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एक व्यक्तित्व

प्रेमचंद
  • भारत के उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है।
  • प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे।
  • प्रेमचंद का जन्म वाराणसी से लगभग चार मील दूर, लमही नाम के गाँव में 31 जुलाई, 1880 को हुआ। प्रेमचंद के पिताजी मुंशी अजायब लाल और माता आनन्दी देवी थीं।
  • प्रेमचंद का कुल दरिद्र कायस्थों का था, जिनके पास क़रीब छ: बीघे ज़मीन थी और जिनका परिवार बड़ा था। प्रेमचंद के पितामह, मुंशी गुरुसहाय लाल, पटवारी थे।
  • प्रेमचंद ने कुल 15 उपन्यास, 300 से कुछ अधिक कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हज़ारों पृष्ठों के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की है।
  • अंतिम दिनों के एक वर्ष को छोड़कर, उनका पूरा समय वाराणसी और लखनऊ में गुज़रा, जहाँ उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और 8 अक्टूबर, 1936 को जलोदर रोग से उनका देहावसान हो गया । .... और पढ़ें