कितना बदल गया इंसान

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संक्षिप्त परिचय

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान्
कितना बदल गया इंसान कितना बदल गया इंसान
सूरज न बदला चाँद न बदला न बदला रे आसमान
कितना बदल गया इंसान कितना बदल गया इंसान

राम के भक्त रहीम के बन्दे
रचते आज फरेब के फंदे
कितने ये मक्कार ये अंधे
देख लिए इनके भी फंदे
इन्ही की काली करतूतों से
बना ये मुल्क मसान
कितना बदल गया इंसान

क्यूँ ये नर आपस में झगड़ते
काहे लाखों घर ये उजड़ते
क्यूँ ये बच्चे माँ से बिछड़ते
फूट फूट कर क्यूँ रो
ते प्यारे बापू के प्राण
कितना बदल गया इंसान
कितना बदल गया इंसान


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