आज का दिन - 9 जून 2024
- राष्ट्रीय शाके 1946, 19 गते 27, ज्येष्ठ, रविवार
- विक्रम सम्वत् 2081, ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष, तृतीया, रविवार, पुनर्वसु
- इस्लामी हिजरी 1445, 01, ज़िलहिज्ज, इतवार, ज़िराअ
- रम्भा तृतीया, महाराणा प्रताप जयंती, चौधरी दिगम्बर सिंह (जन्म), वसन्त देसाई (जन्म), किरण बेदी (जन्म), नंदिनी सत्पथी (जन्म), लक्ष्मण प्रसाद दुबे (जन्म), अजित शंकर चौधरी (जन्म), अनिल मनीभाई नाईक (जन्म), बिरसा मुंडा (मृत्यु), मक़बूल फ़िदा हुसैन (मृत्यु), एन.जी. रंगा (मृत्यु), हरि किशन सरहदी (शहादत), दिनेश चंद्र मजूमदार (शहादत), अब्बास तैयबजी (मृत्यु), धीरेन्द्र ब्रह्मचारी (मृत्यु), असद भोपाली (मृत्यु), राज खोसला (मृत्यु), अन्तरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस
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विशेष आलेख
- वाराणसी के व्यापारी समुद्री व्यापार भी करते थे। काशी से समुद्र यात्रा के लिए नावें छूटती थीं।
- इस नगर के धनी व्यापारियों का व्यापार के उद्देश्य से समुद्र पार जाने का उल्लेख है। जातकों में भी व्यापार के उद्देश्य से बाहर जाने का उल्लेख मिलता है। एक जातक में उल्लेख है कि बनारस के व्यापारी दिशाकाक लेकर समुद्र यात्रा को गए थे। ... और पढ़ें
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एक पर्यटन स्थल
- हम्पी का नाम पम्पपति के कारण ही हुआ है। स्थानीय लोग 'प' का उच्चारण 'ह' करते हैं और पम्पापति को हम्पापति (हंपपथी) कहते हैं। हम्पी हम्पपति का ही लघुरूप है।
- कृष्णदेव राय के शासनकाल में बनाया गया प्रसिद्ध हजाराराम मन्दिर विद्यमान हिन्दू मन्दिरों की वास्तुकला के पूर्णतम नमूनों में से एक है।
- फ़र्ग्यूसन के विचार में यह फूलों से अलंकृत वैभव की पराकाष्ठा का द्योतक है, जहाँ तक यह शैली (वल्लरी शैली) विकसित हो चुकी थी।
- भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा विश्व के विरासत स्थलों की संख्या में शामिल है ... और पढ़ें
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ऐसा भी हुआ !
- 20 हज़ार आबादी वाले एक नगर के लोगों ने दो हज़ार साल पहले स्वयं अपने नगर में आग लगा दी और अपनी स्त्रियों और बच्चों के साथ जलकर मर गए .... और पढ़ें
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सूक्ति और कहावत
- तिलक-गीता का पूर्वार्द्ध है ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’, और उसका उत्तरार्द्ध है ‘स्वदेशी हमारा जन्मसिद्ध कर्तव्य है’। स्वदेशी को लोकमान्य बहिष्कार से भी ऊँचा स्थान देते थे। -महात्मा गाँधी
- अंतर्राष्ट्रीयता तभी पनप सकती है जब राष्ट्रीयता का सुदृढ़ आधार हो। - श्यामाप्रसाद मुखर्जी .... और पढ़ें
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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
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भूला-बिसरा भारत
- हमारे महान संस्कृत ग्रंथ ताड़पत्रों पर लिखे गये। क्या थे ये 'ताड़पत्र' ? ... और पढ़ें
- 'ओखली' पहले हर घर में होती थी पर आज शायद ही किसी घर में हो ... और पढ़ें
- 'किमखाब' के कारीगरों की क़द्र हो न हो लेकिन उनका काम बेमिसाल हुआ करता था ... और पढ़ें
- 'चौंसठ कलाएँ' कभी हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग थीं। क्या थीं ये? ... और पढ़ें
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एक व्यक्तित्व
- सत्यजित राय मानद ऑस्कर अवॉर्ड, भारत रत्न के अतिरिक्त पद्म श्री (1958), पद्म भूषण (1965), पद्म विभूषण (1976) और रमन मैगसेसे पुरस्कार (1967) से सम्मानित हैं।
- विश्व सिनेमा के पितामह माने जाने वाले महान निर्देशक अकीरा कुरोसावा ने राय के लिए कहा था "सत्यजित राय के बिना सिनेमा जगत वैसा ही है जैसे सूरज-चाँद के बिना आसमान" ... और पढ़ें
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