क्रिकेट

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क्रिकेट एक बल्ले व गेंद से 11-11 खिलाड़ियों के दो दलों के बीच एक बड़े मैदान में खेला जाने वाला खेल है। दोनों दल बारी-बारी से बल्लेबाज़ी (एक पारी) और गेंदबाज़ी करते हैं व एक पारी के समाप्त होने पर आपस में जगह बदल लेते हैं। मुक़ाबले के पूर्व-निर्धारित समय के अनुसार दलों को एक अथवा दो पारियाँ मिलती हैं, जिनमें अधिकाधिक रन बनाने का उद्देश्य होता है। बल्लेबाज़ी कर रहा दल अपने विकेट (तीन-तीन डंडों के दो समूह, जो मैदान में एक-दूसरे से 20.12 मीटर दूर ज़मीन में लगाए जाते है) बचाता है और गेंद पर प्रहार करके दूसरे छोर के विकेट तक दौड़कर अथवा गेंद पर प्रहार कर उसे सीमा रेखा की ओर या उसके पार भेजकर रन बनाने का प्रयास करता है। गेंदबाज़ बांह सीधी रखकर फेंकी गई गेंद से विकेट गिराने का प्रयास करते हैं, जिससे गिल्लियाँ (जो विकेट के ऊपर आड़ी रखी रहती है) गिर जाएँ। यह बल्लेबाज को आउट करने के कई तरीकों में से एक होता है। क्रिकेट दुनिया भर में खेला जाता है। विशेषकर इंग्लैंड, दक्षिण एशिया, दक्षिण अफ्रीका और अन्य राष्ट्रमंडल देशों में, मैच अनौपचारिक, सप्ताहांत की दोपहरी में गांवों के हरे मैदानों में खेले जाने वाले मुकाबलों से लेकर प्रमुख व्यावसायिक खिलाड़ियों के बीच विशाल स्टेडियमों में खेले जाने वाले पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों तक होते हैं।

भारत में क्रिकेट

प्रथम स्पष्टत: दर्ज किया गया क्रिकेट मैच 16वीं शताब्दी के अंत में इंग्लैंड में सरे के गिलफर्ड में खेला गया था। पहली नियमावली 1744 में लिखी गई थी। भारत में क्रिकेट उतना ही लोकप्रिय खेल है, जितना अमेरिका में बास्केटबाल और ब्राजील में फुटबाल। क्रिकेट के सितारे बहुत पैसा पाते हैं, इनकी बहुत चकाचौंध होती है व ये राष्ट्रीय प्रतिमान बन जाते हैं। हाल के वर्षों में सचिन तेंदुलकर जैसे क्रिकेट खिलाड़ी कुछ प्रमुख फिल्मी सितारों जितने लोकप्रिय हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत का प्रदर्शन लगातार सुधरा है, जिसका उत्कृष्ट बिंदु 1983 के विश्व कप में शानदार विजय है। समृद्ध राष्ट्रीय परिदृश्य पर रणजी ट्राफी प्रतिवर्ष खेली जाने वाली एक प्रतिष्ठापूर्ण अंतर्राज्यीय स्पर्द्धा है। उच्च क्षेत्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष दिलीप ट्राफी का आयोजन किया जाता है और सत्र का अंत ईरानी ट्राफी मुकाबले से होता है। जिसमें रणजी ट्राफी के विजेताओं को शेष भारत एकादश (रेस्ट आफ इंडिया XI) के विरुद्ध खेलना होता है।

आरंभिक दौर

भारत में क्रिकेट का खेल 18वीं शताब्दी के आरंभिक ब्रिटिश प्रभाव के दिनों से मौजूद है। जब सेना ने इस खेल को लोकप्रिय बनाने में मदद की। सर्वप्रथम दर्ज किया गया मुकाबला 1721 में हुआ। 1792 में विश्व का दूसरा सबसे पुराना क्रिकेट क्लब, कलकत्ता क्रिकेट क्लब, ईडन गार्डंस क्रिकेट स्टेडियम में स्थापित हुआ। फिर पारसी समुदाय ने प्रथम देशी भारतीय क्रिकेट क्लब 'ओरिएंट' 1848 में स्थापित किया। रोचक बात यह है कि भारत में क्रिकेट टीम धार्मिक आधारों पर बनाई जाती थी और 1907 में खेली गई प्रथम प्रतियोगिता में तीन टीमें थीं, हिंदू, पारसी व मुसलमान, पारसी टीम ने 1877 में यूरोपीय लोगों को हराया और 1866 में इंग्लैंड जाने पर वह विदेशी दौरे पर जाने वाली प्रथम भारतीय टीम बनी। 1899 में एक ब्रिटिश टीम भारत आई। इसके बाद 1926 में भारत को टेस्ट दर्जा मिलने के पूर्व कुछ भारतीयों का चयन इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करने के लिए हुआ। के0 एस0 रणजीत सिंह जी, पटौदी के नवाब और के0 एस0 दलीप सिंह जी ने इंग्लैंड के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला। रणजीत सिंह जी ने 1896 में आस्ट्रेलिया के विरुद्ध ओल्ड ट्रैफर्ड में नाबाद 154 रन बनाए और विज्डन क्रिकेटर्स अल्मानेक द्वारा सम्मानित किए जाने वाले प्रथम भारतीय क्रिकेटर बने। लाला अमरनाथ टेस्ट में शतक बनाने वाले पहले भारतीय बने। जब उन्होंने भ्रमणकारी अंग्रेज दल के विरुद्ध 1933 में बंबई (वर्तमान मुंबई) में 118 रन बनाए। 1934-35 में भारत में एक पूर्ण घरेलू स्पर्द्धा आरंभ हुई। इसे रणजीत सिंह जी के नाम पर रणजी ट्राफी कहा गया। 1951-52 में मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में भारत ने इंग्लैंड को एक पारी और आठ रनों से हराकर अपनी पहली टेस्ट विजय दर्ज की और इंग्लैंड के ही विरुद्ध भारत ने 1961-62 में अपनी पहली श्रृंखला जीती। इसी सत्र में दलीप सिंह जी के नाम पर एक क्षेत्रीय ट्राफी स्थापित हुई।

प्रारंभिक विजय

1952 में इंग्लैंड के विरुद्ध उसी वर्ष की जीत के पश्चात, भारत ने पाकिस्तान को पांच मुकाबलों की श्रृंखला में 2-1 से हराकर टेस्ट श्रृंखला में अपनी पहली विजय दर्ज की। इस श्रृंखला में और इसके पश्चात न्यूजीलैंड के विरुद्ध श्रृंखला की विजय में वीनू मांकड, पॉली उमरीगर और विजय हजारे निर्णायक साबित हुए। किंतु उन जैसे विशिष्ट खिलाड़ियों और अन्य जैसे, सी0के0 नायडू, विजय मर्चेंट, मुश्ताक अलीमुहम्मद निसार की मौजूदगी के बावजूद टेस्ट मुकाबलों में भारत का प्रदर्शन लंबे समय तक अप्रभावी रहा। अंतत:1970 में देश का दल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में एक प्रभावी शक्ति के रूप में उभरा। 1971 में सुनील गावस्कर और 1979 में कपिल देव के उदय के साथ ही भारत ने विश्व के प्रमुख दलों को चुनौती देना आरंभ कर दिया। विश्व कीर्तिमानों को तोड़ने वाले ये दोनों खिलाड़ी लगभग दो दशक तक भारत के भाग्य के निर्णायक रहे। सुनील गावस्कर ने वेस्ट इंडीज के विरुद्ध 1970-71 में पदार्पण किया और श्रृंखला में 700 रनों से भी अधिक के योग से जल्दी ही चर्चित हो गए। उन्होंने भारत के लिए 125 टेस्ट मैच खेले और 34 शतक बनाए। यह कीर्तिमान 18 वर्षों से अक्षुण्ण रहा है। भारतीय टीम ने अपना पहला एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला (ओडीआई) 1974 में खेला और 1983 में विश्व कप जीता। 1983 का विश्व कप जीतने वाले दल के कप्तान, कपिल देव, ने वर्षों तक भारत की गेंदबाजी को अकेले संभाला व 434 टेस्ट विकेटों का विश्व कीर्तिमान बनाया, जिसे 2001 में कर्टनी वॉल्श ने तोड़ा। 1970 के दशक के मध्य से भारत को विश्व के क्रिकेट खेलने वाले प्रमुख देशों में माना जाता है। 20वीं शताब्दी के अंत में उसके नाम कई कीर्तिमान व उपलब्धियों दर्ज थीं। मंसूर अली खाँ पटौदी ने 1962 में केवल 21 वर्ष की आयु में वेस्ट इंडीज के विरुद्ध दल का नेतृत्व किया था। इस तरह, एक टेस्ट खेलने वाले राष्ट्र के रूप में भारत ने सबसे कम उम्र का टेस्ट कप्तान देने की प्रतिष्ठा प्राप्त की है। भारत के सितारा ओपनिंग बल्लेबाज सुनील गावस्कर, 100 रनों से अधिक की 34 पारियों के साथ 10,000 रन बनाने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज बन गए। 21वीं सदी के उदय के समय कपिल देव निखंज ने सभी को पीछे छोड़ दिया, जब 434 विकेट लेकर वह विश्व में सबसे अधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी बन गए। मुहम्मद अजहरुद्दीन, अपने कीर्तिमान संख्या में खेले एक दिवसीय मुकाबलों (323) और एक दिवसीय मुकाबलों के रनों (9111) के साथ अपने पहले तीनों टेस्ट मुकाबलों में शतक बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी रहे। सचिन तेंदुलकर, जो विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं, के नाम एक दिवसीय मुकाबलों के सर्वाधिक शतकों (46) का कीर्तिमान हैं। विश्व कप विजय व उसके बाद 1983 भारत का गौरवपूर्ण वर्ष था। एक ऐसी स्पर्द्धा में, जिसमें वेस्ट इंडीज की टीम सबसे प्रबल दावेदार थी, कपिल देव के नेतृत्व में भारत ने विश्व कप जीतकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया। विचित्र बात यह थी कि नवागत जिंबाब्वे ने भारत के सेमीफाइनल में पहुंचने की उम्मीदों को लीग मुकाबलों में से एक में लगभग धूमिल कर दिया था। जिंबाब्वे ने आस्ट्रेलिया को हरा दिया था और भारत को हराने के कगार पर था। पहले बल्लेबाजी करते हुए 17 रनों पर 5 विकेट के स्कोर पर लड़खड़ाती भारतीय टीम को कपिल देव ने बचाया। उन्होंने एक दिवसीय क्रिकेट की सर्वकालिक महानतम पारियों में से एक खेली और नाबाद 175 रनों का उनका योग उस स्पर्द्धा में उच्चतम योग रहा। भारत जीता, किंतु फिर भी टीम से अधिक अपेक्षाएं नहीं थीं। सेमीफाइनल में शक्तिशाली इंग्लैंड के विरुद्ध खेलते हुए भारत ने एक विश्वसनीय जीत हासिल की। निश्चित ही अंतिम मुकाबला भारत की सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ विजय थी। यद्यपि टीम ने खासी खराब बल्लेबाजी की व केवल 183 रन बनाए, लेकिन भारतीयों का क्षेत्ररक्षण व गेंदबाजी बेहतरीन थी। क्लाइव लॉयड उस खतरनाक वेस्ट इंडीज टीम का नेतृत्व कर रहे थे। जिसमें विवियन रिचडर्स, गॉर्डन ग्रीनिज, डेसमंड हेंस, मैल्कम मार्शल, माइकेल होल्डिंग, जेफ्री डूजॉन, जोएल गार्नर और एंडी रॉबटर्स शामिल थे, मोहिंदर अमरनाथ, कृष्णामचारी श्रीकांत, मदनलाल और रॉजर बिन्नी के हरफनमौला योगदान से भारत ने एक ऐसी टीम को हराया, जिसे सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों की चौकड़ी व विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी क्रम का गौरव हासिल था। उस समय से भारतीय क्रिकेट टीम अधिक शक्तिशाली होती गई हैं। 1970 व 80 के दशक के आरंभ में गुंडप्पा विश्वनाथ, दिलीप वेंगसरकर, संदीप पाटिल और 1980 व 90 के दशक में मुहम्मद अजहरुद्दीन, रवि शास्त्री, अनिल कुंबले और मनोज प्रभाकर जैसे दृढ़निश्चयी खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शनों से भारत की टीम काफी संतुलित ढंग से बढ़ती रही है।

एक विशेष रिपोर्ट

क्रिकेट भारत में किसी जुनून से कम नहीं है। हाल ही में, आस्ट्रेलिया की टीम भारत के दौरे पर आई और धोनी के धुरंधरों को धूल चटाकर वापस लौट गई। आइए लीजिए भारत-आस्ट्रेलिया क्रिकेट सीरीज पर सुनिए।

25 अक्तूबर को बङौदा में भारत-आस्ट्रेलिया के बीच 7 मैंचों की सीरीज शुरू होकर 11 नवंबर तक चली। अगर एक दो मैचों को छोड़ दें तो भारत खेल के हर क्षेत्र में आस्ट्रेलिया के सामने कहीं टिक नही पाया। इसका नतीजा यह है कि कंगारू 4-2 से सीरीज अपने नाम कर घर लौटे।

सीरीज का पहला मैच

आस्ट्रेलिया कई अहम खिलाडि़यों की गैरमौज़ूदगी के बावजूद शुरूआत से ही काफ़ी विश्वस्त दिख रहा था। कंगारुओं ने इसे पहले मैच मे ही हक़ीकत में बदल डाला। आस्ट्रेलिया ने भारत के सामने जीत के लिए 292 रनों का विशाल लक्ष्य रखा, जिसमें कप्तान रिकी पोंटिग और माईकल हसी ने 74 और 73 रन बनाए थे। भारत शुरु से ही इसके जबाब में लड़खड़ा गया, हालांकि गौतम गंभीर ने 68 रनों की पारी खेली, भारत की हार एक वक्त के लिए निश्चित लग रही थी, लेकिन प्रवीण कुमार व हरभजन सिंह ने भारत के पक्ष मे मैच को मोड़ने की पूरी कोशिश की । मगर इनका प्रयास काफ़ी नहीं रहा। भारत के गले आखिर में चार रनों की हार लगी। मैच के विनर बनकर आस्ट्रेलिया की ओर से खब्बू माईकल हसी उभरे।

सीरीज का दूसरा मैच

28 अक्तूबर को नागपुर में सीरीज का दूसरा मैच खेला गया। आस्ट्रेलिया ने टास जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। उम्मीद के उलट कप्तान धोनी और उनकी सेना ने आस्ट्रेलियाई के मंसूबों पर पानी फेरते हुए मेहमान टीम के सामने जीत के लिए 354 रनों का विशाल लक्ष्य रखा। जिसमें भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का शानदार शतक भी शामिल था। इसके जबाब में शुरु से ही आस्ट्रेलिया काफ़ी लाचार दिखा, भारतीय टीम के गेंदबाज़ी के आगे उसका कोई भी बल्लेबाज़ नहीं टिक सका। यह मैच भारत ने बड़ी आसानी से 99 रनों से जीतकर, सीरीज में 1-1 की बराबरी कर ली। भारतीय टीम के कप्तान धोनी को शानदार 124 रनों के लिए मैन आफ द मैच चुना गया।

सीरीज का तीसरा मैच

31 अक्तूबर को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में सीरीज का तीसरा मैच खेला गया। आस्ट्रेलियाई टीम ने टास जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया, जो आस्ट्रेलिया के लिए काफ़ी महँगा साबित हुआ। भारतीय गेंदबाजों की कसी हुई गेंदबाजी के कारण, आस्ट्रेलियाई टीम अपने लिए सिर्फ 229 रन ही जुटा पाई। इसके जबाब में, भारतीय टीम के युवराज सिंह और कप्तान धोनी के शानदार बल्लेबाज़ी से भारतीय टीम ने 10 गेंद रहते हुए ही मैच को 6 विकेट से जीतकर सीरीज में 2-1 से अपनी बढ़त बना ली। मैन आफ दी मैच का पुरस्कार युवराज सिंह को उनके धमाकेदार बल्लेबाज़ी (8चौके, 2 छक्के) के लिए दिया गया।

सीरीज का चौथा मैच

2 नवम्बर को मोहाली में सीरीज का चौथा मैच खेला गया। भारतीय टीम के कप्तान धोनी ने टास जीतकर पहले क्षेत्ररक्षण का फैसला लिया। महज 24 रन पर ही आस्ट्रेलियाई टीम ने अपना पहला विकेट गवाँ दिया, लेकिन वाटसन और पोंटिग की समझदार साझेदारी ने आस्ट्रेलिया को मजबूत शुरुआत दी। पोंटिग की सेना ने भारत के सामने 251 रनों का लक्ष्य रखा। लेकिन भारतीय टीम में से कोई भी खिलाड़ी अर्द्धशतक तक लगाने में कामयाब नहीं हो पाया। यह मैच आसानी से आस्ट्रेलियाई टीम के झोली में डाल दिया। 24 रनों से कंगारू टीम ने यह मैच जीत लिया इस मैच मे भारतीय धुरंधर बल्लेबाज़ आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के आगे काफ़ी लाचार दिख रहे थे। मैन आफ द मैच के खिताब से वाटसन को नवाजा गया।

सीरीज का पाँचवां मैच

5 नवम्बर को हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय मैदान में सीरीज का पाँचवां मैच खेला गया। आस्ट्रेलियाई टीम ने टास जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का निर्णय लिया, और ऐसा लगता था जैसे रिकी पोंटिग ने इस मैच के लिए कोइ खास रणनीति बनाई थी। आस्ट्रेलियाई टीम के शीर्ष बल्लेबाज़ों ने करिश्माई बल्लेबाज़ी का प्रदर्शन करते हुए, 350 रनों का विशाल स्कोर टीम इंडिया के सामने खड़ा किया।

टीम इंडिया की तरफ से जबाबी हमले में, सचिन तेंदुलकर को छोङकर किसी भी बल्लेबाज का बल्ला नहीं चला। तेंदुलकर ने 19 चौकों और 4 छक्कों की मदद से 175 रन जोङे और इसके साथ ही अपने कैरियर के 17000 रन पूरे किए। लेकिन भारतीय टीम को हार से सचिन की आतिश बल्लेबाज़ी भी नहीं बचा सकी। इस मैच मे भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी की पोल एक बार फिर खुल गई। आस्ट्रेलिया ने यह मैच 3 रनों से जीतकर सीरीज मे 3-2 से अपनी बढ़त बना ली। सचिन को उनके सर्वश्रष्ठ प्रदर्शन के लिए मैन आफ दी मैच का पुरस्कार दिया गया।

सीरीज का छठा मैच

8 नवम्बर को गुवाहाटी में सीरीज का छठा मैच हुआ। भारतीय कप्तान ने टास जीतकर बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया। गुवाहाटी में एक बार फिर से टीम इंडिया की सेना कंगारुओं से पानी माँगते नजर आए। टीम इंडिया के शीर्ष बल्लेबाज़ आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों से मुँह चुराते नजर आये। टीम इंडिया ने कंगारुओं के सामने 170 रनों का आसान लक्ष्य रखा, जिससे कंगारुओं ने 49 गेंद रहते हुए ही 6 विकेट पर जीत दर्ज कर ली। और सीरीज अपने नाम कर ली। आस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान रिकी पोंटिग ने कहा कि यह जीत उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इस सीरीज में आस्ट्रेलिया के तमाम खिलाङी चोटिल होने के वजह से नहीं खेल सके और पोंटिग को नये और कम अनुभवी खिलाङीयों के साथ खेलना पङा। कप्तान रिकी पोंटिग इस जीत के बाद काफ़ी खुश दिखाई दे रहे थे, और इस जीत को उन्होनें अपने कैरियर की अहम जीत बताया।

सीरीज का सातवाँ और आखिरी मैच

सीरीज का सातवाँ और आखिरी मैच मुंबई मे होना था, जो बारिश की भेंट चढ गया, और इसके साथ ही टीम इंडिया की लाज बच गयी। जिस मंसूबे से आस्ट्रेलियाई टीम भारतीय दौरे पर आयी थी, उसको सफल बनाने में टीम इंडिया का भी कम योगदान नहीं रहा। यह सीरीज भारत के लिए तो निराशाजनक रही, लेकिन आस्ट्रेलिया ने खुद को फिर से क्रिकेट की दुनिया का बादशाह साबित कर दिखाया। हालांकि भारत के लिए सचिन ने अपने 17000 रन पूरे किए। इस सीरीज के समाप्ति के साथ ही, भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी पर एक बार फिर से सवालिया निशान लग गया है।