आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट मार्च 2014

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आदित्य चौधरी फ़ेसबुक पोस्ट
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    क्या आप किसी का सुख-दु:ख, भीतर का संताप-अवसाद और अच्छा-बुरा...
जानना चाहते हैं? विशेषकर किसी 'अपने' का?
    तो जानिए वे बातें जो उसने 'नहीं कहीं', जबकि कह सकता था और जानिए वो काम
जो उसने 'नहीं किए', जबकि कर सकता था।
    क्या आप ऐसा कर सकते हैं या ऐसा करने की कोशिश करते हैं ? यदि नहीं तो फिर
दो ही बात हो सकती हैं कि या तो वह आपका अपना नहीं हैं या आप उसके अपने नहीं हैं।

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31 मार्च, 2014

इस दुनिया में बहुत कुछ बदलता है
बस एक ज़माना ही है
जो कभी नहीं बदलता है
और बदले भी कैसे ?
जब इंसान का
नज़रिया ही नहीं बदलता है

चलो कोई बात नहीं
सब चलता है

बंदर से आदमी बनने की बात तो
झूठी लगती है
वो तो गिरगिट है
जो माहौल के साथ रंग बदलता है

वैसे तो आग का काम ही जलाना है
वो बात अलग है कि
कोई मरने से पहले
तो कोई मरने के बाद जलता है

और दम निकलने से मरने की बात भी झूठी है
कुछ लोग,
मर तो कब के जाते हैं
दम है कि बहुत बाद में निकलता है

वस्त्रों की तरह
आत्मा का शरीर बदलना भी
ग़लत लगता है मुझको
हाँ कपड़ों की तरह इंसान
चेहरे ज़रूर बदलता है

चलो कोई बात नहीं
सब चलता है
सब चलता है

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31 मार्च, 2014

कभी तू है बादल
कभी तू है सागर
कहीं बनके तालाब पसरा पड़ा है

कभी तू है बरखा
कभी तू है नदिया
कहीं पर तू झीलों में अलसा रहा है

मगर तेरी ज़्यादा
ज़रूरत जहाँ है
उसे सबने अाँखों का पानी कहा है

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31 मार्च, 2014

चाहे बैठे हों खेत खलिहान में
या हो उड़ान
कहीं ऊँचे विमान में
होता हो
किसी आलीशान मकान में सवेरा
या कहीं किसी
कच्ची मढ़ैया में बसेरा

हों व्यापारी अधिकारी
या कोई
बड़े नेता
खिलाड़ी हों आप
या कोई अभिनेता

घूमते हों सुबह शाम पैदल
या बस में
या गुज़रता हो दिन
ज़िन्दगी के सरकस में

अलबत्ता सबके जीवन में
एक बात तो कॉमन है
वो है
बस दो की तलाश
इक तो ईश्वर
जो कभी दिखता नहीं है
दूजा प्यार
जो कभी मिलता नहीं है

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31 मार्च, 2014

इविंग स्टोन ने विश्व के महान चित्रकार (पेन्टर) 'वॅन गॉफ़' की जीवनी लिखी है। यह विश्व की महानतम जीवनियों में एक मानी जाती है। इस पुस्तक में अनेकों प्रसंग ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर 'वॅन गॉफ़' के अद्भुत व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना रह पाना संभव नहीं है। यह पुस्तक मैंने संभवत: 25 वर्ष पहले पढ़ी होगी।
इसी पुस्तक से कुछ पंक्तियाँ:-

"दुनिया में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मरना पड़ता है। आदमी इस दुनिया में सिर्फ़ ख़ुश होने नहीं आया है, वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है, वह तो पूरी मानवता के लिए महान चीज़ें बनाने के लिए आया है। वह उदारता प्राप्त करने को आया है। वह उस बेहूदगी को पार करने आया है जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है।

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23 मार्च, 2014

कहते हैं प्लॅटो जैसा गुरु और अरस्तु जैसा शिष्य एथेंस, यूनान (ग्रीस) में कभी दूसरा नहीं हुआ। प्लॅटो की यूटोपियन धारणा की अरस्तु ने आलोचना की है। आज विश्व के अधिकतर देशों (विशेषकर पश्चिम) में अरस्तु की दार्शनिक पद्धति का अनुसरण होता है।

'अरस्तु' को भौतिकवादी, साम्राज्यवादी या पूँजीवादी आदि कई विशेषण प्राप्त हैं। कुछ बातें अरस्तु ने बहुत अच्छी कही हैं।

अरस्तु ने कहा है-

"उचित व्यक्ति को
उचित समय पर
उचित मात्रा में
उचित ढंग से
सहायता देना बहुत कठिन है।"

भारतीय दर्शन में भी इसी से मिलती-जुलती स्थिति है-
"कुपात्र को दिया गया दान भी व्यर्थ जाता है।"

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16 मार्च, 2014

शब्दार्थ


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