"कांपिल्य" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (1 अवतरण)
छो (Text replace - "गंगा" to "गंगा")
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
==कांपिल्य / Kampilya==
 
==कांपिल्य / Kampilya==
 
*[[महाभारत]] काल में [[पंचाल]] राज्य उत्तरी तथा दक्षिणी पंचाल के नाम से दो भागों में विभाजित हो गया।  
 
*[[महाभारत]] काल में [[पंचाल]] राज्य उत्तरी तथा दक्षिणी पंचाल के नाम से दो भागों में विभाजित हो गया।  
*[[गंगा]] नदी इन दोनों को अलग-अलग करती थी।  
+
*[[गंगा नदी|गंगा]] नदी इन दोनों को अलग-अलग करती थी।  
 
*दक्षिण पंचाल की राजधानी कांम्पिल्य ( वर्तमान फर्रूखाबाद ज़िला ) थी तथा  
 
*दक्षिण पंचाल की राजधानी कांम्पिल्य ( वर्तमान फर्रूखाबाद ज़िला ) थी तथा  
 
*उत्तरी पंचाल की राजधानी [[अहिच्छत्र]] थी। इस नगर के ध्वंसावशेष बरेली जनपद की आँवला तहसील के ग्राम रामनगर के निकट अब तक मौजूद है।
 
*उत्तरी पंचाल की राजधानी [[अहिच्छत्र]] थी। इस नगर के ध्वंसावशेष बरेली जनपद की आँवला तहसील के ग्राम रामनगर के निकट अब तक मौजूद है।

06:59, 1 अप्रैल 2010 का अवतरण

कांपिल्य / Kampilya

  • महाभारत काल में पंचाल राज्य उत्तरी तथा दक्षिणी पंचाल के नाम से दो भागों में विभाजित हो गया।
  • गंगा नदी इन दोनों को अलग-अलग करती थी।
  • दक्षिण पंचाल की राजधानी कांम्पिल्य ( वर्तमान फर्रूखाबाद ज़िला ) थी तथा
  • उत्तरी पंचाल की राजधानी अहिच्छत्र थी। इस नगर के ध्वंसावशेष बरेली जनपद की आँवला तहसील के ग्राम रामनगर के निकट अब तक मौजूद है।
  • छठी शताब्दी ई०पू० में पांचाल की गणना सोलह महाजनपदों में की जाती थी।
  • यही पांचाल जनपद मध्यकाल से रुहेलखण्ड नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में रुहेलखण्ड क्षेत्र के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, रामपुर ,बरेली, बदायूँ , पीलीभीत तथा शाहजहाँपुर जनपद आते हैं  जो बरेली व मुरादाबाद दो कमिश्नरी (मण्डल)में बँटे हैं।

महाभारत में वर्णित विवरणों के अनुसार शांतनु के समय पंचाल का राजा द्वीभठ था जिसके पौत्र राजा द्रुपद ने पंचाल राज्य पर राज्य किया तथा अहिच्छत्रा को अपना राजधानी बनाया, किन्तु द्रोणाचार्य से शत्रुता हो जाने पर द्रोण ने राजा द्रुपद को पराजित कर उत्तरी पंचाल को अपने अधीन कर लिया तथा दक्षिण पंचाल द्रुपद को दे दिया । द्रुपद की पुत्री द्रौपदी का स्वयंवर कांम्पिल्य में हुआ जो दक्षिण पंचाल की राजधानी थी। महाभारत युद्ध में उत्तरी पंचाल ने पाण्डवों का साथ दिया तथा युद्ध के उपरांत भीम ने अपना विजय यात्रा पंचाल प्रदेश से ही प्रारम्भ की तथा कौशल, अयोध्या,काशी, अंग, चेदि और मत्स्य राज्यों को अपने अधीन किया था।<balloon title="महाभारत सभा पर्व ,अ०-14" style=color:blue>*</balloon> महाभारत युद्ध के पश्चात पंचाल पर पाण्डवों के वंशज तथा बाद में नाग राजाओं का अधिकार रहा ।