भारत का इतिहास

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भारत का इतिहास

आठवीं शताब्दी के बाद यूरोप और एशिया में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। इनसे न केवल यूरोप और एशिया के सम्बन्धों में, बल्कि लोगों के रहन-सहन और उनकी विचारधारा पर भी, दूरगामी प्रभाव पड़े। प्राचीन रोमन साम्राज्य और भारत के बीच बड़ी मात्रा में व्यापार होने के कारण इन परिवर्तनों का प्रभाव अपरोक्ष रूप से भारत पर भी पड़ा। इस समय विश्व का परिदृश्य इस प्रकार था-

यूरोप

यूरोप में छठी शताब्दी के उत्तरार्ध के आरम्भ में शक्तिशाली रोमन साम्राज्य दो हिस्सों में बंट गया था। पश्चिमी भाग में, जिसकी राजधानी रोम थी, रूस और जर्मनी की ओर से बहुत बड़ी संख्या में स्लाव और जर्मन क़बीले के लोगों के आक्रमण हुए।

सामंतवाद का विकास

पश्चिमी यूरोप में रोमन साम्राज्य के विघटन के बाद एक नये प्रकार के समाज और एक नई शासन व्यवस्था का जन्म हुआ। इस नयी व्यवस्था को सामंतवाद कहा जाता है।

अरब साम्राज्य

इस्लाम के उदय से अरब में हमेशा आपस में लड़ने वाले क़बीले एकजुट होकर एक शक्तिशाली साम्राज्य के रूप में आगे आए।

पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया

  • चीन में आठवीं और नौवी शताब्दी में तांग शासन के काल में वहाँ की सभ्यता और संस्कृति अपने शिखर पर थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ