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{वह प्रथम [[गुप्त]] शासक कौन था, जिसने 'परम भागवत' की उपाधि धारण की थी?
 
|type="()"}
 
-[[चन्द्रगुप्त प्रथम]]
 
-[[समुद्रगुप्त]]
 
+[[चन्द्रगुप्त द्वितीय]]
 
-[[श्रीगुप्त]]
 
||[[चित्र:Chandragupta-Coins.JPG|right|140px|चन्द्रगुप्त द्वितीय की मुद्राएँ]]'चन्द्रगुप्त द्वितीय' अथवा [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य]] (शासन: 380-412 ईसवी) [[गुप्त राजवंश]] के ख्याति प्राप्त राजाओं में से एक था। चन्द्रगुप्त द्वितीय जो कि [[समुद्रगुप्त]] का पुत्र था, समस्त गुप्त राजाओं में सर्वाधिक शौर्य एवं वीरोचित गुणों से सम्पन्न था। [[शक|शकों]] पर विजय प्राप्त करके उसने 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण की थी। वह 'शकारि' भी कहलाता था। इसके अतिरिक्त उसने 'देव', 'देवगुप्त', 'देवराज', 'देवश्री', 'श्रीविक्रम', 'विक्रमादित्य', 'परम भागवत', 'नरेन्द्रचन्द्र', 'सिंहविक्रम' और 'अजीत विक्रम' आदि की उपाधियाँ भी धारण की थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त द्वितीय]]
 
 
{'गीत गोविन्द' ग्रंथ के रचयिता कौन थे?
 
|type="()"}
 
-धोयी
 
-गोवर्द्धनाचार्य
 
+[[जयदेव]]
 
-[[लक्ष्मण सेन]]
 
||'जयदेव' [[संस्कृत]] के महाकवि थे। ये राजा [[लक्ष्मण सेन]] के दरबारी [[कवि]] थे। [[वैष्णव]] [[भक्त]] और [[संत]] के रूप में [[जयदेव]] सम्मानित थे। जयदेव 'गीत गोविन्द' और 'रतिमंजरी' के रचयिता थे। श्रीमद्भागवत के बाद [[राधा]]-[[कृष्ण]] की लीला की अद्‌भुत साहित्यिक रचना उनकी कृति 'गीत गोविन्द' को माना गया है। जयदेव [[संस्कृत]] कवियों में अंतिम कवि थे। इनकी सर्वोत्तम गीत रचना 'गीत गोविन्द' के नाम से संस्कृत भाषा में उपलब्ध हुई है। जयदेव का [[बंगाल]] के राजदरबार में भी सम्मान था और दरबार के पाँच रत्नों में से एक थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयदेव]]
 
 
{[[मंगल पांडे]] कहाँ के विद्रोह से जुड़े हुए थे?
 
|type="()"}
 
+[[बैरकपुर]]
 
-[[मेरठ]]
 
-[[दिल्ली]]
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
||[[चित्र:Mangal Panday.jpg|right|100px|मंगल पांडे]]'मंगल पांडे' [[बैरकपुर]] छावनी में 34वीं रेजीमेण्ट में तैनात एक सिपाही थे। क्रांतिकारी [[मंगल पांडे]] का जन्म [[19 जुलाई]], 1827 ई. को [[उत्तर प्रदेश]] के [[फैज़ाबाद]] ज़िले में हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम 'दिवाकर पांडे' तथा [[माता]] का नाम श्रीमति 'अभय रानी' था। वे [[कोलकाता]] के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में '34वीं बंगाल नेटिव इन्फ़ैंट्री' की पैदल सेना के 1446 नम्बर के सिपाही थे। [[भारत]] की आज़ादी की पहली लड़ाई अर्थात '[[1857 का स्वतंत्रता संग्राम|1857 ई. के विद्रोह]]' की शुरुआत उन्हीं के विद्रोह से हुई थी। [[29 मार्च]], [[1857]] ई. को कुछ सैनिकों ने मंगल पांडे के नेतृत्व में विद्रोह की शुरुआत की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मंगल पांडे]]
 
 
{निम्नलिखित में से किस इमारत का निर्माण [[ग़यासुद्दीन ख़िलजी]] ने करवाया था?
 
|type="()"}
 
+[[जहाज़ महल]]
 
-[[अटाला मस्जिद]]
 
-कुश्क महल
 
-[[झंझीरी मस्जिद जौनपुर|झंझीरी मस्जिद]]
 
||[[चित्र:Jahaz-Mahal-Mandu.jpg|right|100px|जहाज़ महल, मांडू]]'जहाज़ महल' [[मांडू मध्यप्रदेश|मांडू]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित है। इसका निर्माण [[ग़यासुद्दीन ख़िलजी]] के समय में किया गया था। [[जहाज़ महल]] अपनी सुन्दर महराबों, मण्डपों आदि के कारण बहुत प्रसिद्ध है। इसमें [[हिन्दू]] अलंकरणों का प्रयोग बड़े ही ख़ास प्रकार से किया गया है। डॉ. राधा कुमुद मुखर्जी ने जहाज़ महल एवं हिंडोला महल की प्रशंसा में लिखा है कि- "मांडू के हिंडोला महल, जहाज़ महल [[मध्यकालीन भारत]] की [[वास्तुकला]] के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। इनमें इस्लामी प्रभावजन्य संरचनात्मक आधार की भव्यता अति विशालता तथा हिन्दू अलंकरण की सुन्दरता, परिष्कृति व सूक्षमता का विवेकपूर्ण समन्वय है।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाज़ महल]]
 
 
{'भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन' का सरकारी इतिहासकार कौन था?
 
|type="()"}
 
-आर.सी. मजूमदार
 
-[[वी. डी. सावरकर]]
 
-ताराचन्द्र
 
+एस. एन. सेन
 
  
 
{[[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] को पालने वाली [[धात्री]] का नाम क्या था?
 
{[[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] को पालने वाली [[धात्री]] का नाम क्या था?
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+[[माहम अनगा]]
 
+[[माहम अनगा]]
 
-जोधा
 
-जोधा
||'माहम अनगा' बादशाह [[अकबर]] के बचपन में उसकी मुख्य 'अनगा' (दूधमाता) थी। वह एक कटु राजनीतिज्ञ महिला और [[अदहम ख़ाँ]] की माँ थी। वह हरम के अन्दर उस दल में सम्मिलित थी, जो [[बैरम ख़ाँ]] के राज्य का सर्वेसर्वा बने रहने का सदा से ही विरोधी रहा था। माहम अनगा ने अकबर को बैरम ख़ाँ के हाथ से सल्तनत की बाग़डोर छीनने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। 1560 ई. में अकबर बैरम ख़ाँ को [[आगरा]] में छोड़कर [[दिल्ली]] अपनी बेवा माँ के पास चला आया।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[माहम अनगा]]
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||'माहम अनगा' बादशाह [[अकबर]] के बचपन में उसकी मुख्य 'अनगा' (दूधमाता) थी। वह एक कटु राजनीतिज्ञ महिला और [[अदहम ख़ाँ]] की माँ थी। वह हरम के अन्दर उस दल में सम्मिलित थी, जो [[बैरम ख़ाँ]] के राज्य का सर्वेसर्वा बने रहने का सदा से ही विरोधी रहा था। [[माहम अनगा]] ने अकबर को बैरम ख़ाँ के हाथ से सल्तनत की बाग़डोर छीनने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। 1560 ई. में अकबर बैरम ख़ाँ को [[आगरा]] में छोड़कर [[दिल्ली]] अपनी बेवा माँ के पास चला आया था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[माहम अनगा]]
  
 
{[[मलिक अम्बर]] कहाँ का रहने वाला था?
 
{[[मलिक अम्बर]] कहाँ का रहने वाला था?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-तुर्किस्तान
 
-तुर्किस्तान
+अबीसीनिया
+
+[[अबीसीनिया]]
 
-[[ईरान]]
 
-[[ईरान]]
-तूरान
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-[[तूरान]]
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||[[चित्र:Malik-ambar.jpg|right|100px|मलिक अम्बर]]'मलिक अम्बर' एक हब्शी ग़ुलाम था। वह तरक़्क़ी करके वज़ीर के पद तक पहुँचा था। उसका नाम पहली बार 1601 ई. में उस समय चमक उठा, जब उसने [[मुग़ल]] सेना को हरा दिया। [[मलिक अम्बर]] एक 'अबीसीनियायी' था और उसका जन्म 'इथियोपिया' में हुआ था। उसके प्रारम्भिक जीवन की विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसा अनुमान है कि उसके निर्धन [[माता]]-[[पिता]] ने उसे [[बग़दाद]] के ग़ुलाम-बाज़ार में बेच दिया था। बाद में उसे किसी व्यापारी ने ख़रीद लिया और उसे [[दक्षिण भारत]] ले आया, जहाँ की समृद्धि उस काल में बहुत लोगों को आकर्षित करती थी। मलिक अम्बर ने [[मुर्तज़ा निज़ामशाह द्वितीय|मुर्तज़ा निज़ामशाह]] के प्रभावशाली सरदार चंगेज़ ख़ाँ के यहाँ काफ़ी तरक़्क़ी की थी।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[मलिक अम्बर]]
  
 
{[[पाणिनि]] के व्याकरण में उल्लिखित 'अग्रश्रेणयः' या [[अगलस्सोई]] ने किससे युद्ध किया था?
 
{[[पाणिनि]] के व्याकरण में उल्लिखित 'अग्रश्रेणयः' या [[अगलस्सोई]] ने किससे युद्ध किया था?
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-[[राजवुल]]
 
-[[राजवुल]]
 
+[[सिकन्दर]]
 
+[[सिकन्दर]]
||[[चित्र:Alexander.jpg|right|100px|सिकन्दर]]'सिकन्दर' के आक्रमण के समय [[सिन्धु नदी]] की घाटी के निचले भाग में शिविगण के पड़ोस में रहने वाले एक गण का नाम [[अगलस्सोई]] था। [[सिकन्दर]] जब सिन्धु नदी के मार्ग से [[भारत]] से वापस लौट रहा था, तब इस गण के लोगों से उसका मुक़ाबला हुआ। अगलस्सोई की पहचान [[पाणिनि]] के व्याकरण में उल्लिखित 'अग्रश्रेणय:' से की जाती है। अगलस्सोई जंगली जानवरों की खाल के वस्त्र पहनते थे और विभिन्न प्रकार के गदा और मुगदर जैसे हथियारों का प्रयोग करते थे। अगलस्सोई गण की सेना में 40 हज़ार पैदल और तीन हज़ार घुड़सवार सैनिक थे। उन्होंने सिकन्दर के छक्के छुड़ा दिए, लेकिन अन्त में वे पराजित हो गए।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:-[[सिकन्दर]]
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||[[चित्र:Alexander.jpg|right|100px|सिकन्दर]]'सिकन्दर' के आक्रमण के समय [[सिन्धु नदी]] की घाटी के निचले भाग में [[शिविगण]] के पड़ोस में रहने वाले एक गण का नाम [[अगलस्सोई]] था। [[सिकन्दर]] जब सिन्धु नदी के मार्ग से [[भारत]] से वापस लौट रहा था, तब इस गण के लोगों से उसका मुक़ाबला हुआ। अगलस्सोई की पहचान [[पाणिनि]] के व्याकरण में उल्लिखित 'अग्रश्रेणय:' से की जाती है। अगलस्सोई जंगली जानवरों की खाल के वस्त्र पहनते थे और विभिन्न प्रकार के [[गदा शस्त्र|गदा]] और मुगदर जैसे हथियारों का प्रयोग करते थे। अगलस्सोई गण की सेना में 40 हज़ार पैदल और तीन हज़ार घुड़सवार सैनिक थे। उन्होंने सिकन्दर के छक्के छुड़ा दिए थे, लेकिन अन्त में वे पराजित हो गए।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:-[[सिकन्दर]]
  
{[[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] की पत्नी का नाम क्या था?
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{निम्न में से कौन-सा एक [[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] की पत्नी का नाम था?
 
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-[[आम्रपाली]]
 
-[[आम्रपाली]]
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-कोषा
 
-कोषा
 
-[[कम्बोजिका]]
 
-[[कम्बोजिका]]
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||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|right|100px|अशोक]]कतिपय लेखों में [[अशोक]] के नज़दीकी रिश्तेदारों के नाम दिये गये हैं। इनमें उसकी दूसरी रानी [[कारुवाकी]] और उसके पुत्र तीवर का उल्लेख हैं। एक बाद के लेख में अशोक के पोते [[दशरथ मौर्य|दशरथ]] का नाम आया है। [[अशोक के अभिलेख|अशोक के लेखों]] में और जनश्रुतियों में भी अशोक की कई पत्नियाँ होने का उल्लेख है। सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उसकी पहली पत्नी का नाम 'देवी' था, जो वेदिसगिरि के एक धनी श्रेष्ठी की पुत्री थी। अशोक ने उसके साथ तब [[विवाह]] किया, जब वह [[उज्जैन]] में वाइसराय था। महाबोधिवंश में उसे 'वेदिस-महादेवी' और 'शाक्यानी' या 'शाक्यकुमारी' कहा गया है। इस प्रकार अशोक की पहली पत्नी [[बुद्ध]] के कुल से सम्बद्ध थी।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[अशोक]]
  
 
{ऋग्वैदिक [[आर्य|आर्यों]] का मुख्य व्यवसाय क्या था?
 
{ऋग्वैदिक [[आर्य|आर्यों]] का मुख्य व्यवसाय क्या था?
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-शिक्षा
 
-शिक्षा
 
-व्यवसाय
 
-व्यवसाय
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||कुछ लोगों ने परंपरा और [[अनुश्रुति]] के अनुसार [[मध्यदेश]] तथा [[कजंगल]] ([[राजमहल पहाड़ियाँ|राजमहल की पहाड़ियाँ]]) और [[हिमालय]] तथा [[विंध्य पर्वत|विंध्य]] के बीच के प्रदेश अथवा [[आर्यावर्त]] ही [[आर्य|आर्यों]] की आदि भूमि माना है। पौराणिक परंपरा से विच्छिन्न केवल [[ऋग्वेद]] के आधार पर कुछ विद्वानों ने [[सप्त सिंघव]] (सीमांत एवं पंजाब) को आर्यों की आदि भूमि माना है। [[लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक]] ने [[ऋग्वेद]] में वर्णित दीर्घ अहोरात्र, प्रलंबित उषा आदि के आधार पर आर्यों की मूल भूमि को ध्रुव प्रदेश में माना था। बहुत से यूरोपीय विद्वान् और उनके अनुयायी भारतीय विद्वान् अब भी भारतीय आर्यों को बाहर से आया हुआ मानते हैं। अब आर्यों के [[भारत]] के बाहर से आने का सिद्धान्त ग़लत सिद्ध कर दिया गया है। माना जाता है कि इस सिद्धान्त का प्रतिपादन करके [[अंग्रेज़]] और यूरोपीय लोग भारतीयों में यह भावना भरना चाहते थे कि भारतीय लोग पहले से ही ग़ुलाम हैं।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[आर्य]]
 
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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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1 मुग़ल बादशाह अकबर को पालने वाली धात्री का नाम क्या था?

मरियम उज़्ज़मानी
मरियम मक़ानी
माहम अनगा
जोधा

2 मलिक अम्बर कहाँ का रहने वाला था?

तुर्किस्तान
अबीसीनिया
ईरान
तूरान

3 पाणिनि के व्याकरण में उल्लिखित 'अग्रश्रेणयः' या अगलस्सोई ने किससे युद्ध किया था?

मुहम्मद गौरी
मुहम्मद बिन क़ासिम
राजवुल
सिकन्दर

4 निम्न में से कौन-सा एक मौर्य सम्राट अशोक की पत्नी का नाम था?

आम्रपाली
देवी
कोषा
कम्बोजिका

5 ऋग्वैदिक आर्यों का मुख्य व्यवसाय क्या था?

कृषि
पशुपालन
शिक्षा
व्यवसाय

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