बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-3 ब्राह्मण-6

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रेणु (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:09, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
  • इस ब्राह्मण में वचक्रुसुता गार्गी और ऋषि याज्ञवल्क्य के मध्य प्रश्नोत्तर है।

गार्गी—'जब सभी कुछ जल में ओत-प्रोत है, तब जल किसमें ओत-प्रोत है?' इसी क्रम में उसने एक में से एक प्रश्न निकालकर पूछे। याज्ञवल्क्य—'जल वायु में, वायु अन्तरिक्षलोक में, अन्तरिक्ष गन्धर्वलोक में, गन्धर्वलोक आदित्यलोकों में, आदित्यलोक चन्द्रलोकों में, चन्द्रलोक नक्षत्र लोकों में, नक्षत्रलोक देवलोकों में, देवलोक इन्द्रलोक में, इन्द्रलोक प्रजापतिलोक में तथा प्रजापतिलोक ब्रह्मलोक में ओत-प्रोत है।'
किन्तु जब गार्गी ने पूछा कि ब्रह्मलोक किस में ओत-प्रोत है, तो याज्ञवल्क्य ने उसे रोक दिया और कहा-'गार्गी! जिसे वाणी से व्यक्त नहीं किया जा सकता, उसके विषय में अहंकारपूर्ण तर्क करना उचित नहीं है। कहीं ऐसा न हो कि अनर्गल प्रश्नों के कारण तुम्हें अपना मस्तक गिराना पड़े, अर्थात अपमानित होना पड़े। याज्ञवल्क्य के द्वारा लताड़ने पर गार्गी चुप हो गयी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख