धर्मनिरपेक्षता

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धर्मनिरपेक्षता का अर्थः धर्मनिरपेक्षता का अर्थ धर्म विहीन होना नहीं है। इनका मतलब यह नहीं है कि देश का नागरिक अपने धर्म को छोड़ दे। इसका अर्थ है कि लोकतंत्रात्मक देश में हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने का समान अधिकार है मगर शासन को धर्म के आधार पर भेदभाव करने का अधिकार नहीं है। शासन को किसी के धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। इसका अपवाद अल्पसंख्यक वर्ग होते हैं जिनके लिए सरकार विशेष सुविधाएँ तो प्रदान करती है मगर व्यक्ति विशेष के धर्म के आधार पर सरकार की नीति का निर्धारण नहीं होता।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • [1] (प्रोफेसर महावीर सरन जैन का आलेख - “सेकुलर” अर्थात् धर्मनिरपेक्षता: लोकतंत्रात्मक दर्शन का मूल्य अथवा पूर्वाग्रह एवं विचारों की जकड़बंदी)


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