 लोकायुक्त पद की स्थापना सर्वप्रथम सन् 1971 ई. में कहां की गई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-191,प्रश्न-4

बिहार में
महाराष्ट्र में
राजस्थान में
तमिलनाडु में

10 बहुदलीय व्यवस्था नहीं पायी जाती है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-199,प्रश्न-40

फ्रांस में
जर्मनी में
ऑस्ट्रेलिया में
क्यूबा में