पाचन तन्त्र

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(अंग्रेज़ी:Digestive System) भोजन का अन्तर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण, मल त्याग आदि क्रियाएँ पाचन तन्त्र के द्वारा सम्पन्न होती हैं। आहारनाल तथा उससे सम्बन्धित पाचन ग्रन्थियाँ सम्मिलित रूप से पाचन तन्त्र बनाती हैं।

आहारनाल

मनुष्य में 8 से 10 मीटर लम्बी आहारनाल पाई जाती है। जो मुख से मल द्वार तक फैली रहती हैं इसकी भित्ति मुख्यतः अरेखित पेशियों से बनी होती है। आहारनाल में निम्नलिखित अंग होते हैं-

  1. मुख
  2. ग्रसनी
  3. ग्रासनली
  4. आमाशय
  5. आन्त्र

पाचन ग्रन्थियाँ

मनुष्य की उदरगुहा में आहारनाल के साथ यकृत तथा अग्न्याशय पाचक ग्रन्थियाँ सम्बन्धित होती हैं। लार ग्रन्थिया, जठर ग्रन्थियाँ, आन्त्रीय ग्रन्थियाँ

यकृत

यकृत मनुष्य के शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी तथा महत्वपूर्ण पाचक ग्रन्थि होती है। यह उदरगुहा के दाहिने ऊपरी भाग में डायाफ्राम के ठीक नीचे स्थित होता है तथा आन्त्रयोजनीयों द्वारा सधा रहता है। यह लाल–भूरे रंग का बड़ा, कोमल, ठोस तथा द्विपालित अंग होता है। दोनों पालियाँ बहुभुजीय पिण्डकों से बनी होती हैं। इनके चारों ओर संयोजी ऊतकों का आवरण होता है जिसे ग्लीसन कैप्सूल कहते हैं।

अग्न्याशय

अग्न्याशय एक मिश्रित ग्रंथि होती है। इसका अन्तःस्रावी भाग लैंगरहेंस की द्विपिकाएँ होती हैं। इनसे इंसुलिन हॉर्मोन स्त्रावित होता है जो रक्त में शर्करा की मात्रा का नियमन करता है। अग्न्याशय के बहिस्त्रावी भाग द्वारा अग्न्याशयी रस स्त्रावित होता है। जो भोजन के पाचन में भाग लेता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ