"तुकाराम" के अवतरणों में अंतर
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
− | |आधार= | + | |आधार= |
− | |प्रारम्भिक= | + | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= |
10:29, 15 दिसम्बर 2010 का अवतरण
तुकाराम(जन्म्1608-मृत्यु49ई.) एक छोटे दुकानदार और बिठोवा के परम भक्त थे। उनके व्यक्तिगत धार्मिक जीवन पर उनके रचे गीतों की पंक्तियाँ पूर्णरुपेण प्रकाश डालती हैं। उनके तुकाराम की ईश्वर भक्ति, निज तुच्छता, अयोग्यता का ज्ञान, असीम, दीनता, ईश्वरविश्वास एवं सहायतार्थ ईश्वर से प्रार्थना एवं आवेदन कूट-कूट कर भरे हैं। उन्हें बिठोवा के सर्वव्यापी एवं आध्यात्मिक रुप का विश्वास था, फिर भी वे अदृश्य ईश्वर का एकीकरण मूर्ति से करते थे। उनके पद्य बहुत ही उच्चकोटि के हैं। महाराष्ट्र में सम्भवत: उनका सर्वाधिक धार्मिक प्रभाव है। उनके गीतों में कोई भी दार्शनिक एवं गूढ़ धार्मिक नियम नहीं है। वे एकेश्वरवादी थे। महाराष्ट्रकेसरी शिवाजी ने उन्हें अपनी राजसभा में आमंत्रित किया था, किंतु तुकाराम ने केवल कुछ छन्द लिखकर भेजते हुए त्याग का आदर्श स्थापित कर दिया। उनके भजनों को अभंग कहते हैं। इनका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ