साँचा:साप्ताहिक सम्पादकीय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी
Pyaz-01.jpg

काम की खुन्दक
      "प्याज़ खाने में क्या है कितनी भी खा जाओ। आप लोग तो बिना बात प्याज़ का हौव्वा बना रहे हैं।" छोटे ने खुन्दक में कहा।
"अच्छा ! तो तू कितनी खा जाएगा ?" पंडित जी बोले
"मैं... मेरा क्या है मैं तो सौ भी खा जाऊँगा"
"क्या ? सौ प्याज़ ?..." पूरा पढ़ें

पिछले लेख बस एक चान्स ! · मैं तो एक भूत हूँ