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− | {किस प्राचीन [[कला]] की 'वास चित्रकला' प्रसिद्ध है? | + | {किस प्राचीन [[कला]] की 'वास चित्रकला' प्रसिद्ध है? |
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-[[चीन]] | -[[चीन]] | ||
||वास चित्रकला ग्रीक पेंटिंग का एक विशेष रूप है। इस [[चित्रकला]] में फूलदान का अप्रतिम चित्रण होता है। | ||वास चित्रकला ग्रीक पेंटिंग का एक विशेष रूप है। इस [[चित्रकला]] में फूलदान का अप्रतिम चित्रण होता है। | ||
− | {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] की खोज कब हुई थीं? | + | {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] की खोज कब हुई थीं? |
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+[[1958]] में | +[[1958]] में | ||
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− | ||विष्णु श्रीधर वाकड़कर ने भीमबेटका के प्रागैतिहासिक चित्रों का सर्वप्रथम वर्ष [[1958]] में पता लगाया। यहां 500 वर्गमील के क्षेत्र में 30 पर्वतश्रेणियाँ अवस्थित हैं जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई 1345 फीट (420 मी.) से 2000 फीट (600 मी.) तक है। इन्हीं के ऊपर एक ट्रिगनोमैट्रिक स्टेशन स्थापित किया गया था, जहां गत शताब्दी में सर्वेक्षण किए गए थे। इन पर्वतश्रेणियों की शिलाएं बकुआ पत्थर की हैं।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] | + | ||विष्णु श्रीधर वाकड़कर ने भीमबेटका के प्रागैतिहासिक चित्रों का सर्वप्रथम वर्ष [[1958]] में पता लगाया। यहां 500 वर्गमील के क्षेत्र में 30 पर्वतश्रेणियाँ अवस्थित हैं जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई 1345 फीट (420 मी.) से 2000 फीट (600 मी.) तक है। इन्हीं के ऊपर एक ट्रिगनोमैट्रिक स्टेशन स्थापित किया गया था, जहां गत शताब्दी में सर्वेक्षण किए गए थे। इन पर्वतश्रेणियों की शिलाएं बकुआ पत्थर की हैं।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देखें-:'''[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] |
− | {[[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ गुफ़ाओं]] को किस रूप में जाना जाता है? | + | {[[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ गुफ़ाओं]] को किस रूप में जाना जाता है? |
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-रंग महल के रूप में | -रंग महल के रूप में | ||
-पंच-पांडव के रूप में | -पंच-पांडव के रूप में | ||
− | -गृह | + | -गृह गुफ़ा के रूप में |
+इनमें से कोई नहीं | +इनमें से कोई नहीं | ||
− | ||बाघ गुफाओं को उपर्युक्त में से किसी नाम से नहीं जाना जाता है किंतु गुफा संख्या 1 को गृह गुफा, गुफा संख्या 2 को पंच-पांडव गुफा तथा सबसे महत्त्वपूर्ण गुफा संख्या 4 को रंग महल के रूप में जाना जाता है। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ गुफ़ाओं]] | + | ||बाघ गुफाओं को उपर्युक्त में से किसी नाम से नहीं जाना जाता है किंतु गुफा संख्या 1 को गृह गुफा, गुफा संख्या 2 को पंच-पांडव गुफा तथा सबसे महत्त्वपूर्ण गुफा संख्या 4 को रंग महल के रूप में जाना जाता है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ गुफ़ाओं]] |
− | {'पाल शैली' के चित्र कहाँ होते हैं? | + | {'पाल शैली' के चित्र कहाँ होते हैं? |
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||'पाल शैली' के अंतर्गत प्रारंभ में ताल-पत्र और बाद में काग़ज़ पर बनाए जाने वाले चित्रों में बज्रयान [[बौद्ध धर्म]] के दृश्य चित्रित हैं। इस शैली के अधिकांश चित्र पोथियों में ही प्राप्त होते हैं। इस शैली के जो स्फुट चित्र प्राप्त हुए हैं, वे बंगाल के पट चित्र हैं। | ||'पाल शैली' के अंतर्गत प्रारंभ में ताल-पत्र और बाद में काग़ज़ पर बनाए जाने वाले चित्रों में बज्रयान [[बौद्ध धर्म]] के दृश्य चित्रित हैं। इस शैली के अधिकांश चित्र पोथियों में ही प्राप्त होते हैं। इस शैली के जो स्फुट चित्र प्राप्त हुए हैं, वे बंगाल के पट चित्र हैं। | ||
− | {[[मध्य प्रदेश]] सरकार ने किस कलाकार को [[कालिदास सम्मान]] से सम्मानित किया? | + | {[[मध्य प्रदेश]] सरकार ने किस कलाकार को [[कालिदास सम्मान]] से सम्मानित किया? |
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− | -गुलाम शेख़ | + | -[[गुलाम मोहम्मद शेख़|गुलाम शेख़]] |
-एल. राजपूत | -एल. राजपूत | ||
− | +के.जी. सुब्रह्मण्यम | + | +[[के.जी. सुब्रह्मण्यम]] |
− | -एन.एस. बेंद्रे | + | -[[नारायण श्रीधर बेन्द्रे|एन.एस. बेंद्रे]] |
− | ||भारतीय आधुनिक कला के प्रतिष्ठित कलाकार के.जी. सुब्रह्मण्यम का प्रसिद्ध म्यूरल [[लखनऊ]] के [[चारबाग़ रेलवे स्टेशन लखनऊ|चारबाग]] रेलवे स्टेशन के सामने रबीन्द्रालय रंगशाला की बाहरी दीवार पर ग्लेज्ड टेराकोटा टाइल्स से एक बड़े आकार के म्यूरल 'किंग ऑफ़ डार्क चैंबर्स' को निर्मित किया गया है। इनके इस कार्य में विशेष सहयोगी राजस्थान के क्राफ्टमैन ग्यारसी लाल वर्मा थे। | + | ||भारतीय आधुनिक कला के प्रतिष्ठित कलाकार [[के.जी. सुब्रह्मण्यम]] का प्रसिद्ध म्यूरल [[लखनऊ]] के [[चारबाग़ रेलवे स्टेशन लखनऊ|चारबाग]] रेलवे स्टेशन के सामने रबीन्द्रालय रंगशाला की बाहरी दीवार पर ग्लेज्ड टेराकोटा टाइल्स से एक बड़े आकार के म्यूरल 'किंग ऑफ़ डार्क चैंबर्स' को निर्मित किया गया है। इनके इस कार्य में विशेष सहयोगी राजस्थान के क्राफ्टमैन ग्यारसी लाल वर्मा थे।{{point}}'''अधिक जानकारी के लिए देंखे:-'''[[के.जी. सुब्रह्मण्यम]] |
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11:51, 9 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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