इरोम शर्मिला
मणिपुर को जानना है तो इरोम की कहानी जाननी होगी। आपको "आयरन लेडी ऑव मणिपुर" का खिताब हासिल है। इरोम की कहानी कुछ यूं है कि आजादी के बाद मणिपुर के महाराजा ने मणिपुर को संवैधानिक राजतंत्र घोषित किया, लेकिन कई घटनाक्रमों के बाद 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ और 1958 में नागा आंदोलन सक्रिय हुआ। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक कानून का इस्तेमाल किया जिसे सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून कहा जाता है। सेना को मनमानी की छूटइरोम का मानना है कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून अर्थ है सेना को मनमानी की छूट को समझना है तो मणिपुर का इतिहास खंगालना होगा और सेना के धर पकड़ अभियान में न जाने कितने मासूम लोग भी मारे जाते। सेना के द्वारा चलाए जा रहे एक ऎसे ही अभियान में 1 नवंबर, 2000 में लगभग 9-10 लोग मारे गए। सुबह कत्लेआम की तस्वीरें अखबारों में देख इरोम विचलित हो गईं। न्याय के लिए इरोम ने अनशन का रास्ता चुना। 4 नवंबर 2000 से शुरू हुई उनकी भूख हड़ताल आज तक जारी है। इस साल 4 नवंबर को तेरह साल हो जाएंगे। इरोम की मांगइरोम की मांग है कि जब तक सेना के विशेष अधिकार समाप्त नहीं किए जाते, अनशन जारी रहेगा। गांधी के देश में इरोम के अनशन को आत्महत्या का प्रयास मान कुचला जा रहा है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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