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असद भोपाली का जन्म 10 जुलाई, 1921 को भोपाल के इतवारा इलाके में पैदा हुए थे। उनका वास्तविक नाम असदुल्लाह ख़ान था। उनके पिता मुंशी अहमद खाँ  भोपाल के आदरणीय व्यक्तियों में शुमार थे। वे एक शिक्षक थे और बच्चों को [[अरबी भाषा|अरबी]]-[[फ़ारसी भाषा|फारसी]] पढ़ाया करते थे। पूर्व राष्ट्रपति [[शंकरदयाल शर्मा]] भी उनके शिष्यों में से एक थे। वो घर में ही बच्चों को पढ़ाया करते थे, इसीलिए असद भी अरबी-फारसी के साथ-साथ [[उर्दू]] में भी महारत हासिल कर पाए, जो उनकी शायरी और गीतों में हमेशा झलकती रही।<ref>{{cite web |url=http://radioplaybackindia.blogspot.in/2015/11/14.html |title=असद भोपाली |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=radioplaybackindia.blogspot.in |language=हिंदी }}</ref>
 
असद भोपाली का जन्म 10 जुलाई, 1921 को भोपाल के इतवारा इलाके में पैदा हुए थे। उनका वास्तविक नाम असदुल्लाह ख़ान था। उनके पिता मुंशी अहमद खाँ  भोपाल के आदरणीय व्यक्तियों में शुमार थे। वे एक शिक्षक थे और बच्चों को [[अरबी भाषा|अरबी]]-[[फ़ारसी भाषा|फारसी]] पढ़ाया करते थे। पूर्व राष्ट्रपति [[शंकरदयाल शर्मा]] भी उनके शिष्यों में से एक थे। वो घर में ही बच्चों को पढ़ाया करते थे, इसीलिए असद भी अरबी-फारसी के साथ-साथ [[उर्दू]] में भी महारत हासिल कर पाए, जो उनकी शायरी और गीतों में हमेशा झलकती रही।<ref>{{cite web |url=http://radioplaybackindia.blogspot.in/2015/11/14.html |title=असद भोपाली |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=radioplaybackindia.blogspot.in |language=हिंदी }}</ref>
 
==कॅरियर==
 
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[[1940]] के अंतिम दौर में मशहूर फ़िल्म निर्माता फजली ब्रदर्स 'दुनिया' नामक फ़िल्म बना रहे थे। फ़िल्म के गीत मशहूर शायर आरजू लखनवी लिख रहे थे, लेकिन दो गीत लिखने के बाद वे [[पाकिस्तान]] चले गए। बाद में [[एस. एच. बिहारी]], सरस्वती कुमार दीपक और तालिब इलाहाबादी ने भी उसके गीत लिखे। मगर, फजली बंधु और निदेशक एस. एफ. हसनैन लगातार नए गीतकार की तलाश कर रहे थे। इसी मकसद से उन्होंने [[5 मई]], [[1949]] को भोपाल टॉकिज में मुशायरे का आयोजन किया। असद भोपाली ने भी उसमें भाग लिया और अपने कलाम से महफिल लूट ली साथ ही फजली बंधुओं का दिल भी। फिर क्या था, अगले दिन भोपाल-भारत टॉकिज के मैनेजर सैयद मिस्बाउद्दीन साहब के जरिए असद को पांच सौ रुपए का एडवांस देकर फ़िल्म 'दुनिया' के लिए बतौर गीतकार साइन कर लिया गया।<ref>{{cite web |url=http://vinitutpal.blogspot.in/2010/09/blog-post_27.html |title=असद भोपाली |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=vinitutpal.blogspot.in |language=हिंदी }}</ref>  
 
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==लोकप्रिय गीत==
 
==लोकप्रिय गीत==
 
{{मुख्य|असद भोपाली के लोकप्रिय गीत}}
 
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*दिल दीवाना बिन सजना के माने ना- मैंने प्यार किया
 
*दिल दीवाना बिन सजना के माने ना- मैंने प्यार किया
*कबूतर जा जा जा- मैने प्यार किया
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*कबूतर जा जा जा- मैंने प्यार किया
*हम तुम से जुदा होक- एक सपेरा एक लुटेरा
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*हम तुम से जुदा होकर- एक सपेरा एक लुटेरा
 
*दिल का सूना साज़- एक नारी दो रूप
 
*दिल का सूना साज़- एक नारी दो रूप
 
==निधन==
 
==निधन==

12:12, 16 जुलाई 2017 का अवतरण

असद भोपाली विषय सूची
असद भोपाली
असद भोपाली
पूरा नाम असदुल्लाह ख़ान
प्रसिद्ध नाम असद भोपाली
जन्म 10 जुलाई, 1921
जन्म भूमि भोपाल, मध्य प्रदेश
मृत्यु 9 जून, 1990
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
अभिभावक मुंशी अहमद खाँ
संतान गालिब असद
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र गीतकार और शायर
मुख्य फ़िल्में 'दुनिया', 'अफसाना', 'बरसात', 'पारसमणि', 'आया तूफान', 'मैंने प्यार किया' आदि
पुरस्कार-उपाधि फ़िल्मफेयर पुरस्कार, 1990
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी असद भोपाली ने 40 साल में करीब 100 फ़िल्मों के लिए 400 गीत लिखे।

असद भोपाली (अंग्रेज़ी: Asad Bhopali, जन्म: 10 जुलाई, 1921, भोपाल; मृत्यु: 9 जून, 1990, मुम्बई), बॉलीवुड के गीतकार और शायर थे। उन्हें ऐसे गीतकार में शुमार किया जाता है, जिन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में 40 साल तक का लंबा संघर्ष किया। उन्हें फ़िल्म 'मैंने प्यार किया' के लिए लिखे गीत 'कबूतर जा जा जा' के लिए प्रतिष्ठित फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला।

परिचय

असद भोपाली का जन्म 10 जुलाई, 1921 को भोपाल के इतवारा इलाके में पैदा हुए थे। उनका वास्तविक नाम असदुल्लाह ख़ान था। उनके पिता मुंशी अहमद खाँ भोपाल के आदरणीय व्यक्तियों में शुमार थे। वे एक शिक्षक थे और बच्चों को अरबी-फारसी पढ़ाया करते थे। पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा भी उनके शिष्यों में से एक थे। वो घर में ही बच्चों को पढ़ाया करते थे, इसीलिए असद भी अरबी-फारसी के साथ-साथ उर्दू में भी महारत हासिल कर पाए, जो उनकी शायरी और गीतों में हमेशा झलकती रही।[1]

कॅरियर

1940 के अंतिम दौर में मशहूर फ़िल्म निर्माता फजली ब्रदर्स 'दुनिया' नामक फ़िल्म बना रहे थे। फ़िल्म के गीत मशहूर शायर आरजू लखनवी लिख रहे थे, लेकिन दो गीत लिखने के बाद वे पाकिस्तान चले गए। बाद में एस. एच. बिहारी, सरस्वती कुमार दीपक और तालिब इलाहाबादी ने भी उसके गीत लिखे। मगर, फजली बंधु और निदेशक एस. एफ. हसनैन लगातार नए गीतकार की तलाश कर रहे थे। इसी मकसद से उन्होंने 5 मई, 1949 को भोपाल टॉकिज में मुशायरे का आयोजन किया। असद भोपाली ने भी उसमें भाग लिया और अपने कलाम से महफिल लूट ली साथ ही फजली बंधुओं का दिल भी। फिर क्या था, अगले दिन भोपाल-भारत टॉकिज के मैनेजर सैयद मिस्बाउद्दीन साहब के जरिए असद को पांच सौ रुपए का एडवांस देकर फ़िल्म 'दुनिया' के लिए बतौर गीतकार साइन कर लिया गया।[2]

लोकप्रिय गीत

  • दिल दीवाना बिन सजना के माने ना- मैंने प्यार किया
  • कबूतर जा जा जा- मैंने प्यार किया
  • हम तुम से जुदा होकर- एक सपेरा एक लुटेरा
  • दिल का सूना साज़- एक नारी दो रूप

निधन

1990 में असद को उनके द्वारा फ़िल्म 'मैंने प्यार किया' के लिए लिखे गीत 'कबूतर जा जा जा' के लिए प्रतिष्ठित फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिया गया, हालांकि, तब तक वह पक्षाघात होने से अपाहिज हो गये थे और वह उसे लेने नहीं जा सके। 9 जून, 1990 को मुम्बई में उनका निधन हो गया। लोकप्रिय गीत


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टीका टिप्पणी और संदंर्भ

  1. असद भोपाली (हिंदी) radioplaybackindia.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 13 जुलाई, 2017।
  2. असद भोपाली (हिंदी) vinitutpal.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 13 जुलाई, 2017।
असद भोपाली विषय सूची

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