जिहि रहीम तन मन लियो -रहीम
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:01, 9 मई 2021 का अवतरण (Text replacement - "कब्जा" to "क़ब्ज़ा")
जिहि ‘रहीम’ तन मन लियो, कियो हिए बिच भौन।
तासों दु:ख-सुख कहन की, रही बात अब कौन॥
- अर्थ
जिस प्रिय मित्र ने तन और मन पर क़ब्ज़ा कर रक्खा है और हृदय में जो सदा के लिए बस गया है, उससे सुख और दु:ख कहने की अब कौन-सी बात बाकी रह गयी है?[1]
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दोनों के तन एक हो गये, और मन भी दोनों के एक ही।
संबंधित लेख