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[[हड़प्पा]] एवं [[मोहनजोदाड़ो]] की भांति यहां पर सुरक्षा दीवार से घिरे दो टीले पाए गए हैं। कुछ विद्धानों का मानना है कि यह [[सिंधु घाटी सभ्यता|सैंधव सभ्यता]] की तीसरी राजधानी रही होगी।  
 
[[हड़प्पा]] एवं [[मोहनजोदाड़ो]] की भांति यहां पर सुरक्षा दीवार से घिरे दो टीले पाए गए हैं। कुछ विद्धानों का मानना है कि यह [[सिंधु घाटी सभ्यता|सैंधव सभ्यता]] की तीसरी राजधानी रही होगी।  
  
कालीबंगा के दुर्ग टीले के दक्षिण भाग में मिट्टी और कच्चे ईटों के बने हुए पांच चबूतरे मिले हैं, जिसके शिखर पर हवन कुण्डों के होने के साक्ष्य मिले हैं। अन्य हड़प्पा कालीन नगरों की भांति कालीबंगा दो भागों नगर दुर्ग (या गढ़ी) और नीचे दुर्ग में विभाजित था। नगर दुर्ग समनान्तर चतुर्भुजाकार था। यहां पर भवनों के अवशेष से स्पष्ट होता है कि यहां भवन कच्ची ईटों के बने थे।
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कालीबंगा के दुर्ग टीले के दक्षिण भाग में मिट्टी और कच्चे ईटों के बने हुए पांच चबूतरे मिले हैं, जिसके शिखर पर हवन कुण्डों के होने के साक्ष्य मिले हैं।  
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अन्य हड़प्पा कालीन नगरों की भांति कालीबंगा दो भागों नगर दुर्ग (या गढ़ी) और नीचे दुर्ग में विभाजित था। नगर दुर्ग समनान्तर चतुर्भुजाकार था। यहां पर भवनों के अवशेष से स्पष्ट होता है कि यहां भवन कच्ची ईटों के बने थे।
  
  

10:08, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण

कालीबंगा (काले रंग की चूड़ियां)

यह स्थल राजस्थान के गंगानगर ज़िले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है। खुदाई 1953 में 'बी.बी. लाल' एवं 'बी. के. थापड़' द्वारा करायी गयी। यहां पर प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं।

हड़प्पा एवं मोहनजोदाड़ो की भांति यहां पर सुरक्षा दीवार से घिरे दो टीले पाए गए हैं। कुछ विद्धानों का मानना है कि यह सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी रही होगी।

कालीबंगा के दुर्ग टीले के दक्षिण भाग में मिट्टी और कच्चे ईटों के बने हुए पांच चबूतरे मिले हैं, जिसके शिखर पर हवन कुण्डों के होने के साक्ष्य मिले हैं।

अन्य हड़प्पा कालीन नगरों की भांति कालीबंगा दो भागों नगर दुर्ग (या गढ़ी) और नीचे दुर्ग में विभाजित था। नगर दुर्ग समनान्तर चतुर्भुजाकार था। यहां पर भवनों के अवशेष से स्पष्ट होता है कि यहां भवन कच्ची ईटों के बने थे।


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