"क़ुतुब मीनार" के अवतरणों में अंतर
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*इस इमारत का नाम ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया। | *इस इमारत का नाम ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया। | ||
*ऐसा माना जाता है कि क़ुतुब मीनार का प्रयोग पास बनी मस्जिद की मीनार के रूप में होता था और यहाँ से अजान दी जाती थी। | *ऐसा माना जाता है कि क़ुतुब मीनार का प्रयोग पास बनी मस्जिद की मीनार के रूप में होता था और यहाँ से अजान दी जाती थी। | ||
− | *लाल और हल्के पीले पत्थर से बनी इस इमारत पर | + | *लाल और हल्के पीले पत्थर से बनी इस इमारत पर क़ुरान की आयतें लिखी हैं। |
*मूल रूप्ा से क़ुतुबमीनार सात मंजिल का था लेकिन अब यह पाँच मंजिल का ही रह गया है। | *मूल रूप्ा से क़ुतुबमीनार सात मंजिल का था लेकिन अब यह पाँच मंजिल का ही रह गया है। | ||
*क़ुतुब मीनार की कुल ऊँचाई 72.5 मीटर है और इसमें 379 सीढ़ियाँ हैं। समय-समय पर इसकी मरम्मत भी हुई है। | *क़ुतुब मीनार की कुल ऊँचाई 72.5 मीटर है और इसमें 379 सीढ़ियाँ हैं। समय-समय पर इसकी मरम्मत भी हुई है। |
12:50, 31 जनवरी 2011 का अवतरण
- दिल्ली एक आकर्षक पर्यटन स्थल है।
- क़ुतबुद्दीन ऐबक ने 1199 में क़ुतुब मीनार का निर्माण शुरु करवाया था और इल्तुतमिश ने 1368 में इसे पूरा कराया।
- इस इमारत का नाम ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया।
- ऐसा माना जाता है कि क़ुतुब मीनार का प्रयोग पास बनी मस्जिद की मीनार के रूप में होता था और यहाँ से अजान दी जाती थी।
- लाल और हल्के पीले पत्थर से बनी इस इमारत पर क़ुरान की आयतें लिखी हैं।
- मूल रूप्ा से क़ुतुबमीनार सात मंजिल का था लेकिन अब यह पाँच मंजिल का ही रह गया है।
- क़ुतुब मीनार की कुल ऊँचाई 72.5 मीटर है और इसमें 379 सीढ़ियाँ हैं। समय-समय पर इसकी मरम्मत भी हुई है।
- इसकी दीवारों पर जिन बादशाहों ने इसकी मरम्मत कराई उनका उल्लेख मिलता है।
- क़ुतुब मीनार परिसर में और भी कई इमारते हैं। भारत की पहली कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलई दरवाज़ा और इल्तुतमिश का मक़बरा भी यहाँ बना हुआ है।
- मस्जिद के पास ही चौथी शताब्दी में बना लौहस्तंभ भी है जो पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है।
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