रहिमन ठठरि धूरि की -रहीम

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‘रहिमन’ ठठरि धूरि की, रही पवन ते पूरि।
गाँठि जुगति की खुल गई, रही धूरि की धूरि॥

अर्थ

यह शरीर क्या है, मानो धूल से भरी गठरी। गठरी की गाँठ खुल जाने पर सिर्फ धूल ही रह जाती है। खाक का अन्त खाक ही है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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