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==उदयगिरि गुफ़ाएँ==
 
==उदयगिरि गुफ़ाएँ==
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गाँव एवं पुरातात्विक स्थल उदयगिरि दक्षिण मध्य [[उड़ीसा]] राज्य के [[भुवनेश्वर]] के समीप स्थित है। इस गाँव में [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] एवं [[जैन धर्म]] से सम्बन्धित चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफ़ाएँ और प्रतिमाएँ हैं। इन गुफाओं में निर्मित [[चैत्य गृह]] [[जैन धर्म]] से सम्बन्ध रखते हैं। उदयगिरि चैत्य गृह का निर्माण [[शुंग]] काल में हुआ था। इनमें से एक दुमंजिला गुफ़ा है, जिसको रानी गुफ़ा कहते हैं। इसमें कई कक्ष हैं। यह गुफ़ा अलंकृत है। उदयगिरि की मंचपुरी गुफ़ा से रिलीफ स्थापत्य के सुन्दर उदाहरण मिलते हैं।  
 
==खण्डगिरि गुफ़ाएँ==
 
==खण्डगिरि गुफ़ाएँ==
भुवनेश्वर से सात मील दूर पश्चिमोत्तर में [[उदयगिरि उड़ीसा|उदयगिरि]] के निकट की पहाड़ी खण्डगिरि कहलाती है। खण्डगिरि का शिखर 123 फुट उँचा है, जो आस-पास की पहाड़ियों में सबसे ऊँचा है। कलिंग नरेश [[खारवेल]] का प्रसिद्ध [[हाथी गुम्फा अभिलेख]] खण्डगिरि से कुछ ही दूरी पर है। खण्डगिरि की गुफाएँ [[जैन]] सम्प्रदाय से सम्बन्धित हैं। ये गुफाएँ लगभग प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित की गई मालूम पड़ती हैं।
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भुवनेश्वर से सात मील दूर पश्चिमोत्तर में [[उदयगिरि उड़ीसा|उदयगिरि]] के निकट की पहाड़ी खण्डगिरि कहलाती है। खण्डगिरि का शिखर 123 फुट उँचा है, जो आस-पास की पहाड़ियों में सबसे ऊँचा है। कलिंग नरेश खारवेल का प्रसिद्ध [[हाथी गुम्फा अभिलेख]] खण्डगिरि से कुछ ही दूरी पर है। खण्डगिरि की गुफाएँ [[जैन]] सम्प्रदाय से सम्बन्धित हैं। ये गुफ़ाएँ लगभग प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित की गई मालूम पड़ती हैं।
 
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07:14, 15 जून 2012 का अवतरण

उदयगिरि और खण्डगिरि नामक दो गुफ़ाएँ जो भुवनेश्वर (उड़ीसा) के समीप दो पहाड़ियाँ पर स्थित है। ये गुफ़ाएँ उदयगिरि और खण्डगिरि पहाडियों में पत्‍थरों को काट कर बनाई गई थी। यहाँ से कलिंग के प्रसिद्ध शासक खारवेल का लेख मिलता है। यहाँ खारवेल ने जैन साधुओं के लिए विहार बनवाये थे। इन गुफ़ाओं में की गई अधिकांश चित्रकारी नष्‍ट हो गई है।

उदयगिरि गुफ़ाएँ

गाँव एवं पुरातात्विक स्थल उदयगिरि दक्षिण मध्य उड़ीसा राज्य के भुवनेश्वर के समीप स्थित है। इस गाँव में बौद्ध एवं जैन धर्म से सम्बन्धित चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफ़ाएँ और प्रतिमाएँ हैं। इन गुफाओं में निर्मित चैत्य गृह जैन धर्म से सम्बन्ध रखते हैं। उदयगिरि चैत्य गृह का निर्माण शुंग काल में हुआ था। इनमें से एक दुमंजिला गुफ़ा है, जिसको रानी गुफ़ा कहते हैं। इसमें कई कक्ष हैं। यह गुफ़ा अलंकृत है। उदयगिरि की मंचपुरी गुफ़ा से रिलीफ स्थापत्य के सुन्दर उदाहरण मिलते हैं।

खण्डगिरि गुफ़ाएँ

भुवनेश्वर से सात मील दूर पश्चिमोत्तर में उदयगिरि के निकट की पहाड़ी खण्डगिरि कहलाती है। खण्डगिरि का शिखर 123 फुट उँचा है, जो आस-पास की पहाड़ियों में सबसे ऊँचा है। कलिंग नरेश खारवेल का प्रसिद्ध हाथी गुम्फा अभिलेख खण्डगिरि से कुछ ही दूरी पर है। खण्डगिरि की गुफाएँ जैन सम्प्रदाय से सम्बन्धित हैं। ये गुफ़ाएँ लगभग प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित की गई मालूम पड़ती हैं। इन्हें भी देखें: उदयगिरि पहाड़ियाँ


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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