"हूण" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{incomplete2}}
+
हूण मध्य [[एशिया]] की एक खानाबदोश जाति थी। ईसवी सन के प्रारम्भ से सौ वर्ष पहले और तीन चार सौ वर्षों बाद तक विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक घुम्मकड़ और लड़ाकू कबीलों का अस्तित्व था जैसे नोमेड (Nomad), वाइकिंग (Viking), नोर्मन (Normans), गोथ (Goth), कज़्ज़ाक़ (Kazakh), [[शक]], हूण आदि। हूणों ने दक्षिण-पूर्वी [[यूरोप]] और उत्तर-पश्चिम [[एशिया]] में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था। [[रोम]] के साम्राज्य को तहस-नहस करने में हूणों का भी बहुत बड़ा हाथ था। अटिला हूण ने अपना साम्राज्य चौथी-पाँचवी शताब्दी के दौरान यूरोप में स्थापित किया। मध्य-एशिया में यह छठी-सातवीं शताब्दी में बस गए। कॉकेशस से हूणों ने फैलना शुरु किया। उत्तर-पश्चिम [[भारत]] में हूणों द्वारा तबाही और लूट के अनेक उल्लेख मिलते हैं। गुप्त काल में हूणों ने [[पंजाब]] तथा [[मालवा]] पर अधिकार कर लिया था। [[तक्षशिला]] को भी क्षति पहुँचायी। भारत में आक्रमण हूणों के नेता [[तोरमाण]] और उसके [[मिहिरकुल]] के नेतृत्व में हुआ। [[मथुरा]] में हूणों ने मन्दिरों, [[बुद्ध]] और [[जैन]] स्तूपो को क्षति पहुँचायी और लूटमार की। मथुरा में हूणों के अनेक सिक्के मिले।
ईसवी सन के प्रारम्भ से सौ वर्ष पहले और तीन चार सौ वर्षों बाद तक विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक घुम्मकड़ और लड़ाकू कबीलों का अस्तित्व था जैसे नोमेड (Nomad), वाइकिंग (Viking), नोर्मन (Normans), गोथ (Goth), कज़्ज़ाक़ (Kazakh), [[शक]], हूण आदि। हूणों ने दक्षिण-पूर्वी यूरोप और उत्तर-पश्चिम एशिया में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था। रोम के साम्राज्य को तहस-नहस करने में हूणों का भी बहुत बड़ा हाथ था। अटिला हूण ने अपना साम्राज्य चौथी-पाँचवी शताब्दी के दौरान यूरोप में स्थापित किया। मध्य-एशिया में यह छठी-सातवीं शताब्दी में बस गए। कॉकेशस से हूणों ने फैलना शुरु किया। उत्तर-पश्चिम [[भारत]] में हूणों द्वारा तबाही और लूट के अनेक उल्लेख मिलते हैं। गुप्त काल में हूणों ने [[पंजाब]] तथा [[मालवा]] पर अधिकार कर लिया था। [[तक्षशिला]] को भी क्षति पहुँचायी। भारत में आक्रमण हूणों के नेता [[तोरमाण]] और उसके [[मिहिरकुल]] के नेतृत्व में हुआ। [[मथुरा]] में हूणों ने मन्दिरों, [[बुद्ध]] और [[जैन]] स्तूपो को क्षति पहुँचायी और लूटमार की। मथुरा में हूणों के अनेक सिक्के मिले।
+
==भारत पर आक्रमण==
 +
हूणों ने पांचवीं शताब्दी के मध्य में भारत पर पहला आक्रमण किया। 455 ई. में स्कंदगुप्त ने उन्हें पीछे धकेल दिया था। परंतु बाद के आक्रमण में 500 ई. के लगभग हूणों का नेता तोरमाण मालवा का स्वतंत्र शासक बन गया। उसके पुत्र ने पंजाब में स्यालकोट को अपनी राजधानी बनाकर चारों ओर बड़ा आतंक फैलाया। अंत में मालवा के राजा यशोधर्मा और बालादित्य ने मिलकर 528 ई. में उसे पराजित कर दिया। लेकिन इस पराजय के बाद भी हूण वापस मध्य एशिया नहीं गए। वे भारत में ही बस गए और उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लियां
 +
 
 +
{{लेख प्रगति
 +
|आधार=
 +
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 +
|माध्यमिक=
 +
|पूर्णता=
 +
|शोध=
 +
}}
  
 
[[Category:इतिहास_कोश]]
 
[[Category:इतिहास_कोश]]
 +
__INDEX__

07:18, 14 सितम्बर 2010 का अवतरण

हूण मध्य एशिया की एक खानाबदोश जाति थी। ईसवी सन के प्रारम्भ से सौ वर्ष पहले और तीन चार सौ वर्षों बाद तक विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक घुम्मकड़ और लड़ाकू कबीलों का अस्तित्व था जैसे नोमेड (Nomad), वाइकिंग (Viking), नोर्मन (Normans), गोथ (Goth), कज़्ज़ाक़ (Kazakh), शक, हूण आदि। हूणों ने दक्षिण-पूर्वी यूरोप और उत्तर-पश्चिम एशिया में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था। रोम के साम्राज्य को तहस-नहस करने में हूणों का भी बहुत बड़ा हाथ था। अटिला हूण ने अपना साम्राज्य चौथी-पाँचवी शताब्दी के दौरान यूरोप में स्थापित किया। मध्य-एशिया में यह छठी-सातवीं शताब्दी में बस गए। कॉकेशस से हूणों ने फैलना शुरु किया। उत्तर-पश्चिम भारत में हूणों द्वारा तबाही और लूट के अनेक उल्लेख मिलते हैं। गुप्त काल में हूणों ने पंजाब तथा मालवा पर अधिकार कर लिया था। तक्षशिला को भी क्षति पहुँचायी। भारत में आक्रमण हूणों के नेता तोरमाण और उसके मिहिरकुल के नेतृत्व में हुआ। मथुरा में हूणों ने मन्दिरों, बुद्ध और जैन स्तूपो को क्षति पहुँचायी और लूटमार की। मथुरा में हूणों के अनेक सिक्के मिले।

भारत पर आक्रमण

हूणों ने पांचवीं शताब्दी के मध्य में भारत पर पहला आक्रमण किया। 455 ई. में स्कंदगुप्त ने उन्हें पीछे धकेल दिया था। परंतु बाद के आक्रमण में 500 ई. के लगभग हूणों का नेता तोरमाण मालवा का स्वतंत्र शासक बन गया। उसके पुत्र ने पंजाब में स्यालकोट को अपनी राजधानी बनाकर चारों ओर बड़ा आतंक फैलाया। अंत में मालवा के राजा यशोधर्मा और बालादित्य ने मिलकर 528 ई. में उसे पराजित कर दिया। लेकिन इस पराजय के बाद भी हूण वापस मध्य एशिया नहीं गए। वे भारत में ही बस गए और उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लियां


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध