"कवि का हृदय सूना -दिनेश सिंह" के अवतरणों में अंतर
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गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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धरा भी है स्वरमयी | धरा भी है स्वरमयी | ||
विपिन संग है खग दल का कलरव | विपिन संग है खग दल का कलरव | ||
− | पर्वतों संग | + | पर्वतों संग झरनों का स्वर |
सकल जग है स्वरमयी | सकल जग है स्वरमयी | ||
नहीं रिक्त है कोई भी कोना | नहीं रिक्त है कोई भी कोना | ||
− | किन्तु कवि का | + | किन्तु कवि का हृदय सूना |
सागर संग नदियों के धारे | सागर संग नदियों के धारे | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
शोर कर बहती पवन को | शोर कर बहती पवन को | ||
छितिज पर मिलता ठिकाना | छितिज पर मिलता ठिकाना | ||
− | किन्तु कवि का | + | किन्तु कवि का हृदय सूना |
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08:49, 20 जुलाई 2014 का अवतरण
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चाँद संग है चांदनी |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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