विजय कुमार मल्होत्रा

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विजय कुमार मल्होत्रा (अंग्रेज़ी:Vijay Kumar Malhotra) राजभाषा विभाग, रेल मंत्रालय के पूर्व निदेशक हैं। भारतीय रेल में वर्षों तक कार्य करने के बाद भारतीय भाषाओं के प्रति अपने जुनून के कारण अब भाषा इंडिया (Bhasha India) टीम के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। विजय कुमार मल्होत्रा का माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस एक्स पी (Microsoft Office XP) हिंदी के विकास और अर्थविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हैं।

कार्यानुभव

  • 1978-2002 निदेशक (राजभाषा), रेल मंत्रालय, भारत सरकार के रूप में (सेवानिवृत्त)
  • 1970-1978 भारतीय रिज़र्व बैंक और यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, मुंबई में हिंदी अधिकारी
  • 1968-1969 ऐल्फ़िन्स्टन कॉलेज, मुंबई में अंशकालीन प्राध्यापक
  • 1968 नवनीत हिंदी डाइजेस्ट, मुंबई में हिंदी पत्रकार

शैक्षणिक योग्यता

  • 1996 में गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से हिंदी में कंप्यूटर-साधित अनुवाद पर डॉक्टरेट
  • 1988 में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा
  • 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए.
  • 1966 में गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से हिंदी, संस्कृत और अंग्रेज़ी के साथ विद्यालंकार (बी.ए.)
यू. के. और अमरीका में अध्यापन और शोध-कार्य
  • 1984-86 यॉर्क विश्वविद्यालय, यू.के. में हिंदी अध्यापन और हिंदी थिसॉरस पर परियोजना
  • 1996 पेन्सिल्वानिया विश्वविद्यालय, अमरीका में हिंदी पार्सर के विकास में सहयोग

लेखन / अनूदित कार्य

  • 1979 डॉ. एस. राधाकृष्णन् द्वारा लिखित ‘हमारी विरासत’ और ‘रचनात्मक जीवन’ का हिंदी में अनुवाद
  • 1982 ‘राजभाषा के नये आयाम’
  • 1996 हिंदी में कंप्यूटर के भाषिक आयाम

भाषा के प्रति रुचि

विजय कुमार मल्होत्रा को भाषाओं के प्रति रुचि तो गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में जब ये संस्कृत और हिंदी विषयों के साथ आरंभिक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी से ही थी, लेकिन इसमें परिपक्वता तब आई, जब ये हिंदी पढ़ाने के लिए यॉर्क विश्वविद्यालय, यू. के. पहुँचे और इन्हें ब्रिटिश, भारतीय और अफ़्रीका जैसे विभिन्न महाद्वीपों के विद्यार्थियों को विदेशी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने का दायित्व सौंपा गया।

भाषा और भाषा प्रौद्योगिकी पर दृष्टिकोण

विजय कुमार मल्होत्रा के दृष्टिकोण के अनुसार विश्व-भर की भाषाओं में दो स्पष्ट लक्षण दिखाई पड़ते हैं: सार्वभौमिक लक्षण और भाषा-विशिष्ट लक्षण।

सार्वभौमिक लक्षण वे लक्षण हैं जो हिंदी, तमिल, अंग्रेज़ी, चीनी और अरबी जैसी विभिन्न भाषा-परिवारों से जुड़ी भाषाओं में भी समान रूप से पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, 'खाया' एक सकर्मक क्रिया है, जो खाए जाने के लिए एक कर्म और खाना क्रिया संपन्न करने के लिए एक कर्ता की आकांक्षा करती है और साथ ही यह भी अपेक्षा करती है कि उसका कर्ता सजीव हो। इस क्रिया की वृक्ष संरचना में ये सभी सार्वभौमिक लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इस प्रकार इसकी सकर्मकता विश्व की सभी भाषाओं में समान है, लेकिन कर्ता के साथ 'ने' का प्रयोग हिंदी का भाषा-विशिष्ट लक्षण है। कुछ ऐसे भी लक्षण होते हैं जो भाषा-वर्ग विशिष्ट होते हैं। उदाहरण के लिए, एक विशेष वाक्य साँचे में कर्ता के साथ 'को' का प्रयोग सभी भारतीय भाषाओं में समान रूप से पाया जाता है; जैसे
हिंदी में 'राम को बुखार है'
मराठी में 'रामला ताप आहे'
तमिल में, 'रामक्कु ज्वरम्'
मलयालम में 'रामन्नु पनियानु'
कन्नड़ में ‘रामनिगे ज्वर दिगे'
बंगला में 'रामेर ताप आछे' और
अंग्रेज़ी में 'Ram has a fever’।
अंग्रेज़ी में आप देखेंगे कि 'को' का वाचक कोई परसर्ग या पूर्वसर्ग नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि भारत एक भाषिक क्षेत्र है। यदि हम इन लक्षणों के विश्लेषण के लिए भाषा प्रौद्योगिकी का उपयोग करें तो हम भारतीय भाषाओं में कंप्यूटर साधित स्वयं भाषा शिक्षक, ऑटो-करेक्ट, ग्रामर चैकर और मशीनी अनुवाद जैसे अत्यंत जटिल भाषिक उपकरणों का विकास भी कर सकते हैं।

परिवारिक पृष्ठभूमि

विजय कुमार मल्होत्रा का संबंध प्रकाशक परिवार से तो है, लेकिन भाषाविज्ञान में रुचि तब ज़्यादा बढ़ी, जब सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हिंदी को कार्यान्वित करते हुए इन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पडा। यद्यपि 14 वर्षों तक गुरुकुल में हिंदी और संस्कृत की विशेष शिक्षा के कारण भाषाओं के प्रति इनका रुझान स्वाभाविक ही रहा, लेकिन यू.के. में विदेशी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाते समय इन्हें भाषाविज्ञान का वास्तविक महत्व समझ में आया और भाषाविज्ञान में इनकी रुचि बढ़ी।

पुरस्कार

  • माइक्रोसॉफ़्ट का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार MVP (Microsoft Valuable Professional) से पाँच बार सम्मानित किये जा चुके हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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