समय पाय फल होत है -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:41, 27 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जात ।<br /> सदा र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जात ।
सदा रहै नहिं एक सी, का ‘रहीम’ पछितात ।

अर्थ

क्यों दुखी होते हो और क्यों पछता रहे हो, भाई ! समय आता है, तब वृक्ष फलों से लद जाते हैं, और फिर ऐसा समय आता है, जब उसके सारे फूल और फल झड़ जाते हैं। समय की गति को न जानने-पहचानने वाला ही दुखी होता है।


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख