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असित सेन (अंग्रेज़ी: Asit Sen, जन्म: 13 मई, 1917 गोरखपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु: 18 सितम्बर, 1953) हिंदी फ़िल्मों के हास्य कलाकार थे। उन्होंने चार दशक तक बॉलीवुड पर चरित्र अभिनेता के रूप में अपनी खास पहचान कायम की और अपनी अदाओं से उन्होंने दर्शकों को लोट-पोट होने के लिए मजबूर किया। उन्होंने 200 से अधिक बॉलीवुड फ़िल्मों में हास्य और चरित्र अभिनेता का किरदार निभाकर अपनी अलग पहचान बनाई।[1]

परिचय

असित सेन का जन्म 13 मई, 1917 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में हुआ था। उन्हें फोटोग्राफी का बहुत शौक था, इसलिए उन्होंने गोरखपुर में सेन फोटो स्टूडियो खोला। असित सेन की पत्नी का नाम मुकुल सेन था, जो कोलकाता की रहने वाली थीं। यहीं पर उनकी तबियत खराब हुई। वह पत्नी को इलाज के लिए बॉम्बे लेकर गए, लेकिन कुछ ही माह के बाद उनकी मौत हो गयी।

कॅरियर

असित सेन ने अपने अभिनय की शुरुआत दुर्गाबाड़ी में चलने वाले कई बांग्ला नाटकों में रोल भी किया। सन 1950 में वह कोलकाता अपने ससुराल गए थे। वहां पर उन्हें एक नाटक कंपनी में एक रोल मिल गया। वह प्ले जब हुआ तो फ़िल्म निर्देशक विमल रॉय भी दर्शक दीर्घा में बैठे थे। असित सेन के अभिनय ने उन्हें खासा प्रभावित किया और वह उन्हें लेकर मुंबई चले गए। उस दौर में ज्यादातर कलाकार बाहर के होने की वजह से स्क्रिप्ट पर काम करना आसान नहीं था। क्योंकि ज्यादातर स्क्रिप्ट बांग्ला भाषा में हुआ करती थी, इसलिये मुंबई जाने के बाद असित सेन ने बांग्ला भाषा में लिखी स्क्रिप्ट को हिंदी में अनुवाद करने का काम शुरू किया। उसके बाद उन्हें बांग्ला भाषा की कुछ फ़िल्मों में काम मिला। उसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की फ़िल्मों में किस्मत आजमाने की सोची। हालांकि शुरुआती दिनों में उन्हें ख़ास सफलता नहीं मिली और उन्होंने फ़िल्मों में छोटे-छोटे रोल करना शुरु कर दिए।

प्रमुख फ़िल्में

लेकिन फ़िल्म "20 साल बाद" में असित सेन के अभिनय ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1964 में उनकी फ़िल्म 'परख' आई, जिसमें उन्होंने भांजू बाबू का किरदार निभाया। 1962 में आई फ़िल्म "20 साल बाद" में उन्होंने गोपीचंद जासूस के किरदार को जीवंत कर दिया। 1963 में बनी फ़िल्म 'चांद और सूरज', 1965 में 'भूत बंगला', 1967 में 'नौनिहाल', 1968 में 'ब्रह्मचारी', 1969 में 'यकीन और आराधना', 'प्यार का मौसम', 1970 में 'पूरब और पश्चिम', 'दुश्मन', 'मझली दीदी', 'बुड्ढा मिल गया' जैसी फ़िल्मों में अभिनय किया। 1971 में 'मेरा गांव मेरा देश', 'आनंद', 'दूर का राही', 'अमर प्रेम' जैसी यादगार फ़िल्मों में अभिनय किया। 1972 में 'बॉन्बे टू गोवा', 'बालिका वधू', 1976 में 'बजरंग बली', 1977 में 'आनंद' आश्रम सहित 200 से अधिक फ़िल्मों में अपने हास्य अभिनय और चरित्र किरदार का लोहा मनवाया। उन्होंने बांग्ला फ़िल्म अमानुष और आनंद आश्रम सहित अनुसंधान में भी काम किया।

हास्य कलाकार टुनटुन, जीतेंद्र, राजेश खन्ना, संजीव कुमार और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से उनका खासा दोस्ताना रहा। यह सभी उनके काफी करीब रहे। इनके साथ उन्होंने कई यादगार फ़िल्मों में काम भी किया।

निधन

असित सेन की सादगी ऐसी रही है कि उनसे मिलने वाले आज भी उनके कायल है। जरा सी बात छेड़ी तो हज़ारों कहानियां निकलकर सामने आ जाती है। हास्य अभिनेता के साथ एक सरल हृदय इंसान होना असित सेन की खासियत थी। यही वजह है कि 18 सितंबर, 1993 को 76 साल की उम्र में उनके निधन के बाद भी गोरखपुर को उन पर नाज है।

  1. असित सेन (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 7 जुलाई, 2017।