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{मार्सिलियो पाटुआ और रूसो ने किस प्रकार की संप्रभुता का  प्रतिपादन किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-24,प्रश्न-10
 
{मार्सिलियो पाटुआ और रूसो ने किस प्रकार की संप्रभुता का  प्रतिपादन किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-24,प्रश्न-10
 
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+लोक प्रिय
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-धार्मिक
 
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-अभिजनोन्मुख
 
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-संसदीय
 
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||मार्सिलियो पाटुआ और रूसो ने लोक प्रिय संप्रभुता का प्रतिपादन किया है। रूसो ने सर्वप्रथम संप्रभुता सिद्धांत का पूर्ण रूप से प्रतिपादन किया है। आधुनिक संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन सर्वप्रथम बोदां ने अपने ग्रंथ में The Six Books Concerning the Republic स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया।
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||मार्सिलियो पाटुआ और रूसो ने लोक प्रिय संप्रभुता का प्रतिपादन किया है। रूसो ने सर्वप्रथम संप्रभुता सिद्धांत का पूर्ण रूप से प्रतिपादन किया है। आधुनिक संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन सर्वप्रथम बोदां ने अपने ग्रंथ द सिक्स बुक्स कंसर्निंग द रिपब्लिक (The Six Books Concerning the Republic) में स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया।
  
 
{मित्र राष्ट्रों द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की व्यवस्था बनाने में किस सम्मेलन का महत्त्वपूर्ण योगदान था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-112,प्रश्न-11
 
{मित्र राष्ट्रों द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की व्यवस्था बनाने में किस सम्मेलन का महत्त्वपूर्ण योगदान था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-112,प्रश्न-11
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-पेरिस सम्मेलन, 1943
 
-पेरिस सम्मेलन, 1943
 
-वियना सम्मेलन, 1944
 
-वियना सम्मेलन, 1944
||मित्र राष्ट्रों के द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की व्यवस्था बनाने के लिए रूस के क्रीमिया प्रायद्वीप के याल्टा नामक स्थान पर 4 से 11 फरवरी, 1945 के मध्य एक सम्मेलन आयोजित किया गया इसमें महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया था।
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||मित्र राष्ट्रों के द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की व्यवस्था बनाने के लिए रूस के क्रीमिया प्रायद्वीप के याल्टा नामक स्थान पर 4 से 11 फरवरी, 1945 के मध्य एक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
  
 
{संयुक्त राष्ट्र संघ का सचिवालय स्थित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-119,प्रश्न-12
 
{संयुक्त राष्ट्र संघ का सचिवालय स्थित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-119,प्रश्न-12
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||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] का सचिवालय [[अमेरिका]] के न्यूयॉर्क नगर में स्थित है।
 
||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] का सचिवालय [[अमेरिका]] के न्यूयॉर्क नगर में स्थित है।
  
{हरबर्ट मॉरियस के अनुसार नौकरशाही- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-134,प्रश्न-32
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{हरबर्ट मॉरिसन के अनुसार नौकरशाही- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-134,प्रश्न-32
 
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-तानाशाही की कीमत है
 
-तानाशाही की कीमत है
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-राजतंत्र की कीमत है
 
-राजतंत्र की कीमत है
 
-संघवाद की कीमत है
 
-संघवाद की कीमत है
||हरबर्ट मॉरिसन (3 जनवरी, 1888-6 मार्च, 1965) एक ब्रिटिश श्रमिक नेता थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में ब्रिटिश कैबिनेट में गृह सचिव, विदेश सचिव तथा [[उप प्रधानमंत्री]] के पदों को सुशोमित किया। उनके विचार में नौकरशाही संसदीय जनतंत्र का मूल्य है।
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||हरबर्ट मॉरिसन (3 जनवरी, 1888-6 मार्च, 1965) एक ब्रिटिश श्रमिक नेता थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में ब्रिटिश कैबिनेट में गृह सचिव, विदेश सचिव तथा [[उप प्रधानमंत्री]] के पदों को सुशोभित किया। उनके विचार में नौकरशाही संसदीय जनतंत्र का मूल्य है।
  
 
{'लौह आवरण' शब्द को किसने प्रचलित करवाया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-195,प्रश्न-14
 
{'लौह आवरण' शब्द को किसने प्रचलित करवाया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-195,प्रश्न-14
 
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+चर्चित ने फुल्टन भाषण द्वारा
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+चर्चिल ने फुल्टन भाषण द्वारा
 
-रीगन ने राष्ट्र के नाम संबोधन द्वारा
 
-रीगन ने राष्ट्र के नाम संबोधन द्वारा
 
-निक्सन ने रेडियो संदेश द्वारा
 
-निक्सन ने रेडियो संदेश द्वारा
 
-जॉर्ज एच. बुश द्वारा राष्ट्रपति चुनाव के समय
 
-जॉर्ज एच. बुश द्वारा राष्ट्रपति चुनाव के समय
||'लौह आवरण' (शब्द) का प्रयोग चर्चित ने फुल्टन भाषण 5 मार्च, 1946 में किया था।
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||'लौह आवरण' (शब्द) का प्रयोग चर्चिल ने फुल्टन भाषण 5 मार्च, 1946 में किया था।
  
 
{'ग्रामर ऑफ़ पॉलिटिक्स' के लेखक- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-11
 
{'ग्रामर ऑफ़ पॉलिटिक्स' के लेखक- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-11
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-यथार्थवादी  
 
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-विकासवादी
 
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||राज्य किसी ऐसी संस्था में निहित होता जो एक बार और हमेशा के लिए बनी हो। यह उस सामान्य इच्छा को व्यक्त करता है जो एक 'सामान्य भले' हेतु कार्यशील होती है। टी.एच. ग्रीन (T.H. Green) जो एक ब्रिटिश दार्शनिक और विचारक थे, का ऐसा ही मत तथा। इन्हें [[इंग्लैंड]] में आदर्शवादी विचारधारा का समर्थक माना जाता है।
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||राज्य किसी ऐसी संस्था में निहित होता जो एक बार और हमेशा के लिए बनी हो। यह उस सामान्य इच्छा को व्यक्त करता है जो एक 'सामान्य भले' हेतु कार्यशील होती है। टी.एच. ग्रीन (T.H. Green) जो एक ब्रिटिश दार्शनिक और विचारक थे, का ऐसा ही मत था। इन्हें [[इंग्लैंड]] में आदर्शवादी विचारधारा का समर्थक माना जाता है।
  
 
{लॉक का विश्वास था कि संप्रभु- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-24,प्रश्न-11
 
{लॉक का विश्वास था कि संप्रभु- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-24,प्रश्न-11
 
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-समस्त कानूनों का प्रमुखकर्ता है।
 
-समस्त कानूनों का प्रमुखकर्ता है।
+विद्यमान कानूनों से बंद्या हुआ है।
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+विद्यमान कानूनों से बंधा हुआ है।
 
-समस्त कानूनों से ऊपर है।
 
-समस्त कानूनों से ऊपर है।
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं।
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं।
 
||लॉक का विश्वास था कि संप्रभु विद्यमान कानूनों से बंधा हुआ है।
 
||लॉक का विश्वास था कि संप्रभु विद्यमान कानूनों से बंधा हुआ है।
लॉक के अनुसार, प्राकृतिक दशा में अनुष्य को 'प्राकृतिक अधिकार' प्राप्त होते हैं जिनमें जीवन, स्वतंत्रता एवं संपत्ति का अधिकार प्रमुख अधिकार हैं। इन अधिकारों की रक्षा हेतु मनुष्य नागरिक समाज की स्थापना करते हैं। इस प्रकार लॉक के अनुसार, नागरिक समाज या राज्य मनुष्य के प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा हेतु उत्तरदायी होता है। अत: राज्य की प्रभुसत्ता पूर्ण या असीम नहीं होती है बल्कि वह शर्तों से बंधी होती है।
 
  
 
{[[अरस्तू]] के अनुसार, दासता- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-34, प्रश्न-21
 
{[[अरस्तू]] के अनुसार, दासता- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-34, प्रश्न-21
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||अरस्तू के अनुसार, दासता प्राकृतिक है और यह स्वामी तथा दास दोनों पक्षों के लिए लाभकारी है। अरस्तू का मानना है कि प्रकृति ने मनुष्यों को दो समूहों में बांटा है, जिन आत्माओं में प्रकृति ने शासन और आदेश मानने का सिद्धांत जमाया है वे प्राकृतिक दास तथा दूसरे मनुष्य स्वतंत्र होते हैं और शासक के रूप में पैदा होते हैं, उनमें बौद्धिक बल होता है। वे स्वामी होते हैं। इस तरह बौद्धिक असमानता और शारीरिक क्षमता के आधार पर दास-स्वामी का संबंध प्रारंभ हुआ।
 
||अरस्तू के अनुसार, दासता प्राकृतिक है और यह स्वामी तथा दास दोनों पक्षों के लिए लाभकारी है। अरस्तू का मानना है कि प्रकृति ने मनुष्यों को दो समूहों में बांटा है, जिन आत्माओं में प्रकृति ने शासन और आदेश मानने का सिद्धांत जमाया है वे प्राकृतिक दास तथा दूसरे मनुष्य स्वतंत्र होते हैं और शासक के रूप में पैदा होते हैं, उनमें बौद्धिक बल होता है। वे स्वामी होते हैं। इस तरह बौद्धिक असमानता और शारीरिक क्षमता के आधार पर दास-स्वामी का संबंध प्रारंभ हुआ।
  
{इटली में फॉसीवादी की उदय परिणाम था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-42,प्रश्न-12
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{इटली में फॉसीवादी का उदय किसका परिणाम था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-42,प्रश्न-12
 
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-पुनर्जागरण का
 
-पुनर्जागरण का
 
+प्रथम विश्व युद्ध का
 
+प्रथम विश्व युद्ध का
 
-नेपोलियानिक युद्ध का
 
-नेपोलियानिक युद्ध का
-आद्योगिक क्रांति का
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-ओद्योगिक क्रांति का
||फासिस्ट आंदोलन के प्रारंभिक दौर में मुसोलिनी का ध्येय केवल सत्ता को अपने हाथ में लेना था, किंतु प्रथम विश्व युद्ध के बाद की परिस्थितियों में मुसोलिनी ने अपना दृष्टिकोण बदला और वर्ष 1926 के बाद उसकी सरकार का स्वरूप अधिनायक तंत्रीय हो गया?
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||फासिस्ट आंदोलन के प्रारंभिक दौर में मुसोलिनी का ध्येय केवल सत्ता को अपने हाथ में लेना था, किंतु प्रथम विश्व युद्ध के बाद की परिस्थितियों में मुसोलिनी ने अपना दृष्टिकोण बदला और वर्ष 1926 के बाद उसकी सरकार का स्वरूप अधिनायक तंत्रीय हो गया।
  
 
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12:27, 29 दिसम्बर 2017 का अवतरण

1 मांतेस्क्यू ने किस संस्था की व्याख्या करने में त्रुटि की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-69,प्रश्न-31

फ्रांसीसी राजतंत्र की व्याख्या में
अमेरिकी राष्ट्रपति की व्याख्या में
स्विस संसद की व्याख्या में
ब्रिटिश संसदीय व्यवस्था की व्याख्या में

2 'फॉसिज्म' किस भाषा से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-41,प्रश्न-11

अंग्रेज़ी
फ्रेन्च
लैटिन
ग्रीक

3 'राज्य ही नगर था और चर्च भी'। यह वाक्य किस व्यवस्था का विवरण देता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-22,प्रश्न-30

स्विट कैंटनों का
पेसिस नगर का
यूनानी नगरों का
फ्रांसीसी नगरों का

4 निम्नलिखित में से कौन प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का एक लक्षण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-48,प्रश्न-21

लोकमत
जनमत संग्रह
आरंभन
आनुपातिक प्रतिनिधित्व

5 "कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" कानून की यह परिभाषा निम्न में से किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-23

ऑस्टिन ने
सालमंड ने
विल्सन ने
ग्रीन ने

6 मार्सिलियो पाटुआ और रूसो ने किस प्रकार की संप्रभुता का प्रतिपादन किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-24,प्रश्न-10

लोकप्रिय
धार्मिक
अभिजनोन्मुख
संसदीय

7 मित्र राष्ट्रों द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की व्यवस्था बनाने में किस सम्मेलन का महत्त्वपूर्ण योगदान था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-112,प्रश्न-11

माल्टा सम्मेलन, 1945
याल्टा सम्मेलन, 1945
पेरिस सम्मेलन, 1943
वियना सम्मेलन, 1944

8 संयुक्त राष्ट्र संघ का सचिवालय स्थित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-119,प्रश्न-12

वाशिंगटन डी.सी. में
न्यूयॉर्क में
लंदन में
पेरिस में

9 हरबर्ट मॉरिसन के अनुसार नौकरशाही- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-134,प्रश्न-32

तानाशाही की कीमत है
संसदीय जनतंत्र का मूल्य है
राजतंत्र की कीमत है
संघवाद की कीमत है

10 'लौह आवरण' शब्द को किसने प्रचलित करवाया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-195,प्रश्न-14

चर्चिल ने फुल्टन भाषण द्वारा
रीगन ने राष्ट्र के नाम संबोधन द्वारा
निक्सन ने रेडियो संदेश द्वारा
जॉर्ज एच. बुश द्वारा राष्ट्रपति चुनाव के समय

11 'ग्रामर ऑफ़ पॉलिटिक्स' के लेखक- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-11

लॉर्ड ब्राइस हैं
हरमन फाइनर हैं
जॉन आस्टिन हैं
हेरोल्ड लास्की हैं

12 "शक्ति नहीं बल्कि सदिच्छा राज्य का आधार है"। यह वाक्य किस विचार का प्रतिनिधित्व करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-10,प्रश्न-34

आदर्शवादी
मार्क्सवादी
यथार्थवादी
विकासवादी

13 लॉक का विश्वास था कि संप्रभु- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-24,प्रश्न-11

समस्त कानूनों का प्रमुखकर्ता है।
विद्यमान कानूनों से बंधा हुआ है।
समस्त कानूनों से ऊपर है।
उपर्युक्त में से कोई नहीं।

14 अरस्तू के अनुसार, दासता- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-34, प्रश्न-21

दैवीय दंड का एक रूप है किंतु हानिकारक है
अप्राकृतिक और अस्थायी है
प्राकृतिक और दैवीय है किंतु निंदनीय है
प्राकृतिक और लाभप्रद है

15 इटली में फॉसीवादी का उदय किसका परिणाम था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-42,प्रश्न-12

पुनर्जागरण का
प्रथम विश्व युद्ध का
नेपोलियानिक युद्ध का
ओद्योगिक क्रांति का