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||[[चित्र:Alexander.jpg|right|80px|सिकन्दर]]'सिकन्दर' अथवा 'अलक्ष्येन्द्र', मेसेडोनिया का ग्रीक प्रशासक था। वह 'एलेक्ज़ेंडर तृतीय' तथा 'एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन' के नाम से भी जाना जाता है। [[इतिहास]] में [[सिकन्दर]] सबसे कुशल और यशस्वी सेनापति माना गया है। अपनी मृत्यु तक सिकन्दर उस तमाम भूमि को जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन [[यवन]] (ग्रीक) लोगों को थी। इसलिए उसे 'विश्वविजेता' भी कहा जाता है। सिकन्दर के [[पिता]] का नाम फ़िलिप था। उसे सबसे पहले एक गणराज्य के प्रधान के विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसे यूनानी ऐस्टीज़ कहते हैं, [[संस्कृत]] में जिसका नाम हस्तिन है। वह उस जाति का प्रधान था, जिसका भारतीय नाम 'हास्तिनायन' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिकन्दर]]
 
||[[चित्र:Alexander.jpg|right|80px|सिकन्दर]]'सिकन्दर' अथवा 'अलक्ष्येन्द्र', मेसेडोनिया का ग्रीक प्रशासक था। वह 'एलेक्ज़ेंडर तृतीय' तथा 'एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन' के नाम से भी जाना जाता है। [[इतिहास]] में [[सिकन्दर]] सबसे कुशल और यशस्वी सेनापति माना गया है। अपनी मृत्यु तक सिकन्दर उस तमाम भूमि को जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन [[यवन]] (ग्रीक) लोगों को थी। इसलिए उसे 'विश्वविजेता' भी कहा जाता है। सिकन्दर के [[पिता]] का नाम फ़िलिप था। उसे सबसे पहले एक गणराज्य के प्रधान के विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसे यूनानी ऐस्टीज़ कहते हैं, [[संस्कृत]] में जिसका नाम हस्तिन है। वह उस जाति का प्रधान था, जिसका भारतीय नाम 'हास्तिनायन' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिकन्दर]]
 
{[[हड़प्पा सभ्यता|हड़प्पाकालीन सभ्यता]] मुख्यत: निम्नलिखित में से किन प्रदेशों में केन्द्रीयभूत थी?
 
|type="()"}
 
+[[पंजाब]], [[राजस्थान]] और [[गुजरात]]
 
-पंजाब, राजस्थान और [[उत्तर प्रदेश]]
 
-[[हरियाणा]], राजस्थान और [[दिल्ली]]
 
-[[गुजरात]], [[हरियाणा]] और पश्चिमी [[उत्तर प्रदेश]]
 
||[[चित्र:Golden-Temple-Amritsar.jpg|right|120px|स्वर्णमन्दिर, पंजाब]]पंजाब [[भारत]] के उत्तर-पश्चिम में स्थित राज्य है, जिसकी सीमाएँ पश्चिम में [[पाकिस्तान]], उत्तर में [[जम्मू और कश्मीर]], उत्तर-पूर्व में [[हिमाचल प्रदेश]] और दक्षिण में [[हरियाणा]] और [[राजस्थान]] राज्य से मिलती हैं। प्राचीन समय में [[पंजाब]] भारत और [[ईरान]] का क्षेत्र था। यहाँ [[मौर्य]], बैक्ट्रियन, [[यूनानी]], [[शक]], [[कुषाण]], [[गुप्त]] आदि अनेक शक्तियों का उत्थान और पतन हुआ। पंजाब [[मध्य काल]] में [[मुस्लिम]] शासकों के अधीन रहा था। यहाँ सबसे पहले [[महमूद ग़ज़नवी|गज़नवी]], [[मुहम्मद ग़ोरी|ग़ोरी]], [[ग़ुलाम वंश]], [[ख़िलजी वंश]], [[तुग़लक़ वंश|तुग़लक]],[[लोदी वंश|लोदी]] और [[मुग़ल वंश]] के शासकों ने यहाँ राज किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंजाब]], [[राजस्थान]] और [[गुजरात]]
 
 
{चीनी यात्रियों के [[भारत]] भ्रमण की शृंखला में सुंगयुन का उल्लेख प्राप्त होता है। वह [[बौद्ध]] ग्रंथों की खोज में भारत आया था। उसके [[भारत]] आने का समय क्या था?
 
|type="()"}
 
+518 ई.
 
-629 ई.
 
-642 ई.
 
-817 ई.
 
 
{किस [[ग्रंथ]] में यह विवरण मिलता है कि [[पुष्यमित्र शुंग]] ने कई [[यज्ञ]] किये थे?
 
|type="()"}
 
-[[पाणिनी]] के व्याकरण में
 
-[[यास्क]] के [[निरुक्तम|निरुक्त]] में
 
-[[हेमचन्द्र राय चौधरी|हेमचन्द्र]] के परिशिष्ट पर्व में
 
+[[पतंजलि]] के [[महाभाष्य]] में
 
||'महाभाष्य' महर्षि पतंजलि द्वारा रचित है। [[पतंजलि (महाभाष्यकार)|पतंजलि]] ने [[पाणिनि]] के '[[अष्टाध्यायी]]' के कुछ चुने हुए सूत्रों पर भाष्य लिखा था, जिसे 'व्याकरण महाभाष्य' का नाम दिया गया। '[[महाभाष्य]]' वैसे तो [[व्याकरण]] का [[ग्रंथ]] माना जाता है, किन्तु इसमें कहीं-कहीं राजाओं-महाराजाओं एवं जनतंत्रों के घटनाचक्र का विवरण भी मिलता हैं। महाभाष्य के वर्णन से पता चलता है कि [[पुष्यमित्र शुंग]] ने किसी ऐसे विशाल [[यज्ञ]] का आयोजन किया था, जिसमें अनेक [[पुरोहित]] थे और स्वयं पतंजलि भी इसमें शामिल थे। वे स्वयं [[ब्राह्मण]] याजक थे और इसी कारण से उन्होंने [[क्षत्रिय]] याजक पर कटाक्ष किया है- यदि भवद्विध: क्षत्रियं याजयेत्।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभाष्य]] और [[पतंजलि]]
 
 
{निम्नलिखित में से किस विदेशी [[अभिलेख]] में भारतीय वैदिक मंडल के [[देवता|देवताओं]] [[वरुण देवता|वरुण]], [[इन्द्र]] एवं नासत्य का विवरण प्राप्त होता है?
 
|type="()"}
 
-पर्सिपोलिस के बेहिस्तून अभिलेख
 
+[[एशिया माइनर]] के [[बोगाजकोई]] अभिलेख
 
-मितन्नी अभिलेख
 
-इनमें से कोई नहीं
 
||[[चित्र:Lion-Gate-Bogazkoy.jpg|right|120px|सिंहद्वार, बोगाजकोई]]बोगाजकोई [[एशिया]] माइनर में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है, जहाँ से महत्त्वपूर्ण पुरातत्त्व सम्बन्धी [[अवशेष]] प्राप्त हुए हैं। वहाँ के शिलालेखों में जो चौदहवीं शताब्दी ई. पू. के बताये जाते हैं, इन्द्र, [[दशरथ]] और आर्त्ततम आदि [[आर्य]] नामधारी राजाओं का उल्लेख है तथा [[इन्द्र]], [[वरुण देवता|वरुण]] और नासत्य आदि आर्य देवताओं से सन्धियों का साक्षी होने की प्रार्थना की गयी है। इस प्रकार [[बोगाजकोई]] से आर्यों के निष्क्रमण मार्गों का संकेत मिलता है। सन [[1907]] ई. में प्राचीन हिट्टाइट राज्य की राजधानी बोगाजकोई में पाई गयी [[मिट्टी]] की पट्टिकाओं में वैदिक [[देवता]] वरुण, इन्द्र, नासत्यस का उल्लेख है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बोगाजकोई]]
 
 
{निम्नलिखित कथनों में से असत्य कथन को छाँटिये?
 
|type="()"}
 
-[[चोल राजवंश|चोल]] स्वयं को [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] मानते थे
 
-[[नरसिंह वर्मन द्वितीय]] ने एक दूतमंडल [[चीन]] भेजा था
 
-[[कुलोत्तुंग प्रथम|चालुक्य कुलोत्तुंग]] मातृपक्ष से [[चोल|चोलों]] से सम्बन्धित था
 
+[[नन्दि वर्मन द्वितीय]] ने [[भारतीय संस्कृति]] के प्रचार में अनिच्छा प्रदर्शित की।
 
||नन्दि वर्मन द्वितीय (731-795 ई.) [[वैष्णव धर्म]] का अनुयायी था। उसके समय में समकालीन वैष्णव सन्त तिरुमंगै अलवार ने वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार किया। [[नन्दि वर्मन द्वितीय]] के शासन काल में [[पल्लव वंश|पल्लवों]] का [[चालुक्य वंश|चालुक्यों]], [[पाण्ड्य राजवंश|पाण्ड्यों]] तथा [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूटों]] से संघर्ष हुआ। यद्यपि पूर्वी चालुक्य राज्य पर नन्दि वर्मन द्वितीय ने क़ब्ज़ा कर लिया, किन्तु राष्ट्रकूटों ने [[कांची]] को विजित कर लिया। कशाक्कुण्डि लेख में नन्दि वर्मन के लिए 'पल्लवमल्ल', 'क्षत्रियमल्ल', 'राजाधिराज', 'परमेश्वर' एवं 'महाराज' आदि उपाधियों का प्रयोग किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नन्दि वर्मन द्वितीय]]
 
  
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा [[हड़प्पा संस्कृति]] का एक स्थल है, जहाँ से '[[फ़ारस की खाड़ी]]' की मुद्रा उत्खनन से प्राप्त हुई थी?
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा [[हड़प्पा संस्कृति]] का एक स्थल है, जहाँ से '[[फ़ारस की खाड़ी]]' की मुद्रा उत्खनन से प्राप्त हुई थी?

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राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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1 निम्न में से कौन-सी फ़सल हड़प्पा संस्कृति के लोगों को अज्ञात प्रतीत होती है?

चावल
कपास
ज्वार
जौ

2 निम्नलिखित में से कौन एक हड़प्पा संस्कृति की सुदूर पश्चिमी बस्ती थी?

लोथल
सुत्कागेनडोर
रंगपुर
मांडा

3 'कनिक्कई' नामक कर निम्नलिखित में से किस राज्य में वसूला जाता था?

चोल साम्राज्य
पल्लव साम्राज्य
विजयनगर साम्राज्य
राष्ट्रकूट साम्राज्य

4 भारत के इतिहास के सन्दर्भ में अब्दुल हमीद लाहौरी कौन थे?

अकबर के शासन में एक महत्त्वपूर्ण सैन्य कमांडर
औरंगज़ेब का एक महत्त्वपूर्ण सामन्त तथा विश्वासपात्र
शाहजहाँ के शासन का एक राजकीय इतिहासकार
मुहम्मदशाह के शासन में एक इतिवृत्तिकार तथा कवि

5 सिकन्दर के भारत अभियान के समय उसके साथ कई लेखक भी आये थे। निम्नलिखित में से कौन सिकन्दर का समकालीन नहीं है?

अरिस्टयेबुलस
नियार्कस
यूनेनीस
इनमें से कोई नहीं

6 निम्नलिखित में से कौन-सा हड़प्पा संस्कृति का एक स्थल है, जहाँ से 'फ़ारस की खाड़ी' की मुद्रा उत्खनन से प्राप्त हुई थी?

मोहनजोदड़ो
धौलावीरा
लोथल
कालीबंगा

7 ह्वेनसांग के विवरणों में निम्नलिखित में से किसका उल्लेख नहीं मिलता?

कान्यकुब्ज
नालन्दा
प्रयाग
इनमें से कोई नहीं

8 सिन्धु घाटी सभ्यता के सभी स्थलों की सर्व-सामान्य विशेषताएँ क्या थीं?

पकायी गई ईंटों और मिट्टी के बर्तनों का उपयोग, विस्तृत जल निकास प्रणाली, दलदल और जंगली जानवरों का पाया जाना।
जलवायु, वनस्पति, जीव जन्तु और कृत्रिम सिंचाई
मरुभूमि, नदियाँ एवं प्राणी विज्ञान की विशेषताएँ
भवन, नगर योजना और और शवदाह प्रणाली

9 पकी मिट्टी के बने हल का एक प्रतिरूप कहाँ से प्राप्त हुआ है?

बणावली
कालीबंगा
राखीगढ़ी
रंगपुर

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