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+बोदां, ग्रोशस और ऑस्टिन
 
+बोदां, ग्रोशस और ऑस्टिन
 
||संप्रभुता की व्याख्या करने का श्रेय ज्यां बोदां, ह्यूगो ग्रोश्यस और जॉन ऑस्टिन को दिया जाता है। संप्रभुता सिद्धांत का निरूपण सोलहवीं शताब्दी में ज्यां बोदां, ह्यूगो ग्रोश्यस और टॉमस हॉब्स तथा अठारहवीं शताब्दी में जे. जे. रूसो और उन्नीसवीं शताब्दी में जॉन ऑस्टिन ने किया।
 
||संप्रभुता की व्याख्या करने का श्रेय ज्यां बोदां, ह्यूगो ग्रोश्यस और जॉन ऑस्टिन को दिया जाता है। संप्रभुता सिद्धांत का निरूपण सोलहवीं शताब्दी में ज्यां बोदां, ह्यूगो ग्रोश्यस और टॉमस हॉब्स तथा अठारहवीं शताब्दी में जे. जे. रूसो और उन्नीसवीं शताब्दी में जॉन ऑस्टिन ने किया।
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{'फॉसीवाद' के पास को माना है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-18
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-एक आवश्यक बुराई
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-वर्ग विरोध की असमाधेयता का परिणाम और अभिव्यक्ति
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+व्यक्तियों पर एक निरंकुश शक्ति
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-परिवार और गांवों का एक ऐसा संगठन जिसका उद्देश्य, पूर्ण और आत्मनिर्भर होना है
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||फॉसीवाद ने राज्य को व्यक्तियों पर निरंकुश शक्ति माना है। इसके अनुसार राज्य सर्वशक्तिमान तथा निरंकुश है। इसकी मान्यता है कि सब कुछ राज्य के अंदर है, राज्य के बाहर तथा राज्य के विरुद्ध कुछ भी नहीं है। यह उदारवाद एवं लोकतंत्र का घोर विरोधी है। यह निगमित राज्य में विश्वास करता है। यह मानव को राज्य पर कुर्बान कर देता है तथा मानव अधिकारों को मान्यता नहीं देता। इसके अनुसार राज्य साध्य है तथा नागरिक साधन है।
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{'विधि के शासन' की आधुनिक संकल्पना को निरूपित करने का श्रेय दिया जाता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-69,प्रश्न-29
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-अरस्तू को
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-मान्टेस्क्यू को
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+ए.वी. डायसी को
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-हेरोल्ड लास्की को
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||भारतीय संविधान का अनु.14 उपबंधित करता है कि "भारत राज्य-क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से राज्य द्वारा वंचित नहीं किया जाएगा"। 'विधि के समक्ष समता' वाक्यांश ब्रिटिश संविधान से लिया गया है जिसे प्रोफेसर ए.वी. डायसी 'विधि शासन' (Rule of law)  कहते हैं।
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{संविधान की अवधारणा सर्वप्रथम कहां उत्पन्न हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-192,प्रश्न-1
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-भारत
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-चीन
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+ब्रिटेन
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-अमेरिका
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||संविधान की अवधारणा सर्वप्रथम ब्रिटेन में उत्पन्न हुई। ब्रिटेन में आज भी संविधान का निर्माण लिखित रूप में नहीं किया गया है। ब्रिटेन का संविधान परंपराओं व रीति-रिवाजों की सम्मिलन से बना है।
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{'ब्रिटिश सम्राट कोई गलती नहीं करता' क्योंकि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-200,प्रश्न-48
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-वह सैद्धांतिक रूप से सर्वज्ञाता है
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-वह सैद्धांतिक रूप से राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है
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-वह सदैव पुराने निर्णयों के आधार पर ही कार्य करता है
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+वह सदैव कैबिनेट की सलाह पर ही काम करता है
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||'ब्रिटिश सम्राट कोई गलती नहीं करता' क्योंकि वह सदैव कैबिनेट की सलाह पर ही काम करता है। वस्तुत: ब्रिटिश शासन प्रणाली में ब्रिटिश सम्राट की भूमिका 'शानदार या भव्य शून्य' की भांति है जिसके नाम से संपूर्ण शासन प्रणाली का संचालन सिद्धांतत: होता है किन्तु व्यवहार में ब्रिटिश सम्राट अपने मंत्रियों द्वारा निर्मित नीतियों को अनुमति प्रदान करने के अतिरिक्त कुछ नहीं करता।
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{फ्रांसीसी व्यवस्था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-194,प्रश्न-12
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-शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रत्यक्ष जनतंत्रात्मक है
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-शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रभावी संघात्मक है
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+शुध अध्यक्षात्मक नहीं है और शुद्ध संसदीय भी नहीं है
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-उपर्युक्त में से कोई नहीं
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{'दि पावर्टी ऑफ़ फिलॉसफी' के लेखक कौन थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-9
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-माओ
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-लेनिन
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+मार्क्स
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-स्टालिन
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||'द पावर्टी ऑफ़ फिलॉसफी' के लेखक कार्ल मार्क्स है। मार्क्स ने इस ग्रन्थ की रचना प्रूधां के ग्रंथ (फिलॉसफी ऑफ़ पावर्टी) के प्रत्युत्तर में की। अपने ग्रंथ की रचना में मार्क्स का उद्देश्य तत्कालीन जर्मन विचार धारा को क्रांतिकारी स्वरूप देना था।
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{"मैं ही राज्य हूं" यह घोषणा निम्नलिखित में से किसने की थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-9,प्रश्न-32
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-जेम्स प्रथम
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-रॉबर्ट फिल्मर
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+लुई चौदहवें
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-पोप प्रथम
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||फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें कहा करते थे कि "मैं ही राज्य हूं"। सामान्यत: राज्य और अरकार दोनों शब्दों का प्रयोग पर्यायवाची अर्थों में किया जाता है। यूरोप के निरंकुश शासक प्राय: अपनी अनियंत्रित सत्ता को न्यायपूर्ण सिद्ध करने के लिए दोनों में भेद नहीं मानते थे। इसी प्रकार की प्रवृत्ति इटली में मुसोलिनी तथा जर्मनी में हिटलर के निरंकुश शासन में मिलती है।
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{राज्य की उत्पत्ति का पितृसत्तात्मक सिद्धांत जुड़ा है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-22,प्रश्न-29
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-जेंक्स के नाम से
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+हेनरी मेन के नाम से
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-लास्की के नाम से
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-मोरगन के नाम से
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||राज्य की उत्पत्ति का पितृसत्तात्मक सिद्धांत सर हेनरी मेन से जुड़ा है। इस सिद्धांत के अनुसार, "राज्य, परिवार का वृहत रूप है, ऐसे परिवार का जिसमें पिता की प्रधानता थी"। हेनरी मेन के अनुसार, "पितृसत्तात्मक सिद्धांत, वह सिद्धांत है जो समाज का आरंभ ऐसे पृथक परिवारों से मानता है जो सबसे अधिक आयु वाले पुरुष वंशज के नियंत्रण के नियंत्रण व छात्र-छाया में एक साथ रहते हैं"।
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12:06, 23 दिसम्बर 2017 का अवतरण

1 'रिप्रेजेंटेटिव गवर्नमेंट' नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-8

एच.जी. बेल्स
सी.डी. बर्न्स
जे.एस. मिल
अरस्तू

2 अरस्तू के अनुसार, राज्य का अस्तित्व- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-9,प्रश्न-31

दैवी इच्छा का परिणाम है
बल और भय का परिणाम है
केवल राजनैतिक और धार्मिक संयोग है
विकास का परिणाम है

3 सामाजिक समझौता सिद्धांत वर्णन करता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-21,प्रश्न-28

राज्य के स्वरूप का
राज्यों के कार्यों का
राज्य की उत्पत्ति का
इनमें से कोई नहीं

4 निम्नलिखित में से कौन-सी दल पद्धति लोकतंत्र के स्थायित्व के लिए सबसे उपयुक्त है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-47,प्रश्न-20

एक दल प्रधानता
दल रहित
बहुदलीय
द्विदलीय

5 निम्न में किस वर्ग के विचारकों को संप्रभुता की व्याख्या करने का श्रेय दिया जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-23,प्रश्न-8

बोदां, मार्क्स और ऑस्टिन
बोदां, मार्क्स और हीगेल
हीगेल, लास्वेल और हस्टन
बोदां, ग्रोशस और ऑस्टिन

6 'फॉसीवाद' के पास को माना है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-18

एक आवश्यक बुराई
वर्ग विरोध की असमाधेयता का परिणाम और अभिव्यक्ति
व्यक्तियों पर एक निरंकुश शक्ति
परिवार और गांवों का एक ऐसा संगठन जिसका उद्देश्य, पूर्ण और आत्मनिर्भर होना है

7 'विधि के शासन' की आधुनिक संकल्पना को निरूपित करने का श्रेय दिया जाता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-69,प्रश्न-29

अरस्तू को
मान्टेस्क्यू को
ए.वी. डायसी को
हेरोल्ड लास्की को

8 संविधान की अवधारणा सर्वप्रथम कहां उत्पन्न हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-192,प्रश्न-1

भारत
चीन
ब्रिटेन
अमेरिका

9 'ब्रिटिश सम्राट कोई गलती नहीं करता' क्योंकि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-200,प्रश्न-48

वह सैद्धांतिक रूप से सर्वज्ञाता है
वह सैद्धांतिक रूप से राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है
वह सदैव पुराने निर्णयों के आधार पर ही कार्य करता है
वह सदैव कैबिनेट की सलाह पर ही काम करता है

10 फ्रांसीसी व्यवस्था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-194,प्रश्न-12

शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रत्यक्ष जनतंत्रात्मक है
शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रभावी संघात्मक है
शुध अध्यक्षात्मक नहीं है और शुद्ध संसदीय भी नहीं है
उपर्युक्त में से कोई नहीं

11 'दि पावर्टी ऑफ़ फिलॉसफी' के लेखक कौन थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-9

माओ
लेनिन
मार्क्स
स्टालिन

12 "मैं ही राज्य हूं" यह घोषणा निम्नलिखित में से किसने की थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-9,प्रश्न-32

जेम्स प्रथम
रॉबर्ट फिल्मर
लुई चौदहवें
पोप प्रथम

13 राज्य की उत्पत्ति का पितृसत्तात्मक सिद्धांत जुड़ा है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-22,प्रश्न-29

जेंक्स के नाम से
हेनरी मेन के नाम से
लास्की के नाम से
मोरगन के नाम से