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#REDIRECT [[ज्ञान चंद्र घोष]]
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|चित्र का नाम=ज्ञानचंद्र घोष
 
|पूरा नाम=ज्ञानचंद्र घोष
 
|अन्य नाम=
 
|जन्म=[[4 सितम्बर]], [[1894]] ई.
 
|जन्म भूमि=पुरुलिया, [[पश्चिम बंगाल]]
 
|मृत्यु=[[21 जनवरी]], [[1959]] ई.
 
|मृत्यु स्थान=
 
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|पति/पत्नी=
 
|संतान=
 
|कर्म भूमि=[[भारत]]
 
|कर्म-क्षेत्र=
 
|मुख्य रचनाएँ=
 
|विषय=
 
|खोज=
 
|भाषा=
 
|शिक्षा=एम.एस.सी.
 
|विद्यालय='[[कोलकाता विश्वविद्यालय]]'
 
|पुरस्कार-उपाधि=
 
|प्रसिद्धि=वैज्ञानिक
 
|विशेष योगदान=इनके द्वारा विविध विषयों पर किये गए अनुसंधान कार्यों से न केवल ज्ञान की वृद्धि हुई अपितु देश के औद्योगिक विकास में बड़ी सहायता मिली।
 
|नागरिकता=भारतीय
 
|संबंधित लेख=
 
|शीर्षक 1=विशेष
 
|पाठ 1=ज्ञानचंद्र घोष द्वारा स्थापित 'तनुता का सिद्धांत', 'घोष का तनुता सिद्धांत' के नाम से सुप्रसिद्ध है।
 
|शीर्षक 2=
 
|पाठ 2=
 
|अन्य जानकारी=घोष [[रसायन विज्ञान|रसायन]] के उत्कृष्ट अध्यापक और मंजे हुए वक्ता ही नहीं वरन्‌ प्रथम कोटि के अनुसंधानकर्ता भी थे
 
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|अद्यतन=
 
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'''ज्ञानचंद्र घोष''' (जन्म- [[4 सितम्बर]], [[1894]] ई., पुरुलिया, [[पश्चिम बंगाल]]; मृत्यु- [[21 जनवरी]], [[1959]] ई.) [[भारत]] के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक थे। ये अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं के संस्थापक और सदस्य रहे थे। घोष के अनुसंधान कार्यों से ही उनका यश विज्ञान जगत् में फैला था। ज्ञानचंद्र घोष द्वारा स्थापित 'तनुता का सिद्धांत', 'घोष का तनुता सिद्धांत' के नाम से सुप्रसिद्ध है, यद्यपि इसमें पीछे बहुत कुछ परिवर्तन करना पड़ा।<ref name="aa">{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0_%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7 |title=ज्ञानचंद्र घोष |accessmonthday=24 मार्च|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
==जन्म तथा शिक्षा==
 
ज्ञानचंद्र घोष का जन्म 4 सितम्बर, 1894 को [[पश्चिम बंगाल]] के पुरुलिया नामक स्थान पर हुआ था। गिरिडीह से प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होकर 'कलकत्ता' (वर्तमान [[कोलकाता]]) के प्रेसिडेंसी कॉलेज से [[1915]] ई. में एम.एस.सी. परीक्षा में इन्होंने प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। इसके बाद ज्ञानचंद्र घोष '[[कोलकाता विश्वविद्यालय]]' के 'विज्ञान कॉलेज' में प्राध्यापक नियुक्त हुए। [[1918]] ई. में डी.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की।
 
====विदेश गमन====
 
वर्ष [[1919]] में ज्ञानचंद्र घोष [[यूरोप]] गए, जहाँ [[इंग्लैंड]] के प्रोफ़ेसर डोनान और जर्मनी के डॉ. नर्न्स्ट और हेवर के अधीन कार्य किया। [[1921]] ई. में यूरोप से लौटने पर 'ढाका विश्वविद्यालय' में प्रोफ़ेसर नियुक्त हुए। [[1939]] में ढाका से 'इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सायंस' के डाइरेक्टर होकर ज्ञानचंद्र घोष बंगलोर गए।<ref name="aa"/>
 
==उच्च पदों की प्राप्ति==
 
[[बंगलोर]] में '[[भारत सरकार]]' के इंडस्ट्रीज और सप्लाइज़ के डाइरेक्टर जनरल के पद पर वर्ष [[1947]]-[[1950]] ई. तक रहे। फिर खड़गपुर के तकनीकी संस्थान को स्थापित कर एवं प्राय: चार वर्ष तक उसके डाइरेक्टर रहकर 'कोलकाता विश्वविद्यालय' के उपकुलपति नियुक्त हुए। वहाँ से आयोजन आयोग के सदस्य होकर 'भारत सरकार' में गए।
 
==अनुसंधान कार्य==
 
ज्ञानचंद्र घोष अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं के संस्थापक और सदस्य रहे थे। 'भारतीय सायंस कांग्रेस' और 'भारतीय केमिकल सोसायटी' के अध्यक्ष भी रहे थे। वे रसायन के उत्कृष्ट अध्यापक और मंजे हुए वक्ता ही नहीं वरन्‌ प्रथम कोटि के अनुसंधानकर्ता भी थे। आपके अनुसंधान से ही आपका यश विज्ञान जगत् में फैला था। ज्ञानचंद्र घोष द्वारा स्थापित 'तनुता का सिद्धांत', 'घोष का तनुता सिद्धांत' के नाम से सुप्रसिद्ध है, यद्यपि इसमें पीछे बहुत कुछ परिवर्तन करना पड़ा। ज्ञानचंद्र घोष के अनुसंधान विविध विषयों, विशेषत: वैद्युत रसायन, गति विज्ञान, उच्चताप गैस अभिक्रिया, उत्प्रेरण, आत्मआक्सीकरण, प्रतिदीप्ति इत्यादि, पर हुए, जिनसे न केवल इन विषयों के ज्ञान की वृद्धि हुई, वरन्‌ देश के औद्योगिक विकास में बड़ी सहायता मिली।
 
====निधन====
 
'आयोजन आयोग' के सदस्य के रूप में देश के उद्योग धंधों के विकास में ज्ञानचंद्र घोष का कार्य बड़ा प्रशंसनीय रहा। उसी पद पर रहते हुए [[21 जनवरी]], [[1959]] को ज्ञानचंद्र घोष का देहावसान हुआ।<ref name="aa"/>
 
 
 
 
 
{{seealso|जगदीश चंद्र बोस|होमी जहाँगीर भाभा|सत्येंद्रनाथ बोस|अब्दुल कलाम}}
 
 
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
{{वैज्ञानिक}}
 
[[Category:वैज्ञानिक]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:विज्ञान_कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
 
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07:27, 4 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

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